ETV Bharat / state

खुली अदालत में सुनवाई की घोषणा का अधिवक्ताओं और बार संगठनों ने किया स्वागत - प्रयागराज न्यूज

इलाहाबाद हाईकोर्ट में 8 मई से खुली अदालत में सुनवाई की घोषणा का अधिवक्ताओं और बार संगठनों ने जोरदार स्वागत किया है. हालांकि अधिवक्ताओं और बार संगठनों को आशंका है कि अतिउत्साह में लॉकडाउन के नियमों की अनदेखी न हो. इसके लिए बार संगठनों ने मुख्य न्यायाधीश को सुझाव दिये.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट
author img

By

Published : May 5, 2020, 3:27 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट की 8 मई से खुली अदालत में मुकदमों की सुनवाई की. घोषणा से जिस तरह वकीलों में उत्साह देखा जा रहा है, इसने तमाम अधिवक्ता संगठनों और अधिवक्ताओं को बेचैन कर दिया है. कहीं अति उत्साही अधिवक्ता भारी संख्या में न्यायालय परिसर के बाहर इकट्ठा न हो जाए और शराब की दुकानों के खोलने से उत्पन्न स्थिति का सामना न्यायालय प्रशासन को न करना पड़ जाए, इसके लिए न्यायालय प्रशासन को सुनवाई प्रक्रिया और स्थिति को स्पष्ट करने पर बार संगठनों ने सुझाव दिया है.

यंग लायर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संतोष कुमार त्रिपाठी ने महानिबंधक से अनुरोध किया है कि 8 मई को केवल उन्हीं वकीलों को परिसर में प्रवेश की अनुमति दे, जिनके मुकदमे कोर्ट में लगे हों. वकीलों के चेम्बर्स हर हाल में बंद रखे जाए. अधिवक्ता समन्वय समिति के अध्यक्ष बीएन सिंह कहते हैं कि न्यायालय प्रशासन न्यायिक कार्य प्रणाली और व्यवस्था योजना को सार्वजनिक कर उस पर कड़ाई से अमल कराये.

सीमित संख्या में ही मुकदमे लिस्ट किये जाए

कांस्टीट्यूशनल एण्ड सोशल रिफार्म के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता एएन त्रिपाठी का कहना है कि मुकदमों की सुनवाई खुली अदालत में की जाए और प्रत्येक अदालत एक दूसरे से सौ मीटर दूर रखा जाए. सीमित संख्या में ही मुकदमे लिस्ट किये जाए, जिनके मुकदमे लगे हो उनके वकील को एक दिन पहले एसएमएस से ब्यौरा सूचित किया जाए, ताकि वह सीधे संबंधित कोर्ट में पहुंच कर बहस के बाद अपने घर वापस आ जाए.

तीन सीट के गैप से अधिवक्ता के बैठने की हो व्यवस्था

बार एसोसिएशन के 11 बार उपाध्यक्ष रहे अधिवक्ता एसके गर्ग का कहना है कि कोर्ट के भीतर तीन सीट के गैप से अधिवक्ता को बैठने की व्यवस्था की जाए. ताकि केस की पुकार हटाने पर वह बहस के लिए उपस्थित हो सके. केवल याची और विरोधी अधिवक्ता के ही न्याय कक्ष में प्रवेश की अनुमति से कोर्ट के बाहर बरामदे वकीलों से भर जाएंगे, जो पुलिस से नियंत्रित नहीं हो सकेगा और योजना को विफल कर देगा.

पक्षों को सुनकर आदेश पारित किया जाए

केंद्र सरकार के अधिवक्ता राजेश त्रिपाठी का कहना है कि केन्द्र सरकार के खिलाफ मुकदमे की सुनवाई की सूचना एएसजीआई को दी जाए, ताकि वह पैनल अधिवक्ता को कोर्ट में जाने के लिए निर्देशित कर सके और पक्षों को सुनकर आदेश पारित किया जाए. ऐसे विपक्षी वकीलों को भी कोर्ट में प्रवेश की अनुमति दी जाए. आदर्श अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष एससी मिश्र और प्रयागराज अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष नरेन्द्र कुमार चटर्जी ने संयुक्त रूप से कहा है कि विभागीय अधिवक्ता सूचना के अभाव में कोर्ट में नहीं पहुंच पाते तो याचिका एक पक्षीय तय न की जाए. प्राधिकरणों, बीमा कंपनियों, स्थानीय निकायों ,स्वायत्त संस्थानो,विभागों के अधिवक्ताओं को याचिका पर अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाए.

