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प्रतापगढ़ : ओडीएफ जिला होने के बावजूद खुले में शौच जाने को मजबूर हैं लोग - latest news

ओडीएफ घोषित होने के बावजूद प्रतापगढ़ में शौचालय न होने की वजह से आज भी लोग खुले में शौच के लिए जाने को मजबूर हैं. बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के सभी 75 जिलों को ओडीएफ घोषित कर दिया है.

प्रतापगढ़
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Published : Mar 2, 2019, 4:33 PM IST

Updated : Sep 4, 2020, 3:07 PM IST

प्रतापगढ़ : 'तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं वादा किताबी है' .अदम गोंडवी की ये पंक्तियां प्रदेश सरकार के उस दावे पर सटीक बैठती हैं, जिसमें उन्होंने प्रदेश के 75 जिलों को ओडीएफ घोषित कर दिया है. केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'स्वच्छ भारत मिशन' के तहत ऐसे सभी परिवारों को शौचालय निर्माण के लिए 12 हजार रुपये दिये जाने थे, लेकिन सरकार की यह योजना कहीं भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गई तो कहीं कागजों के खेल में उलझ कर रह गई है.

लोगों से बातचीत करते ईटीवी संवाददाता.

ऐसा ही कुछ हाल प्रतापगढ़ का है. यह जिला कागजों में तो ओडीएफ घोषित हो गया, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. सदर ब्लाक के गांव बड़नपुर में अभी भी ऐसे परिवार हैं, जिनके पास शौचालय नहीं है और वह खुले में शौच के लिए मजबूर हैं.

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लोगों का आरोप है कि शौचालय निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग किया जा रहा है. साथ ही कुछ लोगों का आरोप है कि उनके नाम पर शौचालय के लिए आए धन को ग्राम प्रधान ने धोखे से निकाल लिया है. कई बार लिखित शिकायत के बाद भी प्रशासन की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.

ग्राम प्रधान सुनील सिंह का कहना कि बेस लाइन सर्वे के आधार पर गांव को जो शौचालय दिए गए, उसमें सिर्फ 109 परिवारों के ही नाम थे, जबकि गांव में 350 से अधिक परिवार रहते हैं. उन्होंने बताया कि जिन लोगों का नाम बेस लाइन सर्वे में नाम नहीं था, उनके लिए अतिरिक्त सूची का प्रस्ताव उन्होंने अधिकारियों को दिया था, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

डीपीआरओ उमाकांत पांडेय का कहना है कि कुछ जगहों पर इस प्रकार की अनियमितता की शिकायत मिल रही है. इस पर कार्रवाई की जा रही है.

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प्रतापगढ़ : 'तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं वादा किताबी है' .अदम गोंडवी की ये पंक्तियां प्रदेश सरकार के उस दावे पर सटीक बैठती हैं, जिसमें उन्होंने प्रदेश के 75 जिलों को ओडीएफ घोषित कर दिया है. केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'स्वच्छ भारत मिशन' के तहत ऐसे सभी परिवारों को शौचालय निर्माण के लिए 12 हजार रुपये दिये जाने थे, लेकिन सरकार की यह योजना कहीं भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गई तो कहीं कागजों के खेल में उलझ कर रह गई है.

लोगों से बातचीत करते ईटीवी संवाददाता.

ऐसा ही कुछ हाल प्रतापगढ़ का है. यह जिला कागजों में तो ओडीएफ घोषित हो गया, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. सदर ब्लाक के गांव बड़नपुर में अभी भी ऐसे परिवार हैं, जिनके पास शौचालय नहीं है और वह खुले में शौच के लिए मजबूर हैं.

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लोगों का आरोप है कि शौचालय निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग किया जा रहा है. साथ ही कुछ लोगों का आरोप है कि उनके नाम पर शौचालय के लिए आए धन को ग्राम प्रधान ने धोखे से निकाल लिया है. कई बार लिखित शिकायत के बाद भी प्रशासन की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.

