प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट में जजों के खाली पद और कोरोना काल से बढ़ते मुकदमों का बोझ, एक चुनौती बनता जा रहा है. मई 2022 तक विचाराधीन कुल मुकद्दमों की संख्या 10 लाख 29 हजार 638 हो गई है. इलाहाबाद हाईकोर्ट में जजों के स्वीकृत 160 पदों में से 67 पद रिक्त हैं.
इस समय केवल 93 जज कार्यरत हैं. 31 वकीलों के नाम कोलेजियम ने पिछले साल भेजा था, जिसमें से केवल एक तिहाई की ही नियुक्ति हो सकी. यही कारण हैं कि नये मुकद्दमे सुनवाई के लिए दो माह बाद कोर्ट में पेश हो रहे हैं. पुराने मुकदमों का सुनवाई का नंबर ही नहीं आ पा रहा है. हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राधाकांत ओझा ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू करने का अनुरोध किया है.
यह है मुकदमों का बोझ
लंबित मुकदमों में से 8,03,516 इलाहाबाद हाईकोर्ट में और 2,28,074 मुकदमे लखनऊ बेंच में हैं.
- एक जनवरी 2022 को 10 लाख 31 हजार 590 मुकदमे लंबित
- फरवरी 2022 में 10 लाख 36 हजार 370 मुकदमे लंबित
- मार्च 2022 में 10 लाख 37 हजार 328 मुकदमे लंबित
- अप्रैल 2022 में 10 लाख 30 हजार 332 मुकदमे लंबित
- मई 2022 में 10 लाख 29 हजार 638 मुकदमे लंबित
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फ्रेश केस लिस्ट होने में लग रहे दो महीने
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राधाकांत ओझा ने बताया कि जजों की संख्या कम होने से नए मुकदमों की लिंस्टिंग काफी लंबी होती जा रही है. फ्रेश केस लिस्ट होने में एक से दो महीने भी लग रहे हैं. पुराने केसों की पेंडेंसी बढ़ती ही जा रही है. हाल यह है कि यदि जजों के सभी पद भर भी जाएं तो भी पुराने मुकदमों की पेंडेंसी खत्म करने में 15 से 20 साल लग जाएंगे.
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