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68,500 शिक्षक भर्ती मामले में जिला आवंटन को लेकर याचिका खारिज, सचिव को प्रत्यावेदन तय करने का निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2018 की 68,500 सहायक अध्यापक प्रक्रिया पूरी होने के बाद क्वालिटी प्वाइंट अंक और वरीयता से जिला आवंटित करने की मांग को लेकर दाखिल याचिकाओं पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि यदि हस्तक्षेप किया गया तो याचिकाओं की बाढ़ आ जाएगी और सरकार जिला आवंटित करने की कार्यवाही पूरी नहीं कर सकेगी.

इलाहाबाद हाईकोर्ट.
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Published : Nov 1, 2022, 8:44 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वर्ष 2018 की 68,500 पदों की सहायक अध्यापक भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद क्वालिटी प्वाइंट अंक और वरीयता से जिला आवंटित करने की मांग में दाखिल याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि यदि हस्तक्षेप किया गया तो याचिकाओं की बाढ़ आ जाएगी और सरकार जिला आवंटित करने की कार्यवाही पूरी नहीं कर सकेगी.

कोर्ट ने याचियों को सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के समक्ष 3 सप्ताह में प्रत्यावेदन देने की छूट देते हुए सचिव को सत्र के अंत में जिला आवंटित करने पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है ताकि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो.

यह आदेश न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव ने हिना इस्लाम सहित 42 अन्य की याचिकाओं को खारिज करते हुए दिया है. याचिकाओं में कहा गया था कि याची ने प्रयागराज, कौशांबी व संत रविदास नगर जिले की वरीयता दी थी, लेकिन अधिक अंक पाने के बावजूद उसे सोनभद्र जिला आवंटित किया गया है. जबकि उससे कम अंक पाने वाले गृह जनपद में तैनात किए गए हैं. शिखा सिंह और 48 अन्य के मामले में कोर्ट ने मनमाना आवंटन रद्द कर 3 माह में नए सिरे से आवंटन का निर्देश दिया था. इसके खिलाफ अपील खारिज हो गई.

खंडपीठ ने कहा कि जिन्हें जिला आवंटित हो चुका है, उन्हें नहीं छेड़ा जाएगा. कोर्ट ने कहा 2018 में ही चयन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. कोर्ट ने सही आवंटन का आदेश दिया था. उसके खिलाफ अपील भी खारिज हो गई. ऐसे में जो बात एक बार तय कर दी गई उसे दोबारा तय करने का आदेश नहीं दिया जा सकता.

इसे भी पढे़ं- जल्दी करें आवेदन, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निकाली बंपर भर्ती

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वर्ष 2018 की 68,500 पदों की सहायक अध्यापक भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद क्वालिटी प्वाइंट अंक और वरीयता से जिला आवंटित करने की मांग में दाखिल याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि यदि हस्तक्षेप किया गया तो याचिकाओं की बाढ़ आ जाएगी और सरकार जिला आवंटित करने की कार्यवाही पूरी नहीं कर सकेगी.

कोर्ट ने याचियों को सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के समक्ष 3 सप्ताह में प्रत्यावेदन देने की छूट देते हुए सचिव को सत्र के अंत में जिला आवंटित करने पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है ताकि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो.

यह आदेश न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव ने हिना इस्लाम सहित 42 अन्य की याचिकाओं को खारिज करते हुए दिया है. याचिकाओं में कहा गया था कि याची ने प्रयागराज, कौशांबी व संत रविदास नगर जिले की वरीयता दी थी, लेकिन अधिक अंक पाने के बावजूद उसे सोनभद्र जिला आवंटित किया गया है. जबकि उससे कम अंक पाने वाले गृह जनपद में तैनात किए गए हैं. शिखा सिंह और 48 अन्य के मामले में कोर्ट ने मनमाना आवंटन रद्द कर 3 माह में नए सिरे से आवंटन का निर्देश दिया था. इसके खिलाफ अपील खारिज हो गई.

खंडपीठ ने कहा कि जिन्हें जिला आवंटित हो चुका है, उन्हें नहीं छेड़ा जाएगा. कोर्ट ने कहा 2018 में ही चयन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. कोर्ट ने सही आवंटन का आदेश दिया था. उसके खिलाफ अपील भी खारिज हो गई. ऐसे में जो बात एक बार तय कर दी गई उसे दोबारा तय करने का आदेश नहीं दिया जा सकता.

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