प्रतापगढ़: जिले में शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही उजागर हुई है. दरअसल प्राथमिक विद्यालयों के छात्रों को वितरित करने वालीं किताबें सड़क किनारे फेंकी गईं हैं. विद्यालय के बच्चों को पुस्तकें मुफ्त वितरित होनी थी. शासन के आदेशानुसार इन पुस्तकों को बीएसए कार्यालय से खण्ड शिक्षा अधिकारी को स्वयं शिक्षकों तक पहुंचाना था, लेकिन जबरन शिक्षकों से किताबें ले जाने को कहा जा रहा है, जिससे किताबें वितरित करने की जगह रास्ते में ही फेंक दी जा रही हैं.
अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार के आदेश के मुताबिक ब्लॉक संसाधन केन्द्रों से खंड शिक्षा अधिकारियों को पाठ्य पुस्तकों को स्कूल पहुंचाने का आदेश है. सरकारी बजट के बाद भी यह जिम्मेदारी शिक्षकों से पूरी कराई जा रही है. बीआरसी में स्कूलों के शिक्षक-शिक्षिकाओं को बुलाकर वहीं पर किताबें वितरित कर दी जाती हैं. अफसरों के आदेश पर शिक्षक भी उसका पालन करके स्वयं अपने संसाधनों से उन्हें ले जाने का काम करते हैं, लेकिन कुछ शिक्षक किताबों को ले जाने के बजाए उसे कूड़े में फेंक देते हैं.
किताबें ढोने के लिए शिक्षकों पर बनाया जाता है दबाव
पत्र के माध्यम से शिक्षकों पर हर रोज बीआरसी केन्द्रों से किताबें उठाने के लिए दबाव बनाया जाता है. शीघ्र से शीघ्र किताबें न ले जाने की दशा पर उच्चाधिकारियों तक उनकी शिकायतें करने की चेतावनी भी दी जाती है. इसके चलते शिक्षकों को मजबूरन जिम्मेदारी न होने के बाद भी यह काम पूरा करना पड़ता है.
ऐसा ही नजारा मंगलवार को विकास खण्ड मंगरौरा के ब्लॉक संशाधन केंद्र मंगरौरा पर देखने को मिला. जहां किताबें सड़क किनारे पड़ी थीं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले की प्राथमिक शिक्षा का क्या हाल है. कोरोना महामारी के चलते प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाई बंद है, लेकिन सरकार द्वारा बच्चों को घरों में शिक्षा ग्रहण करने के लिए किताबे वितरित कराई जा रही हैं. उसके बाद भी सिस्टम की लापरवाही के चलते किताबे सड़क किनारे फेंक दी जा रही हैं.
किताबें विद्यालयों तक पहुंचाने का कार्य खण्ड शिक्षा अधिकारी का है. उन्हें इसका निर्देश दे दिया गया है. अगर किताबें शिक्षकों से वितरित कराई जा रही हैं, साथ ही किताबों को फेंक देने की बात सामने आ रही है, तो हम स्वयं जांच करेंगे. जांच में जो भी जिम्मेदार होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
-अशोक कुमार सिंह, बीएसए प्रतापगढ़