प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग बच्चियों के साथ बढ़ती दुराचार की घटनाओं पर चिंता जाहिर की है. ऐसे जघन्य अपराध पर सख्ती से रोक लगाई जानी चाहिए यह कहते हुए कोर्ट ने 13 साल की पांचवीं कक्षा की छात्रा से दुराचार के आरोपी को जमानत पर रिहा करने से इंकार कर दिया. कोर्ट ने सुनवाई के बाद कहा कि ऐसे जघन्य कृत्यों के खिलाफ कड़े कदम नहीं उठाए गए तो आपराधिक न्याय तंत्र से लोगों का विश्वास उठ जाएगा. यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने जसमान सिंह उर्फ पप्पू यादव की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए दिया है.
कोर्ट ने कहा है कि याची ने जमानत अर्जी में तथ्य छिपाये. याची ने जमानत अर्जी में कहा कि उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है. जबकि सत्र अदालत के आदेश में ही छः आपराधिक मामलों का उल्लेख है. जमानत अर्जी में याची ने कहा कि उसे जमीन विवाद की वजह से फंसाया गया, किन्तु याची द्वारा कोई ब्यौरा नहीं दिया गया.
कोर्ट ने कहा छोटी बच्ची जिसे सेक्स का मतलब भी नहीं मालूम, भारत में ऐसी बेटियों की पूजा होती है. उनके खिलाफ जघन्य दुराचार की घटनाएं बढ़ रही है. अधिकांश परिवार इज्जत बचाने के लिए चुप रह जाते हैं, रिपोर्ट नहीं लिखाते.
बता दें कि आरोपी याची के खिलाफ ललितपुर के जखौटा थाने में पीड़िता की चाची ने एफआईआर दर्ज कराई थी.घटना के समय परिवार खेत में था और लड़की घर में अकेली थी. जब परिवार के लोग घर आए तो एक आरोपी दीवार फांद कर भाग गया. तीन लोगों को मौके पर पकड़ लिया गया. लड़की जब होश में आई तो उसने घटना का ब्यौरा दिया. शाम की घटना की दूसरे दिन एफआईआर दर्ज कराई गई. मेडिकल जांच रिपोर्ट में दुराचार की पुष्टि हुई. पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान में भी आरोप दोहराये थे. याची 16 फरवरी 2019 से जेल में बंद हैं.