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69 हजार शिक्षक भर्ती मामला: कोर्ट ने ऑनलाइन आवेदन की गलती सुधारने की याचिकाएं खारिज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती के ऑनलाइन फार्म में की गई गलती सुधारने का अवसर देने की मांग वाली दाखिल याचिकाएं खारिज कर दी हैं.

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Published : Jul 11, 2020, 12:21 AM IST

69 thousand teachers recruitment
इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती के ऑनलाइन फार्म में की गई गलती सुधारने का अवसर देने की मांग में दाखिल दर्जनों याचिकाएं खारिज कर दी हैं. कोर्ट ने कहा कि भर्ती के विज्ञापन व शासनादेश और आवेदन के निर्देशों में स्प्ष्ट है कि फार्म एक बार सबमिट करने के बाद उसमें किसी भी दशा में सुधार का अवसर नहीं दिया जाएगा. यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने रुखसार खान सहित कई अन्य अभ्यर्थियों की याचिकाओं पर दिया है.

याचिकाओं में कहा गया था कि सहायक अध्यापक भर्ती का आवेदन करते समय मानवीय त्रुटि के चलते उनके ऑनलाइन आवेदन गलत हो गए हैं. किसी ने इंटरमीडिएट के अंक गलत भर दिए तो किसी ने स्नातक व कुछ ने बीएड में यही गलती की है, जबकि कई ऐसे अभ्यर्थी भी थे, जो आरक्षण की श्रेणी और विशेष आरक्षण श्रेणी भरना भूल गए थे. एक अभ्यर्थी ने अपने पिता के नाम की जगह मां का नाम और मां की जगह पिता का नाम भर दिया था. सभी ने आवेदन पत्र में की गई त्रुटियों को मानवीय भूल बताते हुए सुधार करने का आदेश देने की मांग की थी.

याचीगण के वकीलों का कहना था कि लोक पदों पर नियुक्ति के समय मेधावी अभ्यर्थियों का चयन किया जाना जरूरी है. किसी मामूली मानवीय त्रुटि के कारण मेधावी अभ्यर्थी को चयन से बाहर करना सही नहीं है. कोर्ट ने इस तर्क को नामंजूर करते हुए कहा कि आवेदन भरते समय यह स्पष्ट प्रावधान किया गया था कि ऑनलाइन आवेदन भरने के बाद अभ्यर्थी उसका प्रिंट आउट लेकर अपने मूल दस्तावेजों से मिलान कर यह सुनिश्चित करेगा कि भरी गई सभी प्रविष्टयां सही हैं. इसके बाद वह इस आशय की उद्घोषणा करेगा‌ कि उसने सभी प्रविष्टियों का मिलान कर सुनिश्वित कर लिया है कि सब कुछ सही है। साथ ही लोक पदों पर नियुक्ति के लिए अभ्य‌र्थी के संबंध में सभी जानकारियां सही होनी चाहिए. इसमें बाद में संशोधन की अनुमति नहीं दी जा सकती है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती के ऑनलाइन फार्म में की गई गलती सुधारने का अवसर देने की मांग में दाखिल दर्जनों याचिकाएं खारिज कर दी हैं. कोर्ट ने कहा कि भर्ती के विज्ञापन व शासनादेश और आवेदन के निर्देशों में स्प्ष्ट है कि फार्म एक बार सबमिट करने के बाद उसमें किसी भी दशा में सुधार का अवसर नहीं दिया जाएगा. यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने रुखसार खान सहित कई अन्य अभ्यर्थियों की याचिकाओं पर दिया है.

याचिकाओं में कहा गया था कि सहायक अध्यापक भर्ती का आवेदन करते समय मानवीय त्रुटि के चलते उनके ऑनलाइन आवेदन गलत हो गए हैं. किसी ने इंटरमीडिएट के अंक गलत भर दिए तो किसी ने स्नातक व कुछ ने बीएड में यही गलती की है, जबकि कई ऐसे अभ्यर्थी भी थे, जो आरक्षण की श्रेणी और विशेष आरक्षण श्रेणी भरना भूल गए थे. एक अभ्यर्थी ने अपने पिता के नाम की जगह मां का नाम और मां की जगह पिता का नाम भर दिया था. सभी ने आवेदन पत्र में की गई त्रुटियों को मानवीय भूल बताते हुए सुधार करने का आदेश देने की मांग की थी.

याचीगण के वकीलों का कहना था कि लोक पदों पर नियुक्ति के समय मेधावी अभ्यर्थियों का चयन किया जाना जरूरी है. किसी मामूली मानवीय त्रुटि के कारण मेधावी अभ्यर्थी को चयन से बाहर करना सही नहीं है. कोर्ट ने इस तर्क को नामंजूर करते हुए कहा कि आवेदन भरते समय यह स्पष्ट प्रावधान किया गया था कि ऑनलाइन आवेदन भरने के बाद अभ्यर्थी उसका प्रिंट आउट लेकर अपने मूल दस्तावेजों से मिलान कर यह सुनिश्चित करेगा कि भरी गई सभी प्रविष्टयां सही हैं. इसके बाद वह इस आशय की उद्घोषणा करेगा‌ कि उसने सभी प्रविष्टियों का मिलान कर सुनिश्वित कर लिया है कि सब कुछ सही है। साथ ही लोक पदों पर नियुक्ति के लिए अभ्य‌र्थी के संबंध में सभी जानकारियां सही होनी चाहिए. इसमें बाद में संशोधन की अनुमति नहीं दी जा सकती है.

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