ETV Bharat / state

हाईकोर्ट का फैसला, आपराधिक केस के आधार पर पासपोर्ट देने से इनकार नहीं किया जा सकता

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पासपोर्ट जारी करने से संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि आपराधिक केस के आधार पर पासपोर्ट जारी करने से इंकार नहीं किया जा सकता.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 19, 2023, 9:25 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पासपोर्ट के संबंध में महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने एक आदेश में कहा कि आपराधिक केस दर्ज होने या अपील लंबित होने मात्र से पासपोर्ट जारी करने या नवीनीकरण करने से इनकार नहीं किया जा सकता. इसी के साथ कोर्ट ने रीजनल पासपोर्ट अधिकारी लखनऊ को याची को पासपोर्ट जारी करने पर विचार कर छह सप्ताह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी एवं न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने आकाश कुमार की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है.

इसे भी पढ़ें-आगरा में राधा स्वामी सत्संग भवन ध्वस्तीकरण पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला सुरक्षित

याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के अधिवक्ता नरेंद्र कुमार चटर्जी ने कहा कि पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक याची के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज है. याची को कारण बताओ नोटिस दिया गया है लेकिन अभी तक सफाई नहीं दी गई है, जिसका इंतजार किया जा रहा है. वहीं, याची के अधिवक्ता का कहना था कि सीआरपीसी की धारा 155 (1) के तहत जब तक मजिस्ट्रेट पुलिस को विवेचना का आदेश नहीं देता पुलिस एनसीआर केस की विवेचना नहीं कर सकती.

एफआईआर आईपीसी की धारा 323, 504 में दर्ज की गई है. सीआरपीसी की धारा 468 के तहत यदि मजिस्ट्रेट निश्चित अवधि में संज्ञान नहीं लेता तो एनसीआर व्यर्थ हो जाएगी. याची को किसी केस में सजा नहीं मिली है और न ही इस केस के अलावा कोई आपराधिक इतिहास है. इसके अलावा बासू यादव केस में सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि केवल आपराधिक केस दर्ज होने के कारण पासपोर्ट जारी करने से इनकार नहीं किया जा सकता है.

इसे भी पढ़ें-2009 में बहाल हुए 22 हजार सिपाहियों को सेवा संबंधी सभी लाभ देने पर सरकार ले निर्णयः हाईकोर्ट

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पासपोर्ट के संबंध में महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने एक आदेश में कहा कि आपराधिक केस दर्ज होने या अपील लंबित होने मात्र से पासपोर्ट जारी करने या नवीनीकरण करने से इनकार नहीं किया जा सकता. इसी के साथ कोर्ट ने रीजनल पासपोर्ट अधिकारी लखनऊ को याची को पासपोर्ट जारी करने पर विचार कर छह सप्ताह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी एवं न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने आकाश कुमार की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है.

इसे भी पढ़ें-आगरा में राधा स्वामी सत्संग भवन ध्वस्तीकरण पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला सुरक्षित

याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के अधिवक्ता नरेंद्र कुमार चटर्जी ने कहा कि पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक याची के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज है. याची को कारण बताओ नोटिस दिया गया है लेकिन अभी तक सफाई नहीं दी गई है, जिसका इंतजार किया जा रहा है. वहीं, याची के अधिवक्ता का कहना था कि सीआरपीसी की धारा 155 (1) के तहत जब तक मजिस्ट्रेट पुलिस को विवेचना का आदेश नहीं देता पुलिस एनसीआर केस की विवेचना नहीं कर सकती.

एफआईआर आईपीसी की धारा 323, 504 में दर्ज की गई है. सीआरपीसी की धारा 468 के तहत यदि मजिस्ट्रेट निश्चित अवधि में संज्ञान नहीं लेता तो एनसीआर व्यर्थ हो जाएगी. याची को किसी केस में सजा नहीं मिली है और न ही इस केस के अलावा कोई आपराधिक इतिहास है. इसके अलावा बासू यादव केस में सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि केवल आपराधिक केस दर्ज होने के कारण पासपोर्ट जारी करने से इनकार नहीं किया जा सकता है.

इसे भी पढ़ें-2009 में बहाल हुए 22 हजार सिपाहियों को सेवा संबंधी सभी लाभ देने पर सरकार ले निर्णयः हाईकोर्ट

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.