प्रयागराज: देश की आजादी के लिए भारत कितने वीर सपूतों ने अपनी जान गवाई. इन वीर सपूतों ने अंग्रेजी हुकूमत से लड़कर और उनके खिलाफ आंदोलन करके देश को फिरंगियों से आजाद किया था. प्रयागराज के कोतवाली स्थित एक ऐसा नीम का पेड़ है, जहां 1857 में 800 आंदोलनकारियों को अंग्रेजों ने कोतवाली स्थित नीम के पेड़ पर लटकाकर फांसी दी थी. आजादी की लड़ाई लड़ते-लड़ते अपनी जान की कुर्बानी देने वाले शहीदों की वीरता की कहानी ये नीम की पेड़ बयां कर रही है. जिला प्रशासन ने इस पेड़ के नीचे एक शिलापट लगा दिया है.
800 लोगों को दी गई थी फांसी
आंदोलनकारी गप्पू लाल भगत के तीसरी पीढ़ी के बेटे सूरज श्रीवास्तव ने बताया कि 800 लोगों की फांसी इसी नीम के पेड़ में अंग्रेजों ने दी थी. इससे पहले इस जगह पर लाइन से सात पेड़ थे, लेकिन आज सिर्फ एक पेड़ बचा है. इस पेड़ को बचाने के लिए मेरे पिता ने कई बार अभियान चलाया था. इसी पेड़ के नीचे मेरे बाबा गप्पू लाल भगत को भी अंग्रेजों ने फांसी दी थी और उन्हीं 800 भारतीय में एक मेरे बाबा भी थे. आज भी उन्हें याद करके इस पेड़ को देखा करता हूं.
आज भी जीवित है आंदोलनकारियों कुर्बानी
सूरज श्रीवास्तव ने बताया कि प्रयागराज में जितने भी आंदोलन हुए और अंग्रेजों के हाथ लगने वाले सभी आंदोलकारियों को इसी नीम के पेड़ पर फांसी दिया गया था. इस नीम के पेड़ को देखने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी आईं थीं. इसके साथ ही बड़े-बड़े दिग्गज नेता यहां आकर शहीदों को याद किया करते हैं. इस पेड़ का देखरेख मेरे बाबा के बड़े बेटे ने किया और अब उनके मारने के बाद मेरे पिता जी के भाई कर रहे हैं.