ग्राम प्रधान सुनील सिंह का कहना कि बेस लाइन सर्वे के आधार पर गांव को जो शौचालय दिए गए, उसमें सिर्फ 109 परिवारों के ही नाम थे, जबकि गांव में 350 से अधिक परिवार रहते हैं. उन्होंने बताया कि जिन लोगों का नाम बेस लाइन सर्वे में नाम नहीं था, उनके लिए अतिरिक्त सूची का प्रस्ताव उन्होंने अधिकारियों को दिया था, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

डीपीआरओ उमाकांत पांडेय का कहना है कि कुछ जगहों पर इस प्रकार की अनियमितता की शिकायत मिल रही है. इस पर कार्रवाई की जा रही है.

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Intro:तुम्हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है,
मगर ये आंकड़े झूठे हैं वादा किताबी है।
अदम गोंडवी की ये पंक्तियां प्रदेश सरकार के उस दावे पर सटीक बैठती है जिसमें उन्होंने प्रदेश 75 जिलो को ओ डी एफ घोषित कर दिया है।केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत मिशन के तहत ऐसे सभी परिवारों को शौचालय निर्माण के लिए 12 हजार रुपये दिया जाना था और यह सुनिश्चित करना था कि कोई भी खुले में शौच के लिए ना जाए लेकिन सरकार की यह योजना कहीं भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गया तो कहीं कागजों के खेल में उलझ कर रह गया जिसके कारण ओडीएफ घोषित होने के बाद भी लोग खुले में शौच के लिए जाने को मजबूर हैं ।


Body:अभी हाल ही में मुख्यमंत्री ने तमाम मीडिया माध्यमों से विज्ञापन देकर प्रदेश के सभी 75 जिलों को ओडीएफ घोषित कर दिया लेकिन जब ईटीवी भारत ने जिले के गांव की पड़ताल की तो सरकार के इस दावे की कलई खुल गयी ।सदर ब्लाक के गाँव बड़नपुर में अभी भी ऐसे परिवार हैं जिनके पास शौचालय नहीं है और वह खुले में शौच के लिए जाने को विवश है जब इस बारे में ग्राम प्रधान से बात की गयी तो उनका कहना है कि 2008 में ढाई सौ शौचालय का निर्माण निर्मल ग्राम योजना के तहत कराया गया था और गाँव को निर्मल ग्राम भी घोषित किया गया था लेकिन घटिया निर्माण के कारण ज्यादतर शौचालय टूट गए।साथ ही उन्होंने बताया कि जिस बेस लाइन सर्वे के आधार पर गांव को शौचालय दिया गया उसमे सिर्फ 109 परिवार का ही नाम था जबकि गावँ में 350 से अधिक परिवार रहता है।उन्होंने बताया कि जिन लोगों का नाम बेस लाइन सर्वे में नाम नहीं था उनके लिए अतिरिक्त सूची का प्रस्ताव उन्होंने अधिकारियों को दिया था लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
जब हम इस संबंध में अधिकारियों से बात करने पहुँचे तो वहां पहले से ही तीन चार गाँव के लोग शौचालय ना मिलने या शौचालय में हुए भृष्टाचार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे।उन लोगों का आरोप था कि शौचालय निर्माण बेहद घटिया सामग्री से की जा रही है साथ ही कुछ लोगों का कहना है कि उनके नाम पर शौचालय के लिए आए धन को ग्राम प्रधान ने धोखे से निकाल लिया है और कई बार लिखित शिकायत के बाद भी प्रशासन की तरफ से कोई कार्यवाही नहीं कि जा रही है।

बाईट-गिरधारी देवी(ग्रामीण,बडन पुर)
बाईट-रमावती(ग्रामीण, बडन पुर)
बाईट-बृजेश(ग्रामीण,बडन पुर)
बाईट-हरेराम(ग्रामीण,बडन पुर)
बाईट-सुनील सिंह(ग्राम प्रधान बडनपुर)
बाईट-गिरजेश(दिव्यांग ग्रामीण,डाणी)
बाईट-राजकुमार सिंह(ग्रामीण,रामदेव पट्टी)
विज़ुअल-बदहाल शौचालय, प्रदर्शन
बाईट-उमाकांत पांडेय(डी पी आर ओ,प्रतापगढ़)
पीटीसी



Conclusion:
Last Updated : Sep 4, 2020, 3:07 PM IST
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