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प्रयागराज: लॉकडाउन में आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं अधिवक्ता

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Published : May 13, 2020, 7:14 AM IST

लॉकडाउन का बुरा असर अब प्रयागराज में बाहर से आकर जिला न्यायालय में प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ताओं पर भी दिखने लगा है. उनके सामने अब आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है.

लॉकडाउन में आर्थिक संकट से जूझ रहे है अधिवक्ता संघ
लॉकडाउन में आर्थिक संकट से जूझ रहे है अधिवक्ता संघ

प्रयागराज: जिले में देश के अलग-अलग कोने से अधिवक्ता आकर हाईकोर्ट और जिला न्यायालय में प्रैक्टिस करते हैं. ऐसे में देशव्यापी लॉकडाउन के चलते हाईकोर्ट से लेकर जनपद तक सभी न्यायालय बंद किए गए हैं. न्यायालय बंद होने से बहुत से ऐसे अधिवक्ता है जो आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. उनके लिए अब घर का खर्च चलाना भी दूभर हो गया है.

लॉकडाउन में आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं अधिवक्ता

जिला अधिवक्ता संघ के अधिवक्ताओं ने ईटीवी भारत से अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि लॉकडाउन की वजह से कोर्ट बंद है. जिसके कारण अब आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है. मकान का किराया देना भी मुश्किल होता जा रहा है.

कोर्ट बंद होने से परेशान है लोग
जिला और उच्च न्यायालय के अधिवक्ता ह्रदय मौर्य ने बताया कि लगातार कोर्ट बंद होने से लोग परेशान हैं. फर्जी मुकदमों से परेशान वादकारियों को अग्रिम जमानत नहीं दिला पा रहे हैं. सत्त्ता हनक की वजह से बहुत से दबंग नेता और थानेदार मिलकर गरीबों के ऊपर फर्जी मुकदमा दर्ज कराते हैं. ऐसे में कोर्ट बंद होने के कारण निर्दोष व्यक्ति को गुनहगार बनाकर जेल भेज दिया जा रहा है. नेट से कोर्ट में सुनवाई चल रही है लेकिन नेटवर्किंग प्रॉब्लम की वजह काम पूरी तरह से ठप है. ऐसे चलता रहा तो अधिवक्ता भुखमरी के कगार पर पहुंच जाएंगे.

सरकार और बार एसोसिएशन से मिले आर्थिक सहयोग
अधिवक्ता रवि शंकर ने कहा कि सरकार के निर्णय का हम सभी पालन करते हैं. लेकिन सरकार और नवनिर्वाचित बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों को इस बात पर ध्यान देना होगा कि जूनियर प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ताओं का खर्च कैसे चलेगा. इसलिए सरकार और बार एसोसिएशन को एक साथ मिलकर ऐसे अधिवक्ताओं का आर्थिक सहयोग करना चाहिए.

कोर्ट सुचारू रूप से हों संचालित
वहीं जिला अधिवक्ता राजेश सिंह ने बताया कि न्यायालय बंद होने से अधिवक्ता आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. शहर में रहने वाले अधिवक्ताओं को उतनी समस्या नहीं है. जो अधिवक्ता दूर से आते हैं, उनको कमरे का किराया देने के साथ ही घर का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है. इसके साथ ही अब स्कूल में बच्चों की फीस कैसे जमा करेंगे, उनको ये भी समझ में नहीं आ रहा है. उन्होंने सरकार और न्यायालय से अपील की है कि कोर्ट को फिर से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए सुचारू रूप से संचालित किया जाए.

इसे भी पढ़ें-लॉकडाउन की मार: लखनऊ के कई होटल और ढाबा मालिकों ने बदला रोजगार

प्रयागराज: जिले में देश के अलग-अलग कोने से अधिवक्ता आकर हाईकोर्ट और जिला न्यायालय में प्रैक्टिस करते हैं. ऐसे में देशव्यापी लॉकडाउन के चलते हाईकोर्ट से लेकर जनपद तक सभी न्यायालय बंद किए गए हैं. न्यायालय बंद होने से बहुत से ऐसे अधिवक्ता है जो आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. उनके लिए अब घर का खर्च चलाना भी दूभर हो गया है.

लॉकडाउन में आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं अधिवक्ता

जिला अधिवक्ता संघ के अधिवक्ताओं ने ईटीवी भारत से अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि लॉकडाउन की वजह से कोर्ट बंद है. जिसके कारण अब आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है. मकान का किराया देना भी मुश्किल होता जा रहा है.

कोर्ट बंद होने से परेशान है लोग
जिला और उच्च न्यायालय के अधिवक्ता ह्रदय मौर्य ने बताया कि लगातार कोर्ट बंद होने से लोग परेशान हैं. फर्जी मुकदमों से परेशान वादकारियों को अग्रिम जमानत नहीं दिला पा रहे हैं. सत्त्ता हनक की वजह से बहुत से दबंग नेता और थानेदार मिलकर गरीबों के ऊपर फर्जी मुकदमा दर्ज कराते हैं. ऐसे में कोर्ट बंद होने के कारण निर्दोष व्यक्ति को गुनहगार बनाकर जेल भेज दिया जा रहा है. नेट से कोर्ट में सुनवाई चल रही है लेकिन नेटवर्किंग प्रॉब्लम की वजह काम पूरी तरह से ठप है. ऐसे चलता रहा तो अधिवक्ता भुखमरी के कगार पर पहुंच जाएंगे.

सरकार और बार एसोसिएशन से मिले आर्थिक सहयोग
अधिवक्ता रवि शंकर ने कहा कि सरकार के निर्णय का हम सभी पालन करते हैं. लेकिन सरकार और नवनिर्वाचित बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों को इस बात पर ध्यान देना होगा कि जूनियर प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ताओं का खर्च कैसे चलेगा. इसलिए सरकार और बार एसोसिएशन को एक साथ मिलकर ऐसे अधिवक्ताओं का आर्थिक सहयोग करना चाहिए.

कोर्ट सुचारू रूप से हों संचालित
वहीं जिला अधिवक्ता राजेश सिंह ने बताया कि न्यायालय बंद होने से अधिवक्ता आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. शहर में रहने वाले अधिवक्ताओं को उतनी समस्या नहीं है. जो अधिवक्ता दूर से आते हैं, उनको कमरे का किराया देने के साथ ही घर का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है. इसके साथ ही अब स्कूल में बच्चों की फीस कैसे जमा करेंगे, उनको ये भी समझ में नहीं आ रहा है. उन्होंने सरकार और न्यायालय से अपील की है कि कोर्ट को फिर से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए सुचारू रूप से संचालित किया जाए.

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