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शाहबेरी में अवैध फ्लैट बेचने के आरोपी को हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत - न्यायाधीश सौरभ श्याम शमशेरी

ग्रेटर नोएडा क्षेत्र के शाहबेरी में अवैध फ्लैट बेचने के आरोपी को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है. भू स्वामी की याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि यदि तथ्यों व साक्ष्यों से प्रथम दृष्टया अपराध बन रहा हो तो कोर्ट अपनी अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग नहीं कर सकता है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Jan 29, 2021, 7:58 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ग्रेटर नोएडा क्षेत्र के शाहबेरी गांव की कृषि भूमि पर बिल्डर्स कंपनी की मिली भगत से अवैध रूप से बहुमंजिली इमारत तैयार कर फ्लैट बेचने के धोखाधड़ी के आरोपी भू स्वामी वतन गौड को राहत देने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने अधीनस्थ न्यायालय की कार्यवाही को वैध करार देते हुए याचिका खारिज कर दी है.

यह आदेश न्यायाधीश सौरभ श्याम शमशेरी ने दिया है. कोर्ट ने कहा कि यदि तथ्यों व साक्ष्यों से प्रथम दृष्टया अपराध बन रहा हो तो कोर्ट अपनी अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग नहीं कर सकता है. याची ने यह जानते हुए भी कि इमारत अवैध रूप से बनी है और बिल्डर से मिलकर फ्लैट बेचा है. ऐसे में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता.

मालूम हो कि ग्रेटर नोएडा के सहायक प्रबंधक वर्क सर्किल डीपी श्रीवास्तव ने बिसरख थाने में मेसर्स एक्टिव इक्विपमेन्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के खिलाफ बिना नक्शा पास कराये खतरनाक स्थिति में बहुमंजिली इमारत तैयार कर फ्लैट बेचने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई है. धोखाधड़ी व लोक संपत्ति क्षति निवारण एक्ट के तहत पुलिस ने याची व दीपक कुमार त्यागी, दिव्यांका होम्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी सहित अन्य सह अभियुक्तों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है.

ग्रेटर नोएडा की अधिवक्ता अंजली उपाध्याय का कहना था कि शाहबेरी गांव को अधिसूचित किया गया है. ऐसे में कृषि भूमि को आबादी की भूमि बताकर बिना नक्शा पास कराये बहुमंजिली इमारत बना ली गई है, जो खतरनाक स्थिति में है. जानमाल के नुकसान की संभावना है. गैर कानूनी फ्लैटों का बेईमानी से बैनामा कराया गया है, जो अक्षम्य अपराध है.

इस पर कोर्ट ने अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग करने से इनकार कर दिया और याचिका खारिज कर दी है. याचिका में अधीनस्थ न्यायालय की कार्यवाही को रद्द करने की मांग की गई थी.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ग्रेटर नोएडा क्षेत्र के शाहबेरी गांव की कृषि भूमि पर बिल्डर्स कंपनी की मिली भगत से अवैध रूप से बहुमंजिली इमारत तैयार कर फ्लैट बेचने के धोखाधड़ी के आरोपी भू स्वामी वतन गौड को राहत देने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने अधीनस्थ न्यायालय की कार्यवाही को वैध करार देते हुए याचिका खारिज कर दी है.

यह आदेश न्यायाधीश सौरभ श्याम शमशेरी ने दिया है. कोर्ट ने कहा कि यदि तथ्यों व साक्ष्यों से प्रथम दृष्टया अपराध बन रहा हो तो कोर्ट अपनी अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग नहीं कर सकता है. याची ने यह जानते हुए भी कि इमारत अवैध रूप से बनी है और बिल्डर से मिलकर फ्लैट बेचा है. ऐसे में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता.

मालूम हो कि ग्रेटर नोएडा के सहायक प्रबंधक वर्क सर्किल डीपी श्रीवास्तव ने बिसरख थाने में मेसर्स एक्टिव इक्विपमेन्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के खिलाफ बिना नक्शा पास कराये खतरनाक स्थिति में बहुमंजिली इमारत तैयार कर फ्लैट बेचने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई है. धोखाधड़ी व लोक संपत्ति क्षति निवारण एक्ट के तहत पुलिस ने याची व दीपक कुमार त्यागी, दिव्यांका होम्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी सहित अन्य सह अभियुक्तों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है.

ग्रेटर नोएडा की अधिवक्ता अंजली उपाध्याय का कहना था कि शाहबेरी गांव को अधिसूचित किया गया है. ऐसे में कृषि भूमि को आबादी की भूमि बताकर बिना नक्शा पास कराये बहुमंजिली इमारत बना ली गई है, जो खतरनाक स्थिति में है. जानमाल के नुकसान की संभावना है. गैर कानूनी फ्लैटों का बेईमानी से बैनामा कराया गया है, जो अक्षम्य अपराध है.

इस पर कोर्ट ने अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग करने से इनकार कर दिया और याचिका खारिज कर दी है. याचिका में अधीनस्थ न्यायालय की कार्यवाही को रद्द करने की मांग की गई थी.

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