प्रयागराज : दीपावली के मौके पर सरकारी कर्मचारियों को खुशियों की सौगात मिलती है, वहीं इस त्योहार पर यूपी के 2090 तदर्थ शिक्षकों की नौकरी सरकार की तरफ से समाप्त कर दी गई है. ऐसे में उन्हें तगड़ा झटका लगा है. 1993 से सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में नियमों के विपरीत तदर्थ शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी. वेतन का भुगतान सरकारी कोष से नहीं किए जाने का सरकार की तरफ से आदेश जारी कर दिया गया है. अब तदर्थ शिक्षकों को सरकार की तरफ से तनख्वाह नहीं दी जाएगी. इनकी सेवाएं समाप्त कर दी गईं हैं, शिक्षक संघ व शिक्षकों ने इसका विरोध किया है.
परीक्षा में बैठने का मिला था मौका : उत्तर प्रदेश में सालों पहले निजी एडेड कॉलेज में शिक्षकों की भर्ती मनमानी तरीके से की गई थी. इसे लेकर शासन से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक चली लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार शिक्षकों की सरकारी नौकरी की सुविधा सरकार ने समाप्त कर दी है. सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2020 में इन शिक्षकों के अपील के खिलाफ और सरकार के पक्ष में फैसला दिया था. इसके बाद सरकार की तरफ से इन 2090 तदर्थ शिक्षकों को 2021 की टीजीटी पीजीटी परीक्षा में बैठने का अवसर दिया गया. इसमें से मात्र 40 शिक्षक की परीक्षा में सफलता हासिल कर पाए. बाकी सभी असफल हो गए. 10 नवम्बर को सरकार की तरफ से इन सभी शिक्षकों की सेवा समाप्ति के आदेश जारी कर दिया गया है.
सरकार नहीं उठाएगी कोई जिम्मेदारी : अपर शिक्षा निदेशक सुरेंद्र कुमार तिवारी की तरफ से यह आदेश जारी किया गया. इसमें तदर्थ शिक्षकों की सरकारी सेवा समाप्त करने का निर्देश जारी कर दिया. इसी के साथ आदेश में यह भी स्प्ष्ट किया गया है कि विभिन्न एडेड सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में तैनात इन शिक्षकों को सरकारी कोष से कोई भुगतान नहीं किया जाएगा. जिस स्कूल मैनेजमेंट ने नियमों के विपरीत इनकी भर्ती की थी वो उनकी सेवा लें और भुगतान भी करें. बता दें कि 1993 से लेकर 2000 तक 979 शिक्षकों की तदर्थ नियुक्ति हुई थी.इसी तरह से साल 2000 के बाद भी 1111 तदर्थ शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी. सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति में गड़बड़ी की शिकायतें मिलने के बाद सरकार की तरफ से इन स्कूलों में मैनेजमेंट की तरफ से शिक्षकों की भर्ती पर पाबंदी लगाते हुए टीजीटी पीजीटी के माध्यम से भर्ती शुरू कर दी है .ऐसे में नियमों के विपरीत हुई इन तदर्थ शिक्षकों की सेवा समाप्त कर दी है.अब इन शिक्षकों की सरकारी सेवा समाप्त कर दी गई है. स्कूल मैनेजमेंट अपनी तरफ से भुगतान कर सेवाएं ले सकता है. सरकार इन शिक्षकों की कोई जिम्मेदारी नहीं उठाएगी.
शिक्षक संघ व शिक्षकों ने की निंदा : दीपावली के मौके पर शिक्षकों की सरकारी सेवा समाप्त किए जाने की निंदा की जा रही है. शिक्षक एमएलसी मान सिंह यादव के साथ ही पूर्व एमएलसी सुरेंद्र कुमार त्रिपाठी ने निंदा की है. उनका कहना है कि सालों से सेवा दे रहे शिक्षकों को रिटायरमेंट के करीब पहुंचने पर उनकी सरकारी सेवा समाप्त करना तानाशाही पूर्ण फैसला है. इसी तरह से अलग अलग शिक्षक संघों ने भी सरकार के इस फैसले की निंदा की है.
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