पीलीभीत: टोक्यो में हो रहे ओलंपिक खेलों में आज भारत ने जर्मनी को 5-4 से हराकर कांस्य पदक अपने नाम किया है. ऐसे में देश भर में खुशी की लहर है. पीलीभीत का एक बेटा सिमरनजीत भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा है. मैच के एक दिन पहले ईटीवी भारत ने सिमरनजीत के घर पर जाकर परिवार वालों के बात की. परिवारजनों ने इसपर अपनी खुशी जाहिर करते हुए ईटीवी भारत के कैमरे पर खेल के प्रति उनके त्याग की पूरी कहानी बताई.
पीलीभीत के मझारा के रहने वाले इकबाल सिंह के घर में बड़े बेटे के रूप में जन्म लेने वाले सिमरनजीत की बड़ी रोचक दास्तां है. सिमरनजीत शुरू से ही खेलों के प्रति अलग ही सोच रखते थे. अपने ताऊ रशपाल सिंह को रोल मॉडल मानते हुए हॉकी में हुनर आजमाने के लिए महज 10 साल की उम्र में सिमरजीत ने अपने माता-पिता को छोड़कर पंजाब जाने का फैसला किया. जहां पंजाब की चीमा हॉकी एकेडमी में दाखिला लेने के साथ-साथ ताऊ के घर रह कर ही सिमरजीत ने अपनी पढ़ाई पूरी की.
परिवारजनों ने बताया कि सिमरनजीत ने हॉकी थमने के बाद कभी पलटकर नहीं देखा. पहले स्टेट लेवल पर नेशनल लेवल के कई मैच खेल कर बेहतर प्रदर्शन कर भारतीय हॉकी टीम में अपनी जगह बनाई. अब सिमरनजीत अपने गांव के आसपास रहने वाले बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए कुछ करना चाहते हैं.
टोक्यो ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा बने पीलीभीत के सिमरनजीत के पिता इकबाल सिंह ने ईटीवी भारत के कैमरे पर खुशी जाहिर की. उन्होंने बताया कि छोटी सी उम्र में हॉकी की ट्रेनिंग लेने के लिए सुरजीत हॉकी एकेडमी जालंधर में दाखिला ले लिया और देखते ही देखते अपनी प्रतिभा के बल पर पहले स्टेट और फिर नेशनल हॉकी टीम में अपनी जगह बना ली. सिमरनजीत के पिता ने बताया कि लंबा अरसा बीत जाता है घरवालों को अपने बेटे को देखने के लिए तरसना पड़ता है.
ऐसे में सिमरनजीत के मेडल और फोटो के सहारे ही परिवार वाले अपने बेटे को खोजने की कोशिश करते हैं. उन्होंने कहा कि जब भी सिमरनजीत का मैच टीवी पर आता है तो गांव में एक जश्न का माहौल होता है. गांव के कई लोग उनके घर पर मैच देखने के लिए जमा हो जाते हैं और सिमरनजीत के बेहतर प्रदर्शन को गांव में जश्न की तरह मनाया जाता है.