अधिवक्ताओं के चेम्बर्स न खोले जाए

कनिष्ठ अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष शैलेन्द्र द्विवेदी का कहना है कि अधिवक्ताओं के चेम्बर्स न खोले जाए. साथ ही परिसर के बाहर खाने पीने की दुकानों के खोलने से रोक जारी रखी जाए और सुरक्षा जांच के बाद ही परिसर में प्रवेश की अनुमति दी जाए. दाखिले के लिए आने वाले वकीलों से कहा जाए कि वे फाइलें घर से तैयार करके लाए और काउन्टर पर दाखिल कर वापस चले जाए. हर व्यक्ति मास्क लगाये.

सभी मास्क पहनकर ही आए

वरिष्ठ अधिवक्ता अरूण कुमार गुप्ता ने खुली अदालत में सुनवाई की घोषणा का स्वागत किया है और कहा है कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए केंद्र सरकार के घोषित उपायों को अमल में लाया जाए. न्यायधीश स्टाफ सहित ग्लव्स पहने और वकीलों को कोर्ट रूम में घुसने से पहले सैनिटाइज किया जाए. सभी मास्क पहनकर ही आए.

खुली अदालत में सुनवाई की घोषणा का स्वागत

उप्र जूनियर लायर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एमके तिवारी और सचिव जीपी सिंह ने मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर की अध्यक्षता प्रशासनिक समिति द्वारा खुली अदालत में सुनवाई की घोषणा का स्वागत किया है. उन्होंने कहा है कि वीडियो कान्फ्रेन्सिंग से सुनवाई करना स्थापित न्याय व्यवस्था के विपरीत है. इसका लाभ आम अधिवक्ता और वादकारियों को नहीं मिल पा रहा था. सीमित संख्या में सूचीबद्ध कर मुकदमों की सुनवाई की प्रक्रिया ऐतिहाती उपायों के साथ जारी रखी जाए.

सोशल मीडिया के जरिए खुली अदालत में सुनवाई

सोशल मीडिया में खुली अदालत में सुनवाई की मांग में वकीलों अभियान छेड़ा था, जिसका सकारात्मक परिणाम आने से वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश का आभार व्यक्त किया है. सोशल मीडिया के जरिए खुली अदालत में सुनवाई की मांग करने वाले वकीलों में राजीव शुक्ला, ऋतेश श्रीवास्तव, दिलीप पांडेय, विजय चंद्र श्रीवास्तव, संतोष कुमार मिश्र, बैजन्त मिश्र, राजीव द्विवेदी, सुशील कुमार तिवारी, जितेन्द्र सरीन,महासचिव प्रभाशंकर मिश्र, महासचिव जे बी सिंह, अजय कुमार मिश्र, दिनेश मिश्र आदि सैकडों अधिवक्ता जुडे हुए थे. सभी ने प्रदेश में न्याय व्यवस्था को नए सिरे से शुरू करने का स्वागत किया है और आशा जाहिर की है कि यदि प्रयास सफल हुआ तो इसे अधीनस्थ न्यायालयों तक लागू किया जायेगा.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट की 8 मई से खुली अदालत में मुकदमों की सुनवाई की. घोषणा से जिस तरह वकीलों में उत्साह देखा जा रहा है, इसने तमाम अधिवक्ता संगठनों और अधिवक्ताओं को बेचैन कर दिया है. कहीं अति उत्साही अधिवक्ता भारी संख्या में न्यायालय परिसर के बाहर इकट्ठा न हो जाए और शराब की दुकानों के खोलने से उत्पन्न स्थिति का सामना न्यायालय प्रशासन को न करना पड़ जाए, इसके लिए न्यायालय प्रशासन को सुनवाई प्रक्रिया और स्थिति को स्पष्ट करने पर बार संगठनों ने सुझाव दिया है.

यंग लायर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संतोष कुमार त्रिपाठी ने महानिबंधक से अनुरोध किया है कि 8 मई को केवल उन्हीं वकीलों को परिसर में प्रवेश की अनुमति दे, जिनके मुकदमे कोर्ट में लगे हों. वकीलों के चेम्बर्स हर हाल में बंद रखे जाए. अधिवक्ता समन्वय समिति के अध्यक्ष बीएन सिंह कहते हैं कि न्यायालय प्रशासन न्यायिक कार्य प्रणाली और व्यवस्था योजना को सार्वजनिक कर उस पर कड़ाई से अमल कराये.

सीमित संख्या में ही मुकदमे लिस्ट किये जाए

कांस्टीट्यूशनल एण्ड सोशल रिफार्म के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता एएन त्रिपाठी का कहना है कि मुकदमों की सुनवाई खुली अदालत में की जाए और प्रत्येक अदालत एक दूसरे से सौ मीटर दूर रखा जाए. सीमित संख्या में ही मुकदमे लिस्ट किये जाए, जिनके मुकदमे लगे हो उनके वकील को एक दिन पहले एसएमएस से ब्यौरा सूचित किया जाए, ताकि वह सीधे संबंधित कोर्ट में पहुंच कर बहस के बाद अपने घर वापस आ जाए.

