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धोखाधड़ी के आरोपी आदेश भाटी की सशर्त जमानत मंजूर - गौतमबुद्धनगर

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दादरी गौतमबुद्धनगर के अजीत कुमार उर्फ आदेश भाटी की सशर्त जमानत मंजूर कर ली है. इन पर धोखाधड़ी और निवेशकों के लाखों रुपये हजम करने का आरोप है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट.
इलाहाबाद हाईकोर्ट.
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Published : Mar 4, 2021, 7:32 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दादरी गौतमबुद्धनगर के अजीत कुमार उर्फ आदेश भाटी की सशर्त जमानत मंजूर कर ली है. इन पर धोखाधड़ी और निवेशकों के लाखों रुपये हजम करने का आरोप है. यह आदेश न्यायमूर्ति ओम प्रकाश ने दिया.

सह अभियुक्त डायरेक्टर संजय गोयल की मेसर्स इनोवेटिव प्रमोटर्स लि कंपनी में ढाई लाख निवेशकों के 3500 करोड़ रुपये लगे हैं. इसकी ईडी जांच चल रही है. दादरी थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है. याची का कहना है कि वह कंपनी डायरेक्टर नहीं है. उसका कंपनी से संबंध नहीं है. उसने बाइक वोट स्कीम में पैसा लगाया है. अभी तक उसे कोई लाभ नहीं मिला है. वह खुद पीड़ित है. उसे कंपनी ने चेक दिए थे, लेकिन कैश नहीं कराए हैं. पुलिस के सामने अपराध स्वीकार करना साक्ष्य में ग्राह्य नहीं है. उसके खिलाफ धोखाधड़ी का कोई सबूत नहीं है. सरकार का कहना था कि पैसा याची के खाते में जमा हुआ, लेकिन उसने आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया है. कंपनी ने रिजर्व बैंक की गाइडलाइंस का उल्लंघन किया है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने डेढ़ साल से जेल में बंद याची की सशर्त रिहाई का आदेश दिया है.

शिक्षा निदेशक माध्यमिक अवमानना के दोषी करार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला विद्यालय निरीक्षक संत कबीर नगर गिरीश कुमार सिंह और शिक्षा निदेशक माध्यमिक उप्र लखनऊ विनय कुमार पांडेय को अवमानना का दोषी करार दिया है. साथ ही कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा है कि क्यों न उन्हें जानबूझकर कोर्ट आदेश की अवहेलना करने तथा कोर्ट आदेश के पालन पर रोक लगाने के लिए अवमानना के आरोप में केस चलाकर दंडित किया जाय. कोर्ट ने दोनों अधिकारियो को 16 मार्च को हाजिर होने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने रमाकांत त्रिपाठी और दो अन्य की अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है.

हाईकोर्ट के आदेश पर जिला विद्यालय निरीक्षक हाजिर थे. उन्हें नोटिस दे दी गई और शिक्षा निदेशक माध्यमिक को नोटिस जारी की गई है. जिला विद्यालय निरीक्षक ने हाईकोर्ट को बताया कि निदेशक ने एक फरवरी 2019 के आदेश से निर्देश दिया है कि वित्तीय मामले में बिना सरकार की अनुमति के भुगतान न किए जाएं, जिसकी वजह से आदेश का पालन नहीं हो सका है. हाईकोर्ट ने कहा कि सरकारी आदेश कोर्ट के आदेश पर प्रभावी नहीं होंगे. हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना की छूट नहीं दी जा सकती है.

विद्युत निगम की अधिवक्ता पैनल चयन प्रक्रिया को चुनौती

उप्र राज्य विद्युत निगम लि. ने नए सिरे से अधिवक्ता पैनल गठित करने की कार्यवाही की वैधता को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी है. प्रयागराज के निवासी अधिवक्ता अनूप स्वरूप श्रीवास्तव ने याचिका दाखिल कर कहा है कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के दिशा-निर्देश पर बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने गाइडलाइन 21 दिसम्बर 2018 को जारी की और सारे चयन उसी गाइडलाइन के अनुसार होने चाहिए. पावर कारपोरेशन के चेयरमैन ने बोर्ड ऑफ डायरेक्टर द्वारा बनाई गई गाइडलाइन को दरकिनार करते हुए पुनः चयन प्रक्रिया शुरू कर दी है, जबकि बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के निर्देशानुसार गठित अधिवक्ता पैनल का कार्यकाल मार्च 2022 तक है.

