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इलाहाबाद हाइकोर्ट ने किसानों की अर्जियों का समय से निपटारा न होने पर जताई नाराजगी

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Published : Apr 23, 2022, 7:31 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भूमि अधिग्रहण के मामले में बढ़े मुआवजे की मांग को लेकर दाखिल किसानों की अर्जियों का समय से निपटारा न किए जाने पर नाराजगी जताई है.

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इलाहाबाद हाइकोर्ट

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भूमि अधिग्रहण के मामले में बढ़े मुआवजे की मांग को लेकर दाखिल विभिन्न जिलों के किसानों अर्जियों का समय से निपटारा न होने को लेकर नाराजगी जताई है. हाईकोर्ट ने सचिव राजस्व से इस संबंध में 10 मई से पहले हलफनामा मांगा है. कहा है कि यदि उनका हलफनामा संतोषजनक नहीं पाया गया तो अदालत उनके खिलाफ कोर्ट के आदेश की अवमानना की प्रक्रिया शुरू कर देगी.

मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल व न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने बुलंदशहर के राजवीर सिंह और कई अन्य किसानों की तरफ से दाखिल याचिका पर यह आदेश पारित किया है. याचिका में इन किसानों ने कहा कि दशकों पहले एक ही अधिसूचना से अधिग्रहित उनकी जमीन का बढ़ा हुआ मुआवजा पाने के लिए उन लोगों ने विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी के समक्ष धारा-28 ए की अर्जी दी थी. परंतु आज तक उसका निस्तारण नहीं किया गया. सरकार की तरफ से अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता रामानंद पांडेय ने कोर्ट को बताया कि 28-ए की अर्जी तभी दाखिल की जा सकती है. कहा गया कि याचीगण के मामले में उनकी अधिसूचना की तिथि व धारा 28-ए की अर्जी में लिखित अधिसूचना की तिथियों में अंतर है. कोर्ट ने कहा कि अधिकारी को गुण-दोष के आधार पर दाखिल और अर्जियों का निस्तारण कर देना चाहिए न कि उसे लटकाए रखा जाय.

पढ़ेंः इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती के केस की सुनवाई टली

हाईकोर्ट ने पारित अपने आदेश में कहा कि विगत एक नवंबर 21 को भी इसी कोर्ट ने सचिव राजस्व को निर्देश दिया था कि वह पूरे प्रदेश के जिलों में धारा-28 ए के अंतर्गत दाखिल हर जिले की अर्जियों का 4 माह में निस्तारण कराए. कोर्ट ने कहा कि उस आदेश में यह भी कहा गया था कि ऐसा न करने पर सचिव राजस्व इसके लिए जिम्मेदार होंगे. हाईकोर्ट ने कहा कि आदेश पारित हुए 4 माह से अधिक हो गया. इसके बावजूद कोर्ट में याचिकाएं आ रही हैं और उसमें आरोप लगाया जा रहा है कि किसानों की धारा-28 ए के अंतर्गत दाखिल प्रार्थना पत्रों का निस्तारण नहीं हुआ है. कोर्ट ने इस मामले में 10 मई की तारीख नियत की है. सचिव राजस्व से उनका हलफनामा मांगा है. कहा कि वह बताएं कि कोर्ट के पिछले आदेशों के बावजूद किसानों के अर्जियों का निशान क्यों नहीं किया गया.

भूमि अधिग्रहण कानून 1894 में धारा 28-ए के तहत किसान अर्जी तब देता है जब एक ही अधिसूचना से बहुत सारी जमीनों का अधिग्रहण किया गया हो. कोर्ट ने उस अधिसूचना से संबंधित अन्य भूमि का मुआवजा बढ़ा कर देने का निर्देश दिया हो. कोर्ट के इस आदेश के बाद अन्य किसानों के लिए यह प्रावधान बना है कि वह भी धारा-28 ए भूमि अधिग्रहण कानून के अंतर्गत स्पेशल लैंड एक्विजिशन अधिकारी को अर्जी देकर अपनी भूमिका का भी बढ़ा हुआ मुआवजा प्राप्त करें.

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प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भूमि अधिग्रहण के मामले में बढ़े मुआवजे की मांग को लेकर दाखिल विभिन्न जिलों के किसानों अर्जियों का समय से निपटारा न होने को लेकर नाराजगी जताई है. हाईकोर्ट ने सचिव राजस्व से इस संबंध में 10 मई से पहले हलफनामा मांगा है. कहा है कि यदि उनका हलफनामा संतोषजनक नहीं पाया गया तो अदालत उनके खिलाफ कोर्ट के आदेश की अवमानना की प्रक्रिया शुरू कर देगी.

मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल व न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने बुलंदशहर के राजवीर सिंह और कई अन्य किसानों की तरफ से दाखिल याचिका पर यह आदेश पारित किया है. याचिका में इन किसानों ने कहा कि दशकों पहले एक ही अधिसूचना से अधिग्रहित उनकी जमीन का बढ़ा हुआ मुआवजा पाने के लिए उन लोगों ने विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी के समक्ष धारा-28 ए की अर्जी दी थी. परंतु आज तक उसका निस्तारण नहीं किया गया. सरकार की तरफ से अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता रामानंद पांडेय ने कोर्ट को बताया कि 28-ए की अर्जी तभी दाखिल की जा सकती है. कहा गया कि याचीगण के मामले में उनकी अधिसूचना की तिथि व धारा 28-ए की अर्जी में लिखित अधिसूचना की तिथियों में अंतर है. कोर्ट ने कहा कि अधिकारी को गुण-दोष के आधार पर दाखिल और अर्जियों का निस्तारण कर देना चाहिए न कि उसे लटकाए रखा जाय.

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हाईकोर्ट ने पारित अपने आदेश में कहा कि विगत एक नवंबर 21 को भी इसी कोर्ट ने सचिव राजस्व को निर्देश दिया था कि वह पूरे प्रदेश के जिलों में धारा-28 ए के अंतर्गत दाखिल हर जिले की अर्जियों का 4 माह में निस्तारण कराए. कोर्ट ने कहा कि उस आदेश में यह भी कहा गया था कि ऐसा न करने पर सचिव राजस्व इसके लिए जिम्मेदार होंगे. हाईकोर्ट ने कहा कि आदेश पारित हुए 4 माह से अधिक हो गया. इसके बावजूद कोर्ट में याचिकाएं आ रही हैं और उसमें आरोप लगाया जा रहा है कि किसानों की धारा-28 ए के अंतर्गत दाखिल प्रार्थना पत्रों का निस्तारण नहीं हुआ है. कोर्ट ने इस मामले में 10 मई की तारीख नियत की है. सचिव राजस्व से उनका हलफनामा मांगा है. कहा कि वह बताएं कि कोर्ट के पिछले आदेशों के बावजूद किसानों के अर्जियों का निशान क्यों नहीं किया गया.

भूमि अधिग्रहण कानून 1894 में धारा 28-ए के तहत किसान अर्जी तब देता है जब एक ही अधिसूचना से बहुत सारी जमीनों का अधिग्रहण किया गया हो. कोर्ट ने उस अधिसूचना से संबंधित अन्य भूमि का मुआवजा बढ़ा कर देने का निर्देश दिया हो. कोर्ट के इस आदेश के बाद अन्य किसानों के लिए यह प्रावधान बना है कि वह भी धारा-28 ए भूमि अधिग्रहण कानून के अंतर्गत स्पेशल लैंड एक्विजिशन अधिकारी को अर्जी देकर अपनी भूमिका का भी बढ़ा हुआ मुआवजा प्राप्त करें.

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