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खून की कमी से जूझ रहा मेडिकल कॉलेज का ब्लड बैंक, 300 की जगह 14 यूनिट बचा है खून

प्रतापगढ़ जिले के मेडिकल कॉलेज (Pratapgarh Medical College) में ब्लड का संकट खड़ा हो गया है. मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक में सिर्फ 14 यूनिट ही खून बचा है, जबकि स्टोरेज क्षमता 300 यूनिट की है. वहीं ब्लड न होने से जरूरतमंद मरीज परेशान हो रहे हैं.

खून की कमी से जूझ रहा प्रतापगढ़ मेडिकल कॉलेज
खून की कमी से जूझ रहा प्रतापगढ़ मेडिकल कॉलेज
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Published : Jul 6, 2021, 9:56 PM IST

प्रतापगढ़: जिले के मेडिकल कॉलेज (Pratapgarh Medical College) का ब्लड बैंक खून की कमी से जूझ रहा है. इससे मरीजों को काफी परेशानी हो रही है. ब्लड बैंक में 300 यूनिट ब्लड की क्षमता है, लेकिन यहां महज 14 यूनिट ब्लड ही बचा हुआ है. कोरोना संक्रमण के कारण लोग ब्लड डोनेट के लिए आगे नहीं आ रहे हैं. जिस कारण जरूरतमंद लोगों को समय पर ब्लड नहीं मिल पा रहा है, जिससे जरूरतमंद मरीज परेशान हो रहे हैं.

जानकारी देते सीएमएस.

कोरोना का कहर कम होने के बाद उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के मेडिकल कॉलेज (Pratapgarh Medical College) में ब्लड का संकट खड़ा हो गया है. ब्लड बैंक में सिर्फ 14 यूनिट ही खून बचा है. कोरोना के कारण लोग ब्लड डोनेट नहीं कर पा रहे हैं. जिले में 20 से 25 मरीजों को प्रतिदिन ब्लड की जरूरत पड़ती है. मेडिकल कॉलेज के अलावा और कहीं पर भी ब्लड बैंक नहीं है, जिससे मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

प्रतापगढ़ मेडिकल कॉलेज में रक्तदान न होने से ब्लड बैंक में सिर्फ 14 यूनिट खून बचा है. ए पॉजिटिव ग्रुप का 3 यूनिट ब्लड है, बी पॉजिटिव ग्रुप का ब्लड नहीं है, ओ पॉजिटिव ग्रुप का 5 यूनिट ब्लड है, एबी ग्रुप का 4 यूनिट ब्लड है, ए नेगेटिव ग्रुप का एक यूनिट ब्लड है और ओ नेगेटिव का एक यूनिट ब्लड है, जबकि इस ग्रुप के खून की अधिक जरूरत होती है. कोरोना महामारी के चलते रक्तदान करने वालों की संख्या में भारी कमी आई है. कोरोना काल में अगर किसी कोरोना संक्रमित व्यक्ति या गर्भवती महिला को रक्त की जरूरत पड़ जाए तो उसकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

जिला मेडिकल कॉलेज में इस समय लोग ब्लड डोनेट नहीं कर रहे हैं, जिसके कारण मेडिकल कॉलेज में ब्लड का संकट गहरा गया है. जिले में ब्लड की जरूरत को पूरा करने के लिए जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में 300 यूनिट तक खून स्टोर करके रखा जाता है. ब्लड बैंक में एबी नेगेटिव ब्लड नहीं है. केवल 14 यूनिट ही ब्लड है, जिसमें से कई ब्लड ग्रुप नहीं हैं. डॉ. आरडी पांडे ने बताया कि कोरोना वायरस के चलते ब्लड डोनेट कैंप नहीं लग पा रहा है, जिसके कारण ब्लड की कमी है. जो संस्थाएं ब्लड डोनेट कर रहीं थीं, वह इस समय कोरोना के चलते नहीं कर पा रही हैं. अगर ब्लड डोनेट नहीं हुआ तो मरीजों के लिए संकट खड़ा हो जाएगा. इस समय ब्लड की बहुत कमी है. आगे चलकर दिक्कत और भी हो सकती है.

वहीं इस मामले को लेकर सीएमएस सुरेश सिंह ने बताया कि जब तक संस्थाएं ब्लड डोनेट कैंप का आयोजन नहीं करती हैं तब तक ब्लड की दिक्कत दूर नहीं होगी, क्योंकि अगर कोई व्यक्ति एक यूनिट ब्लड डोनेट करता है तो वह इसके एवज में एक यूनिट ब्लड ले जाता है. इस वजह से ब्लड बैंक में ब्लड नहीं बढ़ रहा है. सीएमएस सुरेश सिंह ने कहा कि केवल शैक्षिक रक्तदान शिविरों के आयोजन से ही बल्ड की किल्लत दूर होगी. उन्होंने बताया कि ब्लड बैंक में 300 यूनिट खून स्टोरेज किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि जिस दिन ब्लड डोनेट किया गया है, उस दिन से लगभग 35 दिन तक वह सुरक्षित रहता है. उसके बाद ब्लड बेकार हो जाता है.

प्रतापगढ़: जिले के मेडिकल कॉलेज (Pratapgarh Medical College) का ब्लड बैंक खून की कमी से जूझ रहा है. इससे मरीजों को काफी परेशानी हो रही है. ब्लड बैंक में 300 यूनिट ब्लड की क्षमता है, लेकिन यहां महज 14 यूनिट ब्लड ही बचा हुआ है. कोरोना संक्रमण के कारण लोग ब्लड डोनेट के लिए आगे नहीं आ रहे हैं. जिस कारण जरूरतमंद लोगों को समय पर ब्लड नहीं मिल पा रहा है, जिससे जरूरतमंद मरीज परेशान हो रहे हैं.

जानकारी देते सीएमएस.

कोरोना का कहर कम होने के बाद उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के मेडिकल कॉलेज (Pratapgarh Medical College) में ब्लड का संकट खड़ा हो गया है. ब्लड बैंक में सिर्फ 14 यूनिट ही खून बचा है. कोरोना के कारण लोग ब्लड डोनेट नहीं कर पा रहे हैं. जिले में 20 से 25 मरीजों को प्रतिदिन ब्लड की जरूरत पड़ती है. मेडिकल कॉलेज के अलावा और कहीं पर भी ब्लड बैंक नहीं है, जिससे मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

प्रतापगढ़ मेडिकल कॉलेज में रक्तदान न होने से ब्लड बैंक में सिर्फ 14 यूनिट खून बचा है. ए पॉजिटिव ग्रुप का 3 यूनिट ब्लड है, बी पॉजिटिव ग्रुप का ब्लड नहीं है, ओ पॉजिटिव ग्रुप का 5 यूनिट ब्लड है, एबी ग्रुप का 4 यूनिट ब्लड है, ए नेगेटिव ग्रुप का एक यूनिट ब्लड है और ओ नेगेटिव का एक यूनिट ब्लड है, जबकि इस ग्रुप के खून की अधिक जरूरत होती है. कोरोना महामारी के चलते रक्तदान करने वालों की संख्या में भारी कमी आई है. कोरोना काल में अगर किसी कोरोना संक्रमित व्यक्ति या गर्भवती महिला को रक्त की जरूरत पड़ जाए तो उसकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

जिला मेडिकल कॉलेज में इस समय लोग ब्लड डोनेट नहीं कर रहे हैं, जिसके कारण मेडिकल कॉलेज में ब्लड का संकट गहरा गया है. जिले में ब्लड की जरूरत को पूरा करने के लिए जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में 300 यूनिट तक खून स्टोर करके रखा जाता है. ब्लड बैंक में एबी नेगेटिव ब्लड नहीं है. केवल 14 यूनिट ही ब्लड है, जिसमें से कई ब्लड ग्रुप नहीं हैं. डॉ. आरडी पांडे ने बताया कि कोरोना वायरस के चलते ब्लड डोनेट कैंप नहीं लग पा रहा है, जिसके कारण ब्लड की कमी है. जो संस्थाएं ब्लड डोनेट कर रहीं थीं, वह इस समय कोरोना के चलते नहीं कर पा रही हैं. अगर ब्लड डोनेट नहीं हुआ तो मरीजों के लिए संकट खड़ा हो जाएगा. इस समय ब्लड की बहुत कमी है. आगे चलकर दिक्कत और भी हो सकती है.

वहीं इस मामले को लेकर सीएमएस सुरेश सिंह ने बताया कि जब तक संस्थाएं ब्लड डोनेट कैंप का आयोजन नहीं करती हैं तब तक ब्लड की दिक्कत दूर नहीं होगी, क्योंकि अगर कोई व्यक्ति एक यूनिट ब्लड डोनेट करता है तो वह इसके एवज में एक यूनिट ब्लड ले जाता है. इस वजह से ब्लड बैंक में ब्लड नहीं बढ़ रहा है. सीएमएस सुरेश सिंह ने कहा कि केवल शैक्षिक रक्तदान शिविरों के आयोजन से ही बल्ड की किल्लत दूर होगी. उन्होंने बताया कि ब्लड बैंक में 300 यूनिट खून स्टोरेज किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि जिस दिन ब्लड डोनेट किया गया है, उस दिन से लगभग 35 दिन तक वह सुरक्षित रहता है. उसके बाद ब्लड बेकार हो जाता है.

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