प्रयागराजः प्रदेश में डेंगू मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों की रोकथाम को लेकर किए जा रहे सरकारी प्रयासों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने असंतोष जताया है. कोर्ट ने इन प्रयासों को नाकाफी माना है और बीमारियों की रोकथाम के लिए ठोस प्रयास करने का निर्देश दिया है. इस मामले को लेकर का स्वतः कायम जनहित याचिका पर मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति अजय भनोट की खंडपीठ ने कहा कि डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया आदि की रोकथाम के लिए सरकारी प्रयास अपर्याप्त है. राज्य सरकार इसके लिए प्रभावी कदम उठाए. कोर्ट का कहना था कि बीमारियों पर नियंत्रण पाने के लिए सरकार की ओर से ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है. जिसकी वजह से बड़ी संख्या में लोग इन बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं.
सिर्फ डीजल से की जा रही फॉगिंगः इससे पूर्व कोर्ट ने हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के महासचिव नितिन शर्मा और अधिवक्ता आदित्य भूषण को इस मामले में न्याय मित्र नियुक्त करते हुए उनसे रिपोर्ट मांगी थी. दोनों अधिवक्ताओं ने कोर्ट को अवगत कराया कि नगर निगम और जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से इन बीमारियों की रोकथाम के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किया जा रहे हैं. इसके अलावा ना ही कोई प्रभावी कार्रवाई हो रही है. फॉगिंग काफी कम की जा रही है. जिन इलाकों में फॉगिंग की जा रही है वहां भी सिर्फ डीजल जलाया जा रहा है. जिसमें मच्छरों की रोकथाम के लिए दवा का मिश्रण नहीं किया जाता है.
सरकारी विभाग कर रहे सिर्फ खानापूर्तिः सरकारी विभाग उपाय करने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रहे हैं. मच्छरों का प्रकोप ना रुक पाने के कारण इन बीमारियों पर नियंत्रण पाना मुश्किल हो रहा है. शहर में तमाम स्थानों पर खुली नालियां है, जिनमें मच्छर तेजी से पनपते हैं. प्रदेश सरकार की ओर से कहा गया कि बीमारियों की रोकथाम की पूरी व्यवस्था है. बीमारी की चपेट में आए लोगों के उपचार के लिए भी अस्पतालों में विशेष वार्ड आरक्षित किए गए हैं. नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग की कई टीमें कम कर रही हैं. कोर्ट ने इस जवाब पर असंतोष जलते हुए सरकार को बीमारियों की रोकथाम के लिए ठोस उपाय करने का निर्देश दिया है.