लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने वर्ष 2010-11 में हुए कोयला घोटाला मामले के अभियुक्तों को कोई भी राहत देने से इनकार कर दिया है. न्यायालय ने अभियुक्तों की ओर से उनके खिलाफ सीबीआई द्वारा दाखिल चार्जशीट को चुनौती देने वाली 23 याचिकाओं को एक साथ खारिज किया है. न्यायालय ने निचली अदालत को भी मामले का ट्रायल एक वर्ष में पूरा करने का निर्देश दिया है.
यह आदेश न्यायाधीश दिनेश कुमार सिंह की एकल सदस्यीय पीठ ने फर्टिको मार्केटिंग एंड इनवेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड व अन्य समेत 23 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया. न्यायालय ने कहा कि मामले में सीबीआई ने याचियों के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य एकत्रित किए हैं. उक्त साक्ष्यों से याचियों द्वारा प्रथम दृष्टया अपराध कारित किया जाना प्रतीत होता है.
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याचियों द्वारा यह मुद्दा भी उठाया गया था कि झारखंड के इसी प्रकार के मामले में सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट लगा दी, जबकि वर्तमान मामले में आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया. इस पर न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि झारखंड के मामले में सीबीआई ने पर्याप्त साक्ष्य एकत्रित नहीं कर सके थे, लिहाजा उस मामले से समानता का लाभ याचियों को नहीं दिया जा सकता. उल्लेखनीय है कि याचियों पर आरोप है कि सब्सिडी रेट से मिले कोयले की उन्होंने कालाबाजारी की जबकि यह कोयला थर्मल पॉवर यूनिट्स को सप्लाई होना था.