प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले की धार्मिक पहचान यहां का त्रिवेणी संगम है, तो आर्थिक पहचान इलाहाबादी 'सेब' के नाम से जाना जाने वाला अमरूद. इलाहाबादी अमरूद जो अपनी मिठास और गुणवता की वजह से देश-विदेश में अपनी अलग पहचान रखता है. यहां का अमरूद बिल्कुल सेब जैसा मिठा होता है और तमाम बीमारियों से निजात दिलाता है. खास बात तो यह है कि इसे विस्तार देने के लिए तमाम शहरों में नर्सरियां लगाई गईं, लेकिन, प्रयागराज की माटी में पैदा हुए इलाहाबादी अमरूद जैसा स्वाद कहीं नहीं मिला.
इलाहाबादी अमरूदों पर प्रदूषण की मार
पिछले कुछ महीनों से उत्तर भारत में फैले वायु प्रदूषण ने इलाहाबादी अमरूदों की फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है. पिछले साल की अपेक्षा इस बार अमरूद की पैदावार काफी कम हुई है और उसकी मिठास में कमी आ रही है. किसानों का कहना है कि अमरूदों की हर प्रजातियों पर वायु प्रदूषण और कीड़े का असर देखने को मिला है. अमरूद के अंदर कीड़े भी पड़ जा रहे है. वहीं प्रदूषण की वजह से मिठास भी पहले जैसे नहीं रही. हालांकि, अमरूद की पैदवार 3 महीने तक होती है और अब वायु प्रदूषण में काफी गिरावट आई है. जिससे उम्मीद है कि आने वाले दिनों में फसल में कुछ अच्छा परिवर्तन देखने को मिलेगा.
इलाहाबादी सफेदा अमरूद के अलावा लाल गूदेवाला अमरूद, चित्तीदार अमरूद, करेला अमरूद, बेदाना अमरूद, अमरूद सेबिया, सुरखा, श्वेता, पंत प्रभात, एल 39, संगम व ललित इसकी प्रमुख प्रजातियां हैं. इनमें से सुरखा, सेबिया और सफेदा अमरूद की डिमांड पूरी दुनिया में है.
सफेदा, सुरूखा, सेबिया, इलाहाबादी अमरूद किसी दूसरे शहर में पैदा नहीं होता है. यही वजह है कि इलाहाबाद से बड़ी मात्रा में इन प्रजातियों के अमरूद देश-विदेश में निर्यात किया जाता है. खाड़ी देशों में इनकी काफी डिमांड है. भारत में इलाहाबादी अमरूद सबसे अधिक हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक आदि प्रदेशों में भेजा जाता है. लेकिन, इस बार वायु प्रदूषण ने इलाहाबादी अमरूदों की फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है. अमरूदों के पैदावार में भी काफी असर हुआ है.
जानिए, इलाहाबादी अमरूदों के बाग का हाल
इन दिनों खुसरो बाग स्थित इलाहाबादी अमरूद के बाग में अमरूदों की खेती पर काफी असर देखने को मिला है. बाग में मौजूद रेनु सोनकार किसान ने बताया कि बढ़ते प्रदूषण ने इस बार पूरी खेती और उपज को नुकसान पहुंचाया है. जो लोग 20-30 किलो तक अमरूद खरीदते थे, वो अब 2-3 किलो ही खरीद रहे हैं.