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आयुर्वेद-एलोपैथी को मिलाने के खिलाफ एएमए ने उठाई आवाज

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन ने आयुर्वेदिक डॉक्टरों को सर्जरी की ट्रेनिंग व छूट देने का विरोध किया है. एसोसिएशन का कहना है कि एलोपैथी और आयुर्वेद अलग-अलग चिकित्सा पद्धति हैं, इन्हें मिलाया नहीं जाना चाहिए.

सर्जरी संबंधी प्रशिक्षण
सर्जरी संबंधी प्रशिक्षण
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Published : Dec 5, 2020, 11:14 AM IST

प्रयागराजः पिछले दिनों भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने आयुर्वेद के डॉक्टरों को सर्जरी संबंधी प्रशिक्षण व सुविधा देने की बात कही गई थी. इसके तहत आयुर्वेद में मास्टर डिग्री ले चुके डॉक्टर 39 क्षेत्रों में सर्जरी कर सकते हैं. इसका विरोध ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन ने किया था. इसी क्रम में इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन ने एक प्रेस वार्ता करके कहा कि आयुर्वेद पुरानी चिकित्सा पद्दति है , लेकिन उस विधा में विकास उस स्तर का नहीं हो पाया है कि आयुर्वेद विशेषज्ञों को आपरेशन की छूट दी जाए. डॉक्टरों का कहना है कि वह अपनी मांगों को लेकर आगामी 8 दिसंबर को सांकेतिक बंदी और 11 दिसंबर को राष्ट्रव्यापी हड़ताल करेंगे.

एमबीबीएस डॉक्टर को विशेष ट्रेनिंग
इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन की तरफ से प्रेसवार्ता करते हुए डॉ. एमके मदनानी ने कहा कि एमबीबीएस डॉक्टर को विशेष ट्रेनिंग दी जाती है, जबकि आयुर्वेद के डॉक्टर को ऐसी ट्रेनिंग नहीं दी जाती है. आज पढ़ाई के दौरान एमबीबीएस , बीएमएस और बीएचएमएस की कैटेगरी बनी हुई है. अगर इस तरह से सभी को मिक्स करना है तो यह कैटेगरी समाप्त करके सभी डिग्री को मिला देना चाहिए. मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करके उनके मौलिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है. एक सवाल के जवाब में डॉ. मदनानी ने कहा कि आयुर्वेद में एनेस्थिया नहीं है, जबकि आज की तारीख में बिना एनेस्थिया के कोई आपरेशन संभव ही नहीं है. साथ में मिसोपेथी से एमबीबीएस डिग्री ही अमान्य जैसी हो जाएगी. सरकार अगर उनकी बात नहीं मानती है तो 8 दिसंबर को सांकेतिक आंदोलन करेंगे और 11 दिसंबर को कोविड सर्विस को छोड़ कर कोई सर्विस नहीं करेंगे . प्रेस वार्ता में मौजूद लाल बहादुर आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. अवधेश कुमार का कहना है कि आयुर्वेद में शल्य चिकित्सा बहुत पुराणी विधा है , आचार्य शुश्रुत ने 300 प्रकार के शल्य चिकित्सा का वर्णन किया है और बहुत से शल्य उपकरण की बात है जिसका आज की तारीख में आधुनिकीकरण हो गया है. बहुत से छोटे-छोटे शल्य चिकित्सा का इलाज सफलतापूर्वक किया जाता है .

ना मिलाई जाए डिग्री
इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना था कि वे आयुर्वेद में सर्जरी का विरोध नहीं करते हैं लेकिन उनको ऐसा प्रशिक्षण दिया जाए और आयुर्वेद में भी आधुनिक दवाइयों का विकास किया जाए. डिग्री को मिलाया ना किया जाए. प्रेसवार्ता के दौरान डॉ. राजेश मौर्य , डॉ. आशुतोष, डॉ. सुजीत आदि मौजूद थे.

प्रयागराजः पिछले दिनों भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने आयुर्वेद के डॉक्टरों को सर्जरी संबंधी प्रशिक्षण व सुविधा देने की बात कही गई थी. इसके तहत आयुर्वेद में मास्टर डिग्री ले चुके डॉक्टर 39 क्षेत्रों में सर्जरी कर सकते हैं. इसका विरोध ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन ने किया था. इसी क्रम में इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन ने एक प्रेस वार्ता करके कहा कि आयुर्वेद पुरानी चिकित्सा पद्दति है , लेकिन उस विधा में विकास उस स्तर का नहीं हो पाया है कि आयुर्वेद विशेषज्ञों को आपरेशन की छूट दी जाए. डॉक्टरों का कहना है कि वह अपनी मांगों को लेकर आगामी 8 दिसंबर को सांकेतिक बंदी और 11 दिसंबर को राष्ट्रव्यापी हड़ताल करेंगे.

एमबीबीएस डॉक्टर को विशेष ट्रेनिंग
इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन की तरफ से प्रेसवार्ता करते हुए डॉ. एमके मदनानी ने कहा कि एमबीबीएस डॉक्टर को विशेष ट्रेनिंग दी जाती है, जबकि आयुर्वेद के डॉक्टर को ऐसी ट्रेनिंग नहीं दी जाती है. आज पढ़ाई के दौरान एमबीबीएस , बीएमएस और बीएचएमएस की कैटेगरी बनी हुई है. अगर इस तरह से सभी को मिक्स करना है तो यह कैटेगरी समाप्त करके सभी डिग्री को मिला देना चाहिए. मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करके उनके मौलिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है. एक सवाल के जवाब में डॉ. मदनानी ने कहा कि आयुर्वेद में एनेस्थिया नहीं है, जबकि आज की तारीख में बिना एनेस्थिया के कोई आपरेशन संभव ही नहीं है. साथ में मिसोपेथी से एमबीबीएस डिग्री ही अमान्य जैसी हो जाएगी. सरकार अगर उनकी बात नहीं मानती है तो 8 दिसंबर को सांकेतिक आंदोलन करेंगे और 11 दिसंबर को कोविड सर्विस को छोड़ कर कोई सर्विस नहीं करेंगे . प्रेस वार्ता में मौजूद लाल बहादुर आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. अवधेश कुमार का कहना है कि आयुर्वेद में शल्य चिकित्सा बहुत पुराणी विधा है , आचार्य शुश्रुत ने 300 प्रकार के शल्य चिकित्सा का वर्णन किया है और बहुत से शल्य उपकरण की बात है जिसका आज की तारीख में आधुनिकीकरण हो गया है. बहुत से छोटे-छोटे शल्य चिकित्सा का इलाज सफलतापूर्वक किया जाता है .

ना मिलाई जाए डिग्री
इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना था कि वे आयुर्वेद में सर्जरी का विरोध नहीं करते हैं लेकिन उनको ऐसा प्रशिक्षण दिया जाए और आयुर्वेद में भी आधुनिक दवाइयों का विकास किया जाए. डिग्री को मिलाया ना किया जाए. प्रेसवार्ता के दौरान डॉ. राजेश मौर्य , डॉ. आशुतोष, डॉ. सुजीत आदि मौजूद थे.

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