तीन सीट के गैप से अधिवक्ता के बैठने की हो व्यवस्था

बार एसोसिएशन के 11 बार उपाध्यक्ष रहे अधिवक्ता एसके गर्ग का कहना है कि कोर्ट के भीतर तीन सीट के गैप से अधिवक्ता को बैठने की व्यवस्था की जाए. ताकि केस की पुकार हटाने पर वह बहस के लिए उपस्थित हो सके. केवल याची और विरोधी अधिवक्ता के ही न्याय कक्ष में प्रवेश की अनुमति से कोर्ट के बाहर बरामदे वकीलों से भर जाएंगे, जो पुलिस से नियंत्रित नहीं हो सकेगा और योजना को विफल कर देगा.

पक्षों को सुनकर आदेश पारित किया जाए

केंद्र सरकार के अधिवक्ता राजेश त्रिपाठी का कहना है कि केन्द्र सरकार के खिलाफ मुकदमे की सुनवाई की सूचना एएसजीआई को दी जाए, ताकि वह पैनल अधिवक्ता को कोर्ट में जाने के लिए निर्देशित कर सके और पक्षों को सुनकर आदेश पारित किया जाए. ऐसे विपक्षी वकीलों को भी कोर्ट में प्रवेश की अनुमति दी जाए. आदर्श अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष एससी मिश्र और प्रयागराज अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष नरेन्द्र कुमार चटर्जी ने संयुक्त रूप से कहा है कि विभागीय अधिवक्ता सूचना के अभाव में कोर्ट में नहीं पहुंच पाते तो याचिका एक पक्षीय तय न की जाए. प्राधिकरणों, बीमा कंपनियों, स्थानीय निकायों ,स्वायत्त संस्थानो,विभागों के अधिवक्ताओं को याचिका पर अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाए.

अधिवक्ताओं के चेम्बर्स न खोले जाए

कनिष्ठ अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष शैलेन्द्र द्विवेदी का कहना है कि अधिवक्ताओं के चेम्बर्स न खोले जाए. साथ ही परिसर के बाहर खाने पीने की दुकानों के खोलने से रोक जारी रखी जाए और सुरक्षा जांच के बाद ही परिसर में प्रवेश की अनुमति दी जाए. दाखिले के लिए आने वाले वकीलों से कहा जाए कि वे फाइलें घर से तैयार करके लाए और काउन्टर पर दाखिल कर वापस चले जाए. हर व्यक्ति मास्क लगाये.

सभी मास्क पहनकर ही आए

वरिष्ठ अधिवक्ता अरूण कुमार गुप्ता ने खुली अदालत में सुनवाई की घोषणा का स्वागत किया है और कहा है कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए केंद्र सरकार के घोषित उपायों को अमल में लाया जाए. न्यायधीश स्टाफ सहित ग्लव्स पहने और वकीलों को कोर्ट रूम में घुसने से पहले सैनिटाइज किया जाए. सभी मास्क पहनकर ही आए.

खुली अदालत में सुनवाई की घोषणा का स्वागत

उप्र जूनियर लायर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एमके तिवारी और सचिव जीपी सिंह ने मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर की अध्यक्षता प्रशासनिक समिति द्वारा खुली अदालत में सुनवाई की घोषणा का स्वागत किया है. उन्होंने कहा है कि वीडियो कान्फ्रेन्सिंग से सुनवाई करना स्थापित न्याय व्यवस्था के विपरीत है. इसका लाभ आम अधिवक्ता और वादकारियों को नहीं मिल पा रहा था. सीमित संख्या में सूचीबद्ध कर मुकदमों की सुनवाई की प्रक्रिया ऐतिहाती उपायों के साथ जारी रखी जाए.

सोशल मीडिया के जरिए खुली अदालत में सुनवाई

सोशल मीडिया में खुली अदालत में सुनवाई की मांग में वकीलों अभियान छेड़ा था, जिसका सकारात्मक परिणाम आने से वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश का आभार व्यक्त किया है. सोशल मीडिया के जरिए खुली अदालत में सुनवाई की मांग करने वाले वकीलों में राजीव शुक्ला, ऋतेश श्रीवास्तव, दिलीप पांडेय, विजय चंद्र श्रीवास्तव, संतोष कुमार मिश्र, बैजन्त मिश्र, राजीव द्विवेदी, सुशील कुमार तिवारी, जितेन्द्र सरीन,महासचिव प्रभाशंकर मिश्र, महासचिव जे बी सिंह, अजय कुमार मिश्र, दिनेश मिश्र आदि सैकडों अधिवक्ता जुडे हुए थे. सभी ने प्रदेश में न्याय व्यवस्था को नए सिरे से शुरू करने का स्वागत किया है और आशा जाहिर की है कि यदि प्रयास सफल हुआ तो इसे अधीनस्थ न्यायालयों तक लागू किया जायेगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.