प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिकाओं पर पारित आदेश की जानकारी संबंधित अधिकारियों को देने में लापरवाही बरतने को गंभीरता से लिया है. कोर्ट ने प्रमुख सचिव न्याय/ विधि परामर्शी को इसकी जांच करने और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि पता करें, ऐसा जानबूझकर किया गया या लापरवाही में हो गया. यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने विदेशी तबलीगी जमात से जुड़े शाहजहांपुर के मामले में हसना समेत 11 अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है.
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कोर्ट ने कहा कि सरकारी वकील की ओर से इस घोर लापरवाही के कारण उच्च पदस्थ पुलिस अधिकारियों को उनकी बिना किसी गलती के तलब करना पड़ा. पुलिस अधिकारियों की ओर से दाखिल हलफनामे में यह उल्लेख किया गया कि समय पर हलफनामा दाखिल करने में विफलता का कारण सरकारी वकील से सूचना न मिलना है. कोर्ट में तैनात सरकारी वकील ने स्पष्ट रूप से कोर्ट का आदेश पुलिस अधिकारियों को सूचित नहीं किया, जबकि आदेश होने के समय सरकारी वकील कोर्ट के समक्ष उपस्थित थे. कोर्ट ने मामले को 28 जुलाई को दोपहर दो बजे सूचीबद्ध का निर्देश देते हुए कहा कि पूर्व आदेश के क्रम में हलफनामा पेश नहीं किया गया तो हलफनामे के अभाव में कार्यवाही शुरू होगी और उचित आदेश भी किया जाएगा. मामला व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है.. इस तरह के आचरण से व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन होता है और मामले की सुनवाई में भी बाधा उत्पन्न होती है.