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फ्लैट की नीलामी का मामला: हाईकोर्ट ने जीडीए से मांगी जानकारी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाजियाबाद विकास प्राधिकरण कर्मचारी को किराए पर आवंटित फ्लैट की नीलामी के खिलाफ याचिका पर प्राधिकरण से जानकारी मांगी है. याचिका की अगली सुनवाई चार जनवरी को होगी.

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Published : Dec 26, 2020, 8:32 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट.
इलाहाबाद हाईकोर्ट.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाजियाबाद विकास प्राधिकरण कर्मचारी को किराए पर आवंटित फ्लैट की नीलामी के खिलाफ याचिका पर प्राधिकरण से जानकारी मांगी है. हाईकोर्ट ने पूछा है कि क्या निर्धारित न्यूनतम कीमत पर फ्लैट की बिक्री करने को तैयार है. शीतकालीन अवकाश में गठित विशेष पीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए यह जानकारी मांगी है. याचिका की अगली सुनवाई चार जनवरी को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने प्राधिकरण कर्मचारी महेन्द्र कुमार शर्मा की याचिका पर दिया है.

याची का कहना है कि वह गाजियाबाद विकास प्राधिकरण कर्मचारी है. उसे किराए पर कर्पूरीपुरम योजना में फ्लैट संख्या केए 153 आवंटित किया गया, लेकिन बाद में उसे फ्लैट संख्या केए 142 आवंटित कर दिया गया. वर्ष 2016 में जीडीए कर्मियों को फ्लैट बेचने का निर्णय लिया गया था. इसके तहत बिक्री से बचे फ्लैटों की नीलामी करने की नोटिस जारी की गई. 22 दिसम्बर 2020 की इस नोटिस को याचिका में चुनौती दी गई. क्योंकि जिस फ्लैट में याची रह रहा है उसकी भी नीलामी की जा रही है. दो फ्लैटों की नीलामी वापस ले ली गई है. इनमें रह रहे लोगों की मौत हो चुकी है. याची ने कहा कि उसके आवास की भी नीलामी रोकी जानी चाहिए.

जीडीए के वरिष्ठ अधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी का कहना है कि शास्त्री नगर योजना के फ्लैट कर्मचारी को दिए गए हैं. याची कर्पूरीपुरम योजना में है. यह अलग योजना है. उस योजना का लाभ इसमें नहीं मांग सकते हैं. जीडीए तय कीमत पर लाभ में बेचने के लिए अधिकृत है. किराएदार को चुनौती देने का अधिकार नहीं है. इस पर याची ने कहा कि वह प्राधिकरण द्वारा निर्धारित न्यूनतम कीमत पर फ्लैट खरीदने को तैयार है. जीडीए अधिवक्ता ने जानकारी लेने के लिए समय मांगा है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाजियाबाद विकास प्राधिकरण कर्मचारी को किराए पर आवंटित फ्लैट की नीलामी के खिलाफ याचिका पर प्राधिकरण से जानकारी मांगी है. हाईकोर्ट ने पूछा है कि क्या निर्धारित न्यूनतम कीमत पर फ्लैट की बिक्री करने को तैयार है. शीतकालीन अवकाश में गठित विशेष पीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए यह जानकारी मांगी है. याचिका की अगली सुनवाई चार जनवरी को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने प्राधिकरण कर्मचारी महेन्द्र कुमार शर्मा की याचिका पर दिया है.

याची का कहना है कि वह गाजियाबाद विकास प्राधिकरण कर्मचारी है. उसे किराए पर कर्पूरीपुरम योजना में फ्लैट संख्या केए 153 आवंटित किया गया, लेकिन बाद में उसे फ्लैट संख्या केए 142 आवंटित कर दिया गया. वर्ष 2016 में जीडीए कर्मियों को फ्लैट बेचने का निर्णय लिया गया था. इसके तहत बिक्री से बचे फ्लैटों की नीलामी करने की नोटिस जारी की गई. 22 दिसम्बर 2020 की इस नोटिस को याचिका में चुनौती दी गई. क्योंकि जिस फ्लैट में याची रह रहा है उसकी भी नीलामी की जा रही है. दो फ्लैटों की नीलामी वापस ले ली गई है. इनमें रह रहे लोगों की मौत हो चुकी है. याची ने कहा कि उसके आवास की भी नीलामी रोकी जानी चाहिए.

जीडीए के वरिष्ठ अधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी का कहना है कि शास्त्री नगर योजना के फ्लैट कर्मचारी को दिए गए हैं. याची कर्पूरीपुरम योजना में है. यह अलग योजना है. उस योजना का लाभ इसमें नहीं मांग सकते हैं. जीडीए तय कीमत पर लाभ में बेचने के लिए अधिकृत है. किराएदार को चुनौती देने का अधिकार नहीं है. इस पर याची ने कहा कि वह प्राधिकरण द्वारा निर्धारित न्यूनतम कीमत पर फ्लैट खरीदने को तैयार है. जीडीए अधिवक्ता ने जानकारी लेने के लिए समय मांगा है.

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