प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने झूंसी स्थित छतनाग रोड के चौड़ीकरण में याचियों की जमीन का उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना उपयोग न करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि याचियों के स्वामित्व वाली भूमि का उपयोग सड़क के चौड़ीकरण या किसी अन्य कार्य के लिए किया जाना है तो पहले उसे अधिग्रहीत किया जाएगा. इसके बाद फिर प्राधिकरण सड़क चौड़ीकरण या किसी अन्य कार्य के लिए उस भूमि का उपयोग करने के लिए आगे बढ़ेगा. यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर एवं न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने श्यामदेव, अशर्फीलाल सहित तीन लोगों की याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश पांडे व एडवोकेट विशाखा पांडे और पीडीए के वकील को सुनकर दिया है.
याचिका के अनुसार झूंसी निवासियों को आशंका है कि छतनाग रोड चौड़ीकरण कार्य की आड़ में प्रयागराज विकास प्राधिकरण बिना मुआवजा दिए और कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना उनकी निजी भूमि पर कब्जा कर सकता है. सीनियर एडवोकेट ने कहा कि यदि याचियों ने सरकारी भूमि पर कोई अवैध निर्माण किया है तो निश्चित रूप से प्राधिकरण को उसे हटाने का अधिकार है. यदि उनकी निजी भूमि पर कोई निर्माण किया गया है तो उसे पर्याप्त मुआवजा दिए बिना और कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना ध्वस्त नहीं किया जा सकता है.
प्रयागराज विकास प्राधिकरण के वकील अरुण कुमार ने कहा कि आसपास रहने वाले अधिकतर लोगों ने अवैध निर्माण किया है और उनकी बालकनी सड़क पर आ रही है, जिससे आवागमन में बाधा उत्पन्न हो रही है और लोगों को कठिनाई हो रही है. उन्होंने यह भी कहा कि याचियों को मुआवजा दिए बिना उनकी निजी भूमि का उपयोग सड़क के चौड़ीकरण या किसी अन्य कार्य के लिए नहीं किया जाएगा.
इस पर कोर्ट ने याचिका निस्तारित करते हुए पीडीए को निर्देश दिया कि याचियों की जमीन कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना सड़क के चौड़ीकरण के लिए उपयोग न करें. यदि उनके स्वामित्व वाली भूमि का उपयोग सड़क को चौड़ा करने या किसी अन्य कार्य के लिए किया जाना है, तो पहले उसे अधिग्रहीत किया जाएगा और फिर प्राधिकरण सड़क चौड़ीकरण या किसी अन्य कार्य के लिए भूमि का उपयोग करने के लिए आगे बढ़ेगा.
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