प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी बोर्ड परीक्षा के मध्य में जेल वार्डन का स्थानांतरण एक जेल से दूसरे जेल में किए जाने के आदेश पर परीक्षा संपन्न होने तक के लिए रोक लगा दी है. जबकि इसी प्रकार के एक अन्य मामले में कोर्ट ने स्थानांतरित जेल अधिकारी को अपना प्रत्यावेदन संबंधित अधिकारी को देने का निर्देश दिया है. जेल वार्डन गोपाल पांडे और आनंद कुमार सिंह की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान ने दिया है.
याचियों का पक्ष रख रहे अधिवक्ता शर्देंदु मिश्रा का कहना था कि गोपाल पांडे गाजीपुर जेल में तैनात है. 8 दिसंबर 2022 को उसका स्थानांतरण बरेली जिला जेल के लिए कर दिया गया. अभी तक याची को उसके मौजूदा तैनाती से रिलीव नहीं किया गया है. जबकि याची के बेटे की हाईस्कूल की परीक्षा फरवरी व मार्च में होनी है. ऐसी स्थिति में इस समय स्थानांतरण किए जाने से याची और उसके परिवार को काफी कठिनाई होगी. यह भी कहा गया कि याची स्थानांतरित स्थल पर ज्वाइन करने के लिए तैयार है, परंतु परीक्षा समाप्त हो जाने के बाद.
इस पर कोर्ट ने कहा कि याची के स्थानांतरण आदेश पर 31 मार्च 2023 तक अमल न किया जाए. इसके बाद यदि वह नई पोस्टिंग पर ज्वाइन नहीं करता है तो विभाग उसके विरुद्ध कार्रवाई कर सकता है. कोर्ट ने यह भी कहा कि स्थानांतरण सेवा का अनिवार्य हिस्सा है. हालांकि नियोक्ता के लिए कर्मचारी की शिकायतों का निवारण करना भी अनिवार्य है. विशेषकर जब उसके बच्चे पढ़ रहे हो तो मिड टर्म में स्थानांतरण करने से उनकी पढ़ाई प्रभावित होगी. कोर्ट ने कहा कि कल्याणकारी राज्य की जिम्मेदारी है कि किसी प्रशासनिक आदेश के कारण होने वाले नुकसान से अपने नागरिकों की रक्षा करें.
इसी प्रकार से आनंद कुमार सिंह के केस में याची आनंद सिंह गाजीपुर जेल में वार्डन है. उनका स्थानांतरण फतेहगढ़ के लिए किया गया. उनका कहना था कि उसकी पत्नी बीमार है, जिसका उपचार चल रहा है और बेटा हाई स्कूल में पढ़ रहा है. ऐसे में स्थानांतरण करने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ेगा. कोर्ट ने कहा कि वह अपनी शिकायतों से संबंधित आवेदन संबंधित अधिकारी को दें और संबंधित अधिकारी उस पर उसकी पत्नी की बीमारी व अन्य बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए निर्णय लें. चूंकि याची का बेटा प्रयागराज में पढ़ता है इसलिए उसकी पढ़ाई का बिंदु विचारणीय नहीं है.
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