प्रतापगढ: 21 दिन के लॉकडाउन के चलते जिले में दूध की खपत में 50 फीसदी की कमी आई है. चाय और मिठाई की दुकानें बंद होने से दूध, खोया, पनीर और मक्खन का बाजार ठण्डा हो गया है. यही कारण है कि दूध कंपनियों और लोकल दूधियों को संकट का समाना करना पड़ रहा है. आठ दिन पहले जिले में 14,840 लीटर दूध की प्रतिदिन खपत होती थी, जो आज केवल 7,420 लीटर के करीब आ गई है.
बता दें कि लॉकडाउन से उन लोगों को संकट का सामना करना पड़ रहा है, जो दुग्ध का उत्पादन करके अपने व्यवसाय को माध्यम बना चुके थे. पशुपालन विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक जिले में प्रतिदिन 14,840 लीटर की मांग है. इसमें 9,984 लीटर दूध का उत्पादन जिले में होता है और 4,856 लीटर दूध मऊआइमा और प्रयागराज से आता है.
इसमें पैकेट बंद दूध भी शामिल हैं, जो दुकानों पर मिलते हैं. लॉकडाउन के चलते प्रयागराज और मऊआइमा से दूध की सप्लाई बंद है. उनका कहना है कि दूध पर संकट नहीं है, लेकिन दूध व्यापार पर संकट जरूर है. जिले के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. विजय प्रताप सिंह का कहना है कि लॉकडाउन से दूध की बिक्री पर कोई असर नहीं पड़ा है, लेकिन मिठाई और चाय की दुकानों के बंद होने से मांग पर असर पड़ा है. फिर भी आम ग्राहकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए दूधिये को बगैर किसी रोक-टोक के आने-जाने दिया जा रहा है.