प्रतापगढ़ः जिले के पट्टी थाना क्षेत्र में दो पक्षों में हुए विवाद के बाद, पीड़ित परिवार से मिलने पूर्व कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर पहुंचे. इस दौरान जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व कैबिनेट मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा, अपना दल पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्णा पटेल, भारतीय उपेक्षित पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेम चंद्र प्रजापति समेत कई नेता मौजूद थे.
गांव के बॉर्डर पर ही पुलिस ने रोका
पीड़ित परिजनों से मिलने जा रही नेताओं की मंडली को पुलिस ने गोविंदपुर गांव के बॉर्डर पर ही रोक दिया. इससे नाराज ओम प्रकाश राजभर पुलिस से उलझ पड़े और नोकझोंक हो गई. वहीं पट्टी थाने के इंचार्ज ने ओम प्रकाश राजभर से डीएम से परमीशन लेकर आने की बात कही. काफी देर तक पुलिस और राजभर के बीच नोकझोंक के बाद उन्हें पीड़ितों से बिना मिले ही वापस लौटना पड़ा.
पुलिस पर लगाए आरोप
पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि पुलिस सरकार की गुलाम है. सरकार नहीं चाहती कि पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यक समाज के नेता पीड़ितों के दरवाजे पर जाकर दुख दर्द बांटे. प्रशासन सरकार के इशारे पर काम कर रही है. उन्होंने कहा कि इस मामले में सीएम और डीजीपी से बात की जाएगी.
आपको बता दें कि पट्टी विधानसभा से भाजपा विधायक राजेन्द्र प्रताप मोती सिंह यूपी कैबिनेट में मंत्री है. वहीं मोती सिंह की विधानसभा में काफी दिनों से इस मामले को लेकर सियासत गर्म है. कभी अपना दल तो कभी कांग्रेस अग्निकांड को लेकर लगातार भाजपा पर निशाना साध रही है. ऐसे में जिला प्रशासन नहीं चाहता कि शांत हो चुके मामले में कोई राजनीतिक पार्टी दखल दे.
क्या था मामला
कुछ दिनों पहले पट्टी थाना क्षेत्र के धुई गांव में राम आसरे तिवारी और आसपर देवसरा के गोविंदपुर गांव में नन्हे वर्मा के बीच 21 मई की शाम खेत में मवेशी जाने को लेकर विवाद हुआ था. 22 मई को गोविंदपुर में पंचायत के बाद हुए बवाल में पांच पुलिसकर्मी समेत दर्जन भर लोग घायल हो गए थे. वहीं गोविंदपुर के रहने वाले बद्री प्रसाद वर्मा की पशुशाला में संदिग्ध दशा में आग लगी गई थी. इस हादसे में तीन मवेसी झुलस गए थे.
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