प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट के वकीलों ने ऑनलाइन मुकदमों की सुनवाई के विरोध में प्रदर्शन किया. हाईकोर्ट के बाहर सड़क पर उतरकर वकीलों ने नारेबाजी की. प्रदर्शनकारी वकीलों की मांग है कि सुनवाई को ऑफलाइन किया जाए, उसके साथ ऑनलाइन का विकल्प मौजूद रहे, जिससे जो भी अधिवक्ता चाहे वो ऑनलाइन होने वाली सुनवाई में हिस्सा ले.
वकीलों का तर्क है कि जब पूरे प्रदेश में विधानसभा चुनाव का आयोजन किया जा सकता है. प्रयागराज में लाखों की भीड़ वाले माघ मेले का आयोजन हो सकता है. हाईकोर्ट में ऑनलाइन सुनवाई क्यों नहीं हो सकती? वकीलों ने चीफ जस्टिस से मांग की है कि हाईकोर्ट में ऑफलाइन सुनवाई पर रोक लगाने से पहले विधानसभा चुनाव और माघ मेले के आयोजन पर भी रोक लगायी जाए.
उनका कहना है कि लाखों लोगों की भीड़ प्रयागराज में लगने वाले माघ मेले में उमड़ेगी. करोड़ों लोग मतदान करने जाएंगे. मतगणना होगी, वहां पर भी हजारों लोगों की भीड़ जमा होगी. कोरोना महामारी की तीसरी लहर (third wave of corona) इतनी ही भयावह है तो आम आदमी की जिंदगी की सुरक्षा के लिए चीफ जस्टिस को पहले चुनाव और मेले पर रोक लगानी चाहिए.
लाखों लोगों की जिंदगी बचाने के लिए दो बड़े आयोजन पर रोक लगाने के बाद कोर्ट में आने वाली वकीलों पर रोक लगानी चाहिए, क्योंकि कोर्ट में आने वाले वकीलों की भीड़ से हजार गुना ज्यादा भीड़ इन आयोजनों में एकत्रित होगी, तो पहले रोक वहां लगनी चाहिए.
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इलाहाबाद हाईकोर्ट में सोमवार से सभी मुकदमों की सुनवाई ऑनलाइन मोड में करवाने का आदेश जारी कर दिया है. इससे हफ्ते भर पहले भी ऐसा ही आदेश जारी हुआ था लेकिन वकीलों के विरोध पर उसे बदल दिया गया था. लेकिन प्रयागराज में रोजाना मिलने वाले संक्रमितों की संख्या को देखते हुए कोर्ट ने सोमवार से सिर्फ ऑनलाइन सुनवाई का फैसला लिया है.
वकीलों ने इस फैसले का विरोध शुरू कर दिया. सोमवार से पहले ही हाईकोर्ट की तरफ से आदेश जारी करके मुकदमों की सुनवाई सिर्फ ऑनलाइन होने की जानकारी दी गयी, जिसके बाद कोर्ट खुलने के बाद बड़ी संख्या में वकील हाईकोर्ट के मुख्य गेट के सामने जमा हो गए.
इस दौरान वकीलों ने कोर्ट के मेन गेट पर ही चीफ जस्टिस के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी. विरोध प्रदर्शन कर रहे वकीलों का कहना है कि न्यायाधीश कोर्ट में अपने कक्ष के अंदर से सुनवाई करें और वकीलों को कोर्ट रूम तक जाकर बहस करने की छूट दें.
वकीलों का यह भी कहना है कि ऑनलाइन सुनवाई में वो अपनी पूरी बात कोर्ट को नहीं बता पाते हैं, जिससे वादकारियों का नुकसान और उनका अहित होता है. हाईकोर्ट में सिर्फ ऑनलाइन सुनवाई के फैसले को वापस लिया जाए और वकीलों को कोर्ट तक जाने की इजाजत दी जानी चाहिए.
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