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बाहुबली मुख्तार अंसारी की बीवी व साले की गिरफ्तारी पर रोक, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब

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Published : Jan 11, 2022, 10:53 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी की बीवी अफसा अंसारी, साले आतिफ रजा व अन्य की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है और राज्य सरकार से याचिका पर जवाब मांगा है.

बाहुबली मुख्तार अंसारी की बीवी व सालों की गिरफ्तारी पर रोक
बाहुबली मुख्तार अंसारी की बीवी व सालों की गिरफ्तारी पर रोक

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी की बीवी अफसा अंसारी, साले आतिफ रजा व अन्य की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है और राज्य सरकार से याचिका पर जवाब मांगा है.

दरअसल, मुख्तार अंसारी की बीवी व उनके साले पर सरकारी जमीन पर गोदाम बनाकर उत्तर प्रदेश बीज निगम को करोड़ों रुपये पर किराए पर उठाने का आरोप है. वहीं, यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति साधना रानी ठाकुर की खंडपीठ ने आतिफ रजा व अन्य की याचिका पर दिया है. याचिका पर अधिवक्ता उपेन्द्र उपाध्याय ने बहस की.

इनका कहना है कि याची विकास कांस्ट्रक्शन राजदेपुर देहाती रौजा गाजीपुर का भागीदार है. बीज निगम ने टेंडर जारी किया. याची की फर्म को ठेका मिला. उसने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से लोन लेकर गोदाम व सड़क बनाया. निगम व फर्म के बीच संविदा हुई. दो करोड़ 91 लाख76 हजार 873 रुपये किराया तय हुआ. निगम ने किराया दे दिया.

इसे भी पढ़ें- मेरे पिता अभी किसी पार्टी में शामिल नहीं हुए हैं : स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी

इसके बाद जिला प्रशासन ने खाता सीज कर दिया और कहा सरकारी जमीन पर गोदाम बना है. इस पर एफआईआर दर्ज कराई गई है. याचीगण का कहना है कि गाटा संख्या 341 का रकबा 100 बीघा है. याची ने उसमें से कास्तकारों से 19 बीघे का बैनामा कराया है. इस मामले में पहले भी एफआईआर दर्ज है. अब उसी मामले में दुबारा केस दर्ज नहीं किया जा सकता. पहली प्राथमिकी के आरोप सिविल प्रकृति के हैं. आपराधिक कार्यवाही नहीं की जा सकती. कोर्ट ने मुद्दा विचारणीय माना और जवाब तलब किया है.

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प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी की बीवी अफसा अंसारी, साले आतिफ रजा व अन्य की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है और राज्य सरकार से याचिका पर जवाब मांगा है.

दरअसल, मुख्तार अंसारी की बीवी व उनके साले पर सरकारी जमीन पर गोदाम बनाकर उत्तर प्रदेश बीज निगम को करोड़ों रुपये पर किराए पर उठाने का आरोप है. वहीं, यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति साधना रानी ठाकुर की खंडपीठ ने आतिफ रजा व अन्य की याचिका पर दिया है. याचिका पर अधिवक्ता उपेन्द्र उपाध्याय ने बहस की.

इनका कहना है कि याची विकास कांस्ट्रक्शन राजदेपुर देहाती रौजा गाजीपुर का भागीदार है. बीज निगम ने टेंडर जारी किया. याची की फर्म को ठेका मिला. उसने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से लोन लेकर गोदाम व सड़क बनाया. निगम व फर्म के बीच संविदा हुई. दो करोड़ 91 लाख76 हजार 873 रुपये किराया तय हुआ. निगम ने किराया दे दिया.

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इसके बाद जिला प्रशासन ने खाता सीज कर दिया और कहा सरकारी जमीन पर गोदाम बना है. इस पर एफआईआर दर्ज कराई गई है. याचीगण का कहना है कि गाटा संख्या 341 का रकबा 100 बीघा है. याची ने उसमें से कास्तकारों से 19 बीघे का बैनामा कराया है. इस मामले में पहले भी एफआईआर दर्ज है. अब उसी मामले में दुबारा केस दर्ज नहीं किया जा सकता. पहली प्राथमिकी के आरोप सिविल प्रकृति के हैं. आपराधिक कार्यवाही नहीं की जा सकती. कोर्ट ने मुद्दा विचारणीय माना और जवाब तलब किया है.

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