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अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस 2020: पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बढ़ी बाघों की संख्या

उत्तर प्रदेश का पीलीभीत टाइगर रिजर्व टाइगर्स को लेकर अपने आपमें विशेष पहचान रखता है. यहां पर टाइगर्स का दीदार करने के लिए देश-प्रदेश ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी लोग आते हैं. अब तक की रिपोर्ट के मुताबिक पीलीभीत टाइगर रिजर्व में 65 टाइगर मौजूद हैं, जो कि टाइगर रिजर्व प्रशासन के लिए बेहद खुशी की बात है.

international tiger day 2020
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस 2020
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Published : Jul 29, 2020, 4:40 PM IST

पीलीभीत: हिमालय की तलहटी में बसा पीलीभीत अपनी हरियाली और जंगल को लेकर विशेष पहचान रखता है. सन् 2014 में पीलीभीत के घने जंगल को पीलीभीत टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था. पूरे देश में टाइगर की संख्या बढ़ाने के लिए टाइगर प्रोजेक्ट चलाया गया. सन् 2014 में पीलीभीत टाइगर रिजर्व बनते ही यहां मात्र 25 टाइगर मौजूद थे. मगर अब पीलीभीत टाइगर रिजर्व में टाइगर्स का कुनबा बढ़कर 65 तक पहुंच चुका है.

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस 2020.
बाघ के हमले में 31 लोगों ने गवाई जान
पीलीभीत टाइगर रिजर्व में टाइगर का बढ़ता कुनबा जिले के पर्यटन के साथ-साथ टाइगर रिजर्व प्रशासन के लिए बेहद खुशी की बात है. मगर जिले की भोली-भाली जनता के लिए बेहद ही चुनौतीपूर्ण स्थिति बनी हुई है. 2014 में टाइगर रिजर्व घोषित होने के बाद से लेकर जनपद में अभी तक कई बार मानव वन्यजीव संघर्ष हो चुका है. इसमें टाइगर के हमले में 31 लोगों को अपनी जान की कीमत चुकानी पड़ी है. इतना ही नहीं टाइगर रिजर्व में टाइगर का बढ़ता कुनबा जनता के साथ ही नहीं, बल्कि टाइगर्स के लिए भी बेहद ही चुनौतीपूर्ण बना हुआ है. ऐसा इसीलिए, क्योंकि मानव वन्यजीव संघर्ष में गुस्साए ग्रामीणों ने अभी तक 2 टाइगरों की जान ले ली है.

जंगल के सीमावर्ती इलाकों में टाइगर आतंक
पीलीभीत टाइगर रिजर्व की जंगल के आस-पास के सीमावर्ती गांव में अक्सर वन्यजीव संघर्ष देखने को मिलता है. ऐसा इसीलिए, क्योंकि जंगल से निकलने के बाद बाघ जंगल से सटे खेतों में काम करने वाले किसानों को अपना निवाला बना लेते हैं. इतना ही नहीं कुछ उपद्रवी लोगों की तरफ से टाइगर रिजर्व की कई एकड़ जमीन पर अतिक्रमण कर लिया गया है. टाइगर रिजर्व की जमीन पर खेती करना भी मानव वन्यजीