प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के राजकीय सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर के खाली चार हजार पदों को भरने की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा है कि योग्यता हासिल होने के आधार पर किसी को खाली पदों पर चयनित या नियुक्ति पाने का विधिक अधिकार नहीं मिल जाता है. यह नियोजक पर है कि वह खाली पदों को भरे अथवा नहीं. कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल ने सौरभ कुमार सिंह और 8 अन्य की याचिका पर दिया है.
सौरभ कुमार सिंह और 8 अन्य की याचिका पर अधिवक्ता सत्येन्द्र त्रिपाठी, स्थायी अधिवक्ता और आयोग की तरफ से अधिवक्ता कृष्ण जी शुक्ल ने बहस की. याची अधिवक्ता का कहना था कि डिग्री कॉलेजों में पिछले पांच साल से सहायक प्रोफेसर की भर्ती नहीं निकाली गई है. इन डिग्री कॉलेजों में चार हजार पद खाली हैं. याचीगण पीएचडी और राष्ट्रीय दक्षता परीक्षा पास हैं. यह सभी याचीगण सहायक प्रोफेसर पद पर चयनित होने की आर्हता रखते हैं. याची अधिवक्ता ने पक्ष रखते हुए कहा कि आयोग को हर साल भर्ती निकालने और खाली पदों को भरने का निर्देश दिया जाय.
याचिका पर कोर्ट ने कहा कि याचियों को ऐसी मांग करने का विधिक अधिकार नहीं है. सरकार को प्रशासनिक, आर्थिक या नीतियों के चलते पदों को भरने या न भरने का अधिकार है. सरकार चाहे तो पद समाप्त या पद संख्या घटा या खाली पदों को भर सकती है. तब तक इसे चुनौती नहीं दी जा सकती है, जब तक सरकार का फैसला दुर्भावना पूर्ण हो या विवेकाधिकार का प्रयोग न किया गया हो या अन्य कारणों से प्रभावित होकर कार्य न किया जा रहा हो.
कोर्ट ने कहा है कि सरकार के पास खाली पदों को भरने का पूरा मैकेनिज्म है. याची ऐसा कानून बताने में विफल रहा है, जिसके तहत कोर्ट सरकार या आयोग को खाली पदों को भरने का निर्देश दे सके.