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शादीशुदा बेटी भी आश्रित कोटे में नियुक्ति पाने की हकदार: हाईकोर्ट

विवाहिता पुत्री भी मृतक आश्रित कोटे में अनुकंपा नियुक्ति पाने की हकदार है. विवाहित पुत्र की तरह वह भी परिवार की सदस्य हैं. हाई कोर्ट ने विवाहिता पुत्री होने के आधार पर आश्रित कोटे में नियुक्ति से इन्कार करने के पीएसी कमांडेंट लखनऊ के आदेश को रद्द कर दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Aug 19, 2021, 5:13 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि विवाहिता पुत्री भी मृतक आश्रित कोटे में अनुकंपा नियुक्ति पाने की हकदार है. विवाहित पुत्र की तरह वह भी परिवार की सदस्य हैं. कोर्ट ने विवाहिता पुत्री होने के आधार पर आश्रित कोटे में नियुक्ति से इंकार करने के पीएसी कमांडेंट लखनऊ के आदेश को रद्द कर दिया है और नियुक्ति पर विचार करने का निर्देश दिया है. साथ ही कहा है कि विवाहिता पुत्री होने के कारण नियुक्ति देने से इंकार न किया जाए.

यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने श्रीमती संजू यादव की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है. याचिका पर अधिवक्ता राम विलास यादव ने बहस की. इनका कहना था कि याची के पिता पीएसी में हेड कांस्टेबल थे. सेवाकाल में मृत्यु हो गई. पीछे उनकी पत्नी व शादीशुदा बेटी रह गई. याची की मां ने अर्जी दी कि उसकी बेटी को आश्रित कोटे में नियुक्ति दी जाए. जिसे इस आधार पर निरस्त कर दिया गया कि याची शादीशुदा बेटी होने के कारण नियुक्ति पाने की हकदार नहीं हैं.

इसे भी पढ़ें-इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तबादला नीति के खिलाफ किए गए स्थानांतरण पर लगायी रोक

याची अधिवक्ता का कहना था कि हाईकोर्ट ने विमला श्रीवास्तव केस में शादी शुदा बेटी को भी आश्रित की बेटी माना है. जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने विशेष अनुमति याचिका भी खारिज कर दी है. ऐसे में इस आधार पर अर्जी खारिज नहीं की जा सकती.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि विवाहिता पुत्री भी मृतक आश्रित कोटे में अनुकंपा नियुक्ति पाने की हकदार है. विवाहित पुत्र की तरह वह भी परिवार की सदस्य हैं. कोर्ट ने विवाहिता पुत्री होने के आधार पर आश्रित कोटे में नियुक्ति से इंकार करने के पीएसी कमांडेंट लखनऊ के आदेश को रद्द कर दिया है और नियुक्ति पर विचार करने का निर्देश दिया है. साथ ही कहा है कि विवाहिता पुत्री होने के कारण नियुक्ति देने से इंकार न किया जाए.

यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने श्रीमती संजू यादव की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है. याचिका पर अधिवक्ता राम विलास यादव ने बहस की. इनका कहना था कि याची के पिता पीएसी में हेड कांस्टेबल थे. सेवाकाल में मृत्यु हो गई. पीछे उनकी पत्नी व शादीशुदा बेटी रह गई. याची की मां ने अर्जी दी कि उसकी बेटी को आश्रित कोटे में नियुक्ति दी जाए. जिसे इस आधार पर निरस्त कर दिया गया कि याची शादीशुदा बेटी होने के कारण नियुक्ति पाने की हकदार नहीं हैं.

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याची अधिवक्ता का कहना था कि हाईकोर्ट ने विमला श्रीवास्तव केस में शादी शुदा बेटी को भी आश्रित की बेटी माना है. जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने विशेष अनुमति याचिका भी खारिज कर दी है. ऐसे में इस आधार पर अर्जी खारिज नहीं की जा सकती.

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