प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पासपोर्ट के संबंध में महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने एक आदेश में कहा कि आपराधिक केस दर्ज होने या अपील लंबित होने मात्र से पासपोर्ट जारी करने या नवीनीकरण करने से इनकार नहीं किया जा सकता. इसी के साथ कोर्ट ने रीजनल पासपोर्ट अधिकारी लखनऊ को याची को पासपोर्ट जारी करने पर विचार कर छह सप्ताह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी एवं न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने आकाश कुमार की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है.
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याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के अधिवक्ता नरेंद्र कुमार चटर्जी ने कहा कि पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक याची के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज है. याची को कारण बताओ नोटिस दिया गया है लेकिन अभी तक सफाई नहीं दी गई है, जिसका इंतजार किया जा रहा है. वहीं, याची के अधिवक्ता का कहना था कि सीआरपीसी की धारा 155 (1) के तहत जब तक मजिस्ट्रेट पुलिस को विवेचना का आदेश नहीं देता पुलिस एनसीआर केस की विवेचना नहीं कर सकती.
एफआईआर आईपीसी की धारा 323, 504 में दर्ज की गई है. सीआरपीसी की धारा 468 के तहत यदि मजिस्ट्रेट निश्चित अवधि में संज्ञान नहीं लेता तो एनसीआर व्यर्थ हो जाएगी. याची को किसी केस में सजा नहीं मिली है और न ही इस केस के अलावा कोई आपराधिक इतिहास है. इसके अलावा बासू यादव केस में सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि केवल आपराधिक केस दर्ज होने के कारण पासपोर्ट जारी करने से इनकार नहीं किया जा सकता है.