प्रतापगढ़ : 'तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं वादा किताबी है' .अदम गोंडवी की ये पंक्तियां प्रदेश सरकार के उस दावे पर सटीक बैठती हैं, जिसमें उन्होंने प्रदेश के 75 जिलों को ओडीएफ घोषित कर दिया है. केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'स्वच्छ भारत मिशन' के तहत ऐसे सभी परिवारों को शौचालय निर्माण के लिए 12 हजार रुपये दिये जाने थे, लेकिन सरकार की यह योजना कहीं भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गई तो कहीं कागजों के खेल में उलझ कर रह गई है.
ऐसा ही कुछ हाल प्रतापगढ़ का है. यह जिला कागजों में तो ओडीएफ घोषित हो गया, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. सदर ब्लाक के गांव बड़नपुर में अभी भी ऐसे परिवार हैं, जिनके पास शौचालय नहीं है और वह खुले में शौच के लिए मजबूर हैं.
लोगों का आरोप है कि शौचालय निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग किया जा रहा है. साथ ही कुछ लोगों का आरोप है कि उनके नाम पर शौचालय के लिए आए धन को ग्राम प्रधान ने धोखे से निकाल लिया है. कई बार लिखित शिकायत के बाद भी प्रशासन की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.
ग्राम प्रधान सुनील सिंह का कहना कि बेस लाइन सर्वे के आधार पर गांव को जो शौचालय दिए गए, उसमें सिर्फ 109 परिवारों के ही नाम थे, जबकि गांव में 350 से अधिक परिवार रहते हैं. उन्होंने बताया कि जिन लोगों का नाम बेस लाइन सर्वे में नाम नहीं था, उनके लिए अतिरिक्त सूची का प्रस्ताव उन्होंने अधिकारियों को दिया था, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
डीपीआरओ उमाकांत पांडेय का कहना है कि कुछ जगहों पर इस प्रकार की अनियमितता की शिकायत मिल रही है. इस पर कार्रवाई की जा रही है.