21 दिसम्बर 2018 के दिशा-निर्देश से DISCOM को अपने अधिवक्ता पैनल गठित करने का जो अधिकार दिया गया था, उसे भी पावर कॉर्पिराशन के चेयरमैन ने 3 फरवरी 2021 को अपने कार्यकारी आदेश से वापस ले लिया, जिसका उन्हें कोई अधिकार नहीं है. बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के दिशा-निर्देश में किसी भी प्रकार का संसोधन बोर्ड ऑफ डायरेक्टर ही कर सकते हैं.

याची का कहना है कि राज्य विद्युत निगम के चेयरमैन को बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की 21 दिसम्बर 2018 की गाइडलाइन का उल्लंघन करने और DISCOM के पैनल अधिवक्ता के गठन का अधिकार नहीं है. गाइडलाइन के अनुसार गठित पावर कारपोरेशन के पैनल के अधिवक्ताओं का कार्यकाल अभी पूरा नहीं हुआ है. उससे पहले नया पैनल बनाना मनमानापूर्ण और उनके अधिकारों का हनन है. याचिका में 12 दिसम्बर 2020 को जारी विज्ञापन को और चेयरमैन के 3 फरवरी 2021 के आदेश को निरस्त करने की मांग की गई है.

उप निदेशक उमेद सिंह रावत को किया तलब

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उप शिक्षा निदेशक सहारनपुर रीजन उमेद सिंह रावत को कोर्ट की अवमानना का दोषी करार दिया है. साथ ही कारण बताओ नोटिस जारी कर 18 मार्च को हाजिर होकर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है कि क्यों न उन्हें अवमानना कार्यवाही के जानबूझकर आदेश की अवहेलना करने के आरोप में दंडित किया जाय. यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने वीरामवती की अवमानना याचिका पर दिया है.

हाईकोर्ट ने जिला विद्यालय निरीक्षक राम प्रताप शर्मा को अवमानना कार्यवाही से मुक्त कर दिया है. इनका कहना था कि वह आदेश पालन के सक्षम अधिकारी नहीं हैं. उप निदेशक शिक्षा सक्षम अधिकारी है. हाईकोर्ट ने कहा कि एकलपीठ के आदेश के खिलाफ विशेष अपील खारिज हो चुकी है तो आदेश का पालन क्यों नहीं किया गया. इस पर उप निदेशक ने बताया कि एसएलपी दाखिल है. कोर्ट ने कहा कि अपील दाखिल करने मात्र से आदेश की अवहेलना करने की छूट नहीं मिल जाती. उप निदेशक जानबूझकर कर आदेश का पालन न करने के दोषी हैं. याचिका की सुनवाई 18 मार्च को होगी.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दादरी गौतमबुद्धनगर के अजीत कुमार उर्फ आदेश भाटी की सशर्त जमानत मंजूर कर ली है. इन पर धोखाधड़ी और निवेशकों के लाखों रुपये हजम करने का आरोप है. यह आदेश न्यायमूर्ति ओम प्रकाश ने दिया.

सह अभियुक्त डायरेक्टर संजय गोयल की मेसर्स इनोवेटिव प्रमोटर्स लि कंपनी में ढाई लाख निवेशकों के 3500 करोड़ रुपये लगे हैं. इसकी ईडी जांच चल रही है. दादरी थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है. याची का कहना है कि वह कंपनी डायरेक्टर नहीं है. उसका कंपनी से संबंध नहीं है. उसने बाइक वोट स्कीम में पैसा लगाया है. अभी तक उसे कोई लाभ नहीं मिला है. वह खुद पीड़ित है. उसे कंपनी ने चेक दिए थे, लेकिन कैश नहीं कराए हैं. पुलिस के सामने अपराध स्वीकार करना साक्ष्य में ग्राह्य नहीं है. उसके खिलाफ धोखाधड़ी का कोई सबूत नहीं है. सरकार का कहना था कि पैसा याची के खाते में जमा हुआ, लेकिन उसने आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया है. कंपनी ने रिजर्व बैंक की गाइडलाइंस का उल्लंघन किया है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने डेढ़ साल से जेल में बंद याची की सशर्त रिहाई का आदेश दिया है.

शिक्षा निदेशक माध्यमिक अवमानना के दोषी करार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला विद्यालय निरीक्षक संत कबीर नगर गिरीश कुमार सिंह और शिक्षा निदेशक माध्यमिक उप्र लखनऊ विनय कुमार पांडेय को अवमानना का दोषी करार दिया है. साथ ही कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा है कि क्यों न उन्हें जानबूझकर कोर्ट आदेश की अवहेलना करने तथा कोर्ट आदेश के पालन पर रोक लगाने के लिए अवमानना के आरोप में केस चलाकर दंडित किया जाय. कोर्ट ने दोनों अधिकारियो को 16 मार्च को हाजिर होने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने रमाकांत त्रिपाठी और दो अन्य की अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है.

हाईकोर्ट के आदेश पर जिला विद्यालय निरीक्षक हाजिर थे. उन्हें नोटिस दे दी गई और शिक्षा निदेशक माध्यमिक को नोटिस जारी की गई है. जिला विद्यालय निरीक्षक ने हाईकोर्ट को बताया कि निदेशक ने एक फरवरी 2019 के आदेश से निर्देश दिया है कि वित्तीय मामले में बिना सरकार की अनुमति के भुगतान न किए जाएं, जिसकी वजह से आदेश का पालन नहीं हो सका है. हाईकोर्ट ने कहा कि सरकारी आदेश कोर्ट के आदेश पर प्रभावी नहीं होंगे. हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना की छूट नहीं दी जा सकती है.

विद्युत निगम की अधिवक्ता पैनल चयन प्रक्रिया को चुनौती

उप्र राज्य विद्युत निगम लि. ने नए सिरे से अधिवक्ता पैनल गठित करने की कार्यवाही की वैधता को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी है. प्रयागराज के निवासी अधिवक्ता अनूप स्वरूप श्रीवास्तव ने याचिका दाखिल कर कहा है कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के दिशा-निर्देश पर बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने गाइडलाइन 21 दिसम्बर 2018 को जारी की और सारे चयन उसी गाइडलाइन के अनुसार होने चाहिए. पावर कारपोरेशन के चेयरमैन ने बोर्ड ऑफ डायरेक्टर द्वारा बनाई गई गाइडलाइन को दरकिनार करते हुए पुनः चयन प्रक्रिया शुरू कर दी है, जबकि बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के निर्देशानुसार गठित अधिवक्ता पैनल का कार्यकाल मार्च 2022 तक है.

21 दिसम्बर 2018 के दिशा-निर्देश से DISCOM को अपने अधिवक्ता पैनल गठित करने का जो अधिकार दिया गया था, उसे भी पावर कॉर्पिराशन के चेयरमैन ने 3 फरवरी 2021 को अपने कार्यकारी आदेश से वापस ले लिया, जिसका उन्हें कोई अधिकार नहीं है. बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के दिशा-निर्देश में किसी भी प्रकार का संसोधन बोर्ड ऑफ डायरेक्टर ही कर सकते हैं.

याची का कहना है कि राज्य विद्युत निगम के चेयरमैन को बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की 21 दिसम्बर 2018 की गाइडलाइन का उल्लंघन करने और DISCOM के पैनल अधिवक्ता के गठन का अधिकार नहीं है. गाइडलाइन के अनुसार गठित पावर कारपोरेशन के पैनल के अधिवक्ताओं का कार्यकाल अभी पूरा नहीं हुआ है. उससे पहले नया पैनल बनाना मनमानापूर्ण और उनके अधिकारों का हनन है. याचिका में 12 दिसम्बर 2020 को जारी विज्ञापन को और चेयरमैन के 3 फरवरी 2021 के आदेश को निरस्त करने की मांग की गई है.

उप निदेशक उमेद सिंह रावत को किया तलब

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उप शिक्षा निदेशक सहारनपुर रीजन उमेद सिंह रावत को कोर्ट की अवमानना का दोषी करार दिया है. साथ ही कारण बताओ नोटिस जारी कर 18 मार्च को हाजिर होकर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है कि क्यों न उन्हें अवमानना कार्यवाही के जानबूझकर आदेश की अवहेलना करने के आरोप में दंडित किया जाय. यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने वीरामवती की अवमानना याचिका पर दिया है.

हाईकोर्ट ने जिला विद्यालय निरीक्षक राम प्रताप शर्मा को अवमानना कार्यवाही से मुक्त कर दिया है. इनका कहना था कि वह आदेश पालन के सक्षम अधिकारी नहीं हैं. उप निदेशक शिक्षा सक्षम अधिकारी है. हाईकोर्ट ने कहा कि एकलपीठ के आदेश के खिलाफ विशेष अपील खारिज हो चुकी है तो आदेश का पालन क्यों नहीं किया गया. इस पर उप निदेशक ने बताया कि एसएलपी दाखिल है. कोर्ट ने कहा कि अपील दाखिल करने मात्र से आदेश की अवहेलना करने की छूट नहीं मिल जाती. उप निदेशक जानबूझकर कर आदेश का पालन न करने के दोषी हैं. याचिका की सुनवाई 18 मार्च को होगी.

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