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उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने की आरक्षण प्रावधानों की अनदेखी, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

सहायक प्रोफेसर भर्ती 2016 में चयन सूची बनाने में आरक्षण प्रावधानों की अनदेखी करने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग से जवाब मांगा है. इसके साथ ही कोर्ट ने आयोग को मामले में सहायक प्रोफेसर भर्ती 2016 की मूल मेरिट लिस्ट और महिलाओं की सूची तथा अभ्यर्थियों को मिले अंकों की सूची चार फरवरी को प्रस्तुत करने का आदेश दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Jan 24, 2021, 4:36 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग से सहायक प्रोफेसर भर्ती 2016 में चयन सूची बनाने में आरक्षण प्रावधानों की अनदेखी करने के मामले में चयन सूची तथा अभ्यर्थियों के प्राप्त अंकों का ब्यौरा तलब किया है. साथ ही आयोग से जवाब भी मांगा है. इस मामले में मोनिका गुप्ता व अन्य ने याचिका दाखिल की थी. शनिवार को इस याचिका पर न्यायमूर्ति एसडी सिंह सुनवाई की. इस मामले में याचिका दाखिल कर कहा गया है कि ‌आयोग ने जिन सामान्य वर्ग की महिला अभ्यर्थियों के अंक पुरुष अभ्यर्थियों से अधिक थे उनको भी सामान्य वर्ग की महिला सूची में रख दिया है, जिस कारण इससे कम अंक पाने वाली महिला अभ्यर्थियों का चयन नहीं हो सका है.

'याचीगणों को जाना पड़ा वेटिंग लिस्ट में'

याचीगण का पक्ष रख रहे अधिवक्ता सीमांत सिंह का कहना था कि आयोग द्वारा 23 अक्तूबर 2020 को जारी चयन सूची में सामान्य वर्ग में 28 महिला अभ्यर्थियों का चयन हुआ. इनमें से 23 अभ्यर्थी ऐसी हैं जिनकी कट ऑफ मेरिट अंतिम चयनित पुरुष अभ्यर्थी से अधिक है. नियमानुसार इन महिलाओं को सामान्य मेरिट लिस्ट में स्थान मिलना चाहिए, मगर आयोग ने सभी चयनित महिला अभ्यर्थियों को महिलाओं के लिए आरक्षित सूची में रख दिया. इससे याचीगण को वेटिंग लिस्ट में जाना पड़ा. यदि अधिक अंक पाने वाली महिलाओं को सामान्य मेरिट में रखा जाए तो याचीगण का चयन महिलाओं की ‌मेरिट लिस्ट में हो सकता है.

'चार फरवरी को ब्योरा पेश करे आयोग'

अधिवक्ता का कहना था कि चयन प्रक्रिया में दो मेरिट लिस्ट बनाने का नियम है. इनमें से एक सामान्य लिस्ट और दूसरी सिर्फ महिलाओं की लिस्ट होती है. अधिक मेरिट वाली महिला अभ्यर्थी भी सामान्य लिस्ट में ही शामिल की जाएंगी, मगर आयोग ने इस नियम की अनदेखी कर सभी महिला अभ्यर्थियों को सिर्फ महिलाओं की मेरिट लिस्ट में डाल दिया है. इस मामले में कोर्ट ने उच्चतर शिक्षा आयोग को मूल मेरिट लिस्ट और महिलाओं की सूची तथा अभ्यर्थियों को मिले अंकों की सूची चार फरवरी को प्रस्तुत करने का आदेश दिया है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग से सहायक प्रोफेसर भर्ती 2016 में चयन सूची बनाने में आरक्षण प्रावधानों की अनदेखी करने के मामले में चयन सूची तथा अभ्यर्थियों के प्राप्त अंकों का ब्यौरा तलब किया है. साथ ही आयोग से जवाब भी मांगा है. इस मामले में मोनिका गुप्ता व अन्य ने याचिका दाखिल की थी. शनिवार को इस याचिका पर न्यायमूर्ति एसडी सिंह सुनवाई की. इस मामले में याचिका दाखिल कर कहा गया है कि ‌आयोग ने जिन सामान्य वर्ग की महिला अभ्यर्थियों के अंक पुरुष अभ्यर्थियों से अधिक थे उनको भी सामान्य वर्ग की महिला सूची में रख दिया है, जिस कारण इससे कम अंक पाने वाली महिला अभ्यर्थियों का चयन नहीं हो सका है.

'याचीगणों को जाना पड़ा वेटिंग लिस्ट में'

याचीगण का पक्ष रख रहे अधिवक्ता सीमांत सिंह का कहना था कि आयोग द्वारा 23 अक्तूबर 2020 को जारी चयन सूची में सामान्य वर्ग में 28 महिला अभ्यर्थियों का चयन हुआ. इनमें से 23 अभ्यर्थी ऐसी हैं जिनकी कट ऑफ मेरिट अंतिम चयनित पुरुष अभ्यर्थी से अधिक है. नियमानुसार इन महिलाओं को सामान्य मेरिट लिस्ट में स्थान मिलना चाहिए, मगर आयोग ने सभी चयनित महिला अभ्यर्थियों को महिलाओं के लिए आरक्षित सूची में रख दिया. इससे याचीगण को वेटिंग लिस्ट में जाना पड़ा. यदि अधिक अंक पाने वाली महिलाओं को सामान्य मेरिट में रखा जाए तो याचीगण का चयन महिलाओं की ‌मेरिट लिस्ट में हो सकता है.

'चार फरवरी को ब्योरा पेश करे आयोग'

अधिवक्ता का कहना था कि चयन प्रक्रिया में दो मेरिट लिस्ट बनाने का नियम है. इनमें से एक सामान्य लिस्ट और दूसरी सिर्फ महिलाओं की लिस्ट होती है. अधिक मेरिट वाली महिला अभ्यर्थी भी सामान्य लिस्ट में ही शामिल की जाएंगी, मगर आयोग ने इस नियम की अनदेखी कर सभी महिला अभ्यर्थियों को सिर्फ महिलाओं की मेरिट लिस्ट में डाल दिया है. इस मामले में कोर्ट ने उच्चतर शिक्षा आयोग को मूल मेरिट लिस्ट और महिलाओं की सूची तथा अभ्यर्थियों को मिले अंकों की सूची चार फरवरी को प्रस्तुत करने का आदेश दिया है.

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