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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज मुकदमों के जल्द निस्तारण के दिए निर्देश - इलाहाबाद हाईकोर्ट

सांसदों और विधायकों के खिलाफ मुकदमों के जल्द निस्तारण को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्देश (Honorable Case Disposal Instructions) जारी किए है. अनावश्यक स्थगन न देने पर जोर दिया है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 25, 2023, 10:14 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सांसदों और विधायकों से जुड़े आपराधिक मामलों के त्वरित निस्तारण के लिए कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं. कोर्ट ने माननीयों के ऐसे मामलों में अनावश्यक स्थगन नहीं दिए जाने के निर्देश दिए हैं.

कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता एवं न्यायमूर्ति समित गोपाल की खंडपीठ ने ये कदम अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम भारत संघ और अन्य में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के सिलसिले में स्वत: संज्ञान जनहित याचिका पर उठाए हैं. निर्वाचित प्रतिनिधियों से जुड़े आपराधिक मामलों के शीघ्र समाधान की निगरानी और सुनिश्चित करने की जनहित याचिका इन री डेजिग्नेटेड कोर्ट्स फॉर एमपी/एमएलए में खंडपीठ ने निर्देश दिया कि महाधिवक्ता या सरकारी वकील मामले में अदालत की सहायता करेंगे.

विशेष अदालतें करेंगी मासिक रिपोर्टिंग : पारदर्शिता की आवश्यकता पर जोर देते हुए कोर्ट ने आदेश दिया कि विशेष अदालतें पहले सांसदों और विधायकों के खिलाफ मौत या आजीवन कारावास की सजा वाले आपराधिक मामलों को प्राथमिकता देंगी. फिर पांच साल या उससे अधिक की कैद की सजा वाले मामलों को प्राथमिकता देंगी. इसके बाद अन्य मामलों की सुनवाई करेंगी.

कोई अनावश्यक स्थगन नहीं : खंडपीठ ने कहा कि विशेष अदालतें दुर्लभ और बाध्यकारी कारणों को छोड़कर मामलों को स्थगित नहीं करेंगी. खंडपीठ ने विशिष्ट निर्देश दिया कि यदि मामले की सुनवाई करने वाले मजिस्ट्रेट के किसी भी आदेश के खिलाफ सत्र अदालत के समक्ष कोई अपील या पुनरीक्षण लंबित है, तो ऐसे मामलों का विवरण मासिक रिटर्न में भी शामिल किया जाएगा और इसे भी न्यायालय की वेबसाइट पर प्रदर्शित किया जाएगा.

जिला जज मुहैया कराएंगे बुनियादी ढांचा और प्रौद्योगिकी सहायता : कोर्ट ने उचित सुविधाओं के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जिला एवं सत्र न्यायाधीश विशेष अदालतों के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा सुविधा सुनिश्चित करेंगे और इसे ऐसी तकनीक अपनाने में भी सक्षम बनाएंगे जो प्रभावी कामकाज के लिए उचित हो. साथ ही रजिस्ट्रार जनरल रजिस्ट्री के संबंधित अधिकारी को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी करेंगे कि जिन मामलों में मुकदमे पर रोक लगाई गई है, रोक हटाने के लिए उन्हें उचित पीठ के समक्ष तुरंत सूचीबद्ध किया जाए. खंडपीठ ने कहा कि प्रशासनिक पक्ष से विशेष अदालतों को आवश्यक निर्देश-जारी किए जाएं कि उक्त जानकारी भी मासिक आधार पर अपडेट की जाएगी. खंडपीठ याचिका पर अगली सुनवाई चार जनवरी को करेगी.

यह भी पढ़ें : सरकारी कर्मचारी के सर्विस रिकॉर्ड में दर्ज जन्मतिथि बदली नहीं जा सकती, हाई कोर्ट की टिप्पणी

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सांसदों और विधायकों से जुड़े आपराधिक मामलों के त्वरित निस्तारण के लिए कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं. कोर्ट ने माननीयों के ऐसे मामलों में अनावश्यक स्थगन नहीं दिए जाने के निर्देश दिए हैं.

कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता एवं न्यायमूर्ति समित गोपाल की खंडपीठ ने ये कदम अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम भारत संघ और अन्य में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के सिलसिले में स्वत: संज्ञान जनहित याचिका पर उठाए हैं. निर्वाचित प्रतिनिधियों से जुड़े आपराधिक मामलों के शीघ्र समाधान की निगरानी और सुनिश्चित करने की जनहित याचिका इन री डेजिग्नेटेड कोर्ट्स फॉर एमपी/एमएलए में खंडपीठ ने निर्देश दिया कि महाधिवक्ता या सरकारी वकील मामले में अदालत की सहायता करेंगे.

विशेष अदालतें करेंगी मासिक रिपोर्टिंग : पारदर्शिता की आवश्यकता पर जोर देते हुए कोर्ट ने आदेश दिया कि विशेष अदालतें पहले सांसदों और विधायकों के खिलाफ मौत या आजीवन कारावास की सजा वाले आपराधिक मामलों को प्राथमिकता देंगी. फिर पांच साल या उससे अधिक की कैद की सजा वाले मामलों को प्राथमिकता देंगी. इसके बाद अन्य मामलों की सुनवाई करेंगी.

कोई अनावश्यक स्थगन नहीं : खंडपीठ ने कहा कि विशेष अदालतें दुर्लभ और बाध्यकारी कारणों को छोड़कर मामलों को स्थगित नहीं करेंगी. खंडपीठ ने विशिष्ट निर्देश दिया कि यदि मामले की सुनवाई करने वाले मजिस्ट्रेट के किसी भी आदेश के खिलाफ सत्र अदालत के समक्ष कोई अपील या पुनरीक्षण लंबित है, तो ऐसे मामलों का विवरण मासिक रिटर्न में भी शामिल किया जाएगा और इसे भी न्यायालय की वेबसाइट पर प्रदर्शित किया जाएगा.

जिला जज मुहैया कराएंगे बुनियादी ढांचा और प्रौद्योगिकी सहायता : कोर्ट ने उचित सुविधाओं के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जिला एवं सत्र न्यायाधीश विशेष अदालतों के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा सुविधा सुनिश्चित करेंगे और इसे ऐसी तकनीक अपनाने में भी सक्षम बनाएंगे जो प्रभावी कामकाज के लिए उचित हो. साथ ही रजिस्ट्रार जनरल रजिस्ट्री के संबंधित अधिकारी को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी करेंगे कि जिन मामलों में मुकदमे पर रोक लगाई गई है, रोक हटाने के लिए उन्हें उचित पीठ के समक्ष तुरंत सूचीबद्ध किया जाए. खंडपीठ ने कहा कि प्रशासनिक पक्ष से विशेष अदालतों को आवश्यक निर्देश-जारी किए जाएं कि उक्त जानकारी भी मासिक आधार पर अपडेट की जाएगी. खंडपीठ याचिका पर अगली सुनवाई चार जनवरी को करेगी.

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