प्रतापगढ़: जिले में कोरोना के चलते ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. बिना मंच और बिना प्रत्यक्ष कवियों के भी कवि सम्मेलन हो सकता है, इस कल्पना को आयोजन ने कर दिखाया. करपात्री धाम भटनी निवसी धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज के वंशज कवि सौरभ ओझा ने कवि सम्मेलन का आयोजन किया. इस कार्यक्रम में 200 से अधिक साहित्य प्रेमियों ने भाग लिया. राजकीय पॉलिटेक्निक लखनऊ के प्रवक्ता मो. तहसीन ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की.
ऑनलाइन कवि सम्मेलन
तहसीन और सौरभ ओझा ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि यह एक बहुत ही शानदार पहल है. साथ ही उन्होंने अपने साहित्यिक अभिरुचि दिखाई और 'माजी में अक्सर मैं यूं उलझा रहा', 'अहले नजर में तेरा इंतजार करता रहा' जैसी कविता गाई. वहीं अंजनी अमोघ ने 'हर हाल में हमको प्यारी सियासत है, भय-भूख प्यास से ज्यादा दुलारी सियासत है' कविता पढ़ी. अनूप त्रिपाठी ने 'राम समझ रहमान समझ ले धर्म समझ ईमान समझ ले' कविता पढ़ी.
बिहार की महिला कवि अनामिका ने 'स्त्री हूं मैं हां मैं सिर्फ स्त्री हूं' कविता पढ़ी. राजकीय पॉलिटेक्निक लखनऊ की प्रवक्ता यांत्रिकी प्रेमान्तुषा सहाय ने कार्यक्रम के बाद सभी को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है जैसे- यह कार्यक्रम ऑनलाइन नहीं बल्कि, उनके सामने ही हो रहा है.
कार्यक्रम के संरक्षक पत्रकार सुरेन्द्र तिवारी सागर और मार्गदर्शक भटनी प्रधान अशोक सिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया. कार्यक्रम में अनूप सिंह, बीरू मिश्रा, प्रेम मिश्रा, शशांक शुक्ला, अमृतांश सिंह, प्रतीक उपाध्याय, ज्ञान प्रताप, शशांक कुशवाहा, निशीथ कुमार, प्रशांत, सोनू पाण्डेय, प्रज्जवल, सत्यम, अर्जुन, पंकज, अंजुल, हर्षित, गौरव, शुभ आदि कवि मौजूद रहे.