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रामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने के वाद पर कोर्ट में सुनवाई, अधिवक्ता ने दाखिल की आपत्ति

प्रतापगढ़ के लालगंज सिविल कोर्ट में रामचरित मानस (Ramcharit Manas court hearing) को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने के लिए वाद दायर किया गया है. इस पर शुक्रवार को सुनवाई हुई.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 24, 2023, 6:05 PM IST

प्रतापगढ़ : जिले में रामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किए जाने को लेकर लालगंज सिविल कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई. सहायक शासकीय अधिवक्ता रामसेवक ने सरकार की तरफ से नोटिस में छूट देने की वादी की मांग पर लिखित आपत्ति प्रस्तुत की. सहायक शासकीय अधिवक्ता ने अपनी आपत्ति में कहा कि भारत सरकार के प्रमुख सचिव व प्रतापगढ़ डीएम को नोटिस दिए जाने के लिए अदालत पर्याप्त समय दे, क्योंकि वादी के द्वारा दायर याचिका में की गई मांग को लेकर तत्काल सुनवाई की कोई आवश्यकता प्रतीत नहीं होती है.

कोर्ट ने सुनवाई के लिए दी तारीख : याची ज्ञानप्रकाश शुक्ल के अधिवक्ता संयुक्त अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अनिल त्रिपाठी व वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश पांडेय ने अपनी बहस में आपत्ति करते हुए कहा कि श्रीरामचरित मानस व हिन्दू देवी-देवताओं को लेकर जिस तरह से उत्तर से दक्षिण तक आपत्तिजनक बयानबाजी हो रही है, उससे सामाजिक व राष्ट्रीय माहौल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. सिविल जज अरविन्द सिंह ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद नोटिस में छूट की मांग की. इस पर सरकारी अधिवक्ता के आपत्ति को लेकर कोर्ट ने सुनवाई के लिए तारीख दे दी.

कोर्ट में हुई मामले की सुनवाई.
कोर्ट में हुई मामले की सुनवाई.

ग्रंथों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों का दिया हवाला : श्रीरामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किए जाने, श्रीमद् भागवत गीता एवं वाल्मीकि रामायण के अपमान को लेकर सजा के प्रावधान को लेकर दायर याचिका की बहस सुनने के लिए अदालत खचाखच भरा दिखा. अब यह मामला पूरे जनपद में चर्चा का विषय बना हुआ है. याची अधिवक्ता ज्ञानप्रकाश शुक्ल ने कहा कि भारत सनातन संस्कृति के देश के रूप में विश्व में प्रतिष्ठित हुआ है. ऐसे में सनातन संस्कृति के इन धार्मिक ग्रंथों का अपमान करने की किसी को भी अनुमति नहीं दी जा सकती. उन्होंने वाद में हाल के दिनों में सनातन धर्म से जुड़े ग्रंथों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों का भी हवाला दिया है.

इस तरह का पहला वाद : गौरतलब है कि श्रीरामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने की मांग को लेकर प्रतापगढ़ के लालगंज सिविल न्यायालय जूनियर डिविजन में सोमवार को ज्ञान प्रकाश शुक्ल ने वाद दायर किया था. दाखिल वाद में अधिवक्ता ज्ञानप्रकाश शुक्ल की ओर से भारत सरकार के प्रमुख सचिव व राज्य सरकार के प्रतिनिधि के रूप में प्रतापगढ़ के जिलाधिकारी को पक्षकार बनाया गया है. यूपी की किसी अदालत में श्री रामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किए जाने का यह पहला वाद है.

यह भी पढ़ें : अनोखा हल्तलिखित रंगीन रामचरित मानस, 225 साल पहले लिखा गया, खासियत जान रह जाएंगे हैरान

प्रतापगढ़ : जिले में रामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किए जाने को लेकर लालगंज सिविल कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई. सहायक शासकीय अधिवक्ता रामसेवक ने सरकार की तरफ से नोटिस में छूट देने की वादी की मांग पर लिखित आपत्ति प्रस्तुत की. सहायक शासकीय अधिवक्ता ने अपनी आपत्ति में कहा कि भारत सरकार के प्रमुख सचिव व प्रतापगढ़ डीएम को नोटिस दिए जाने के लिए अदालत पर्याप्त समय दे, क्योंकि वादी के द्वारा दायर याचिका में की गई मांग को लेकर तत्काल सुनवाई की कोई आवश्यकता प्रतीत नहीं होती है.

कोर्ट ने सुनवाई के लिए दी तारीख : याची ज्ञानप्रकाश शुक्ल के अधिवक्ता संयुक्त अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अनिल त्रिपाठी व वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश पांडेय ने अपनी बहस में आपत्ति करते हुए कहा कि श्रीरामचरित मानस व हिन्दू देवी-देवताओं को लेकर जिस तरह से उत्तर से दक्षिण तक आपत्तिजनक बयानबाजी हो रही है, उससे सामाजिक व राष्ट्रीय माहौल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. सिविल जज अरविन्द सिंह ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद नोटिस में छूट की मांग की. इस पर सरकारी अधिवक्ता के आपत्ति को लेकर कोर्ट ने सुनवाई के लिए तारीख दे दी.

कोर्ट में हुई मामले की सुनवाई.
कोर्ट में हुई मामले की सुनवाई.

ग्रंथों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों का दिया हवाला : श्रीरामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किए जाने, श्रीमद् भागवत गीता एवं वाल्मीकि रामायण के अपमान को लेकर सजा के प्रावधान को लेकर दायर याचिका की बहस सुनने के लिए अदालत खचाखच भरा दिखा. अब यह मामला पूरे जनपद में चर्चा का विषय बना हुआ है. याची अधिवक्ता ज्ञानप्रकाश शुक्ल ने कहा कि भारत सनातन संस्कृति के देश के रूप में विश्व में प्रतिष्ठित हुआ है. ऐसे में सनातन संस्कृति के इन धार्मिक ग्रंथों का अपमान करने की किसी को भी अनुमति नहीं दी जा सकती. उन्होंने वाद में हाल के दिनों में सनातन धर्म से जुड़े ग्रंथों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों का भी हवाला दिया है.

इस तरह का पहला वाद : गौरतलब है कि श्रीरामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने की मांग को लेकर प्रतापगढ़ के लालगंज सिविल न्यायालय जूनियर डिविजन में सोमवार को ज्ञान प्रकाश शुक्ल ने वाद दायर किया था. दाखिल वाद में अधिवक्ता ज्ञानप्रकाश शुक्ल की ओर से भारत सरकार के प्रमुख सचिव व राज्य सरकार के प्रतिनिधि के रूप में प्रतापगढ़ के जिलाधिकारी को पक्षकार बनाया गया है. यूपी की किसी अदालत में श्री रामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किए जाने का यह पहला वाद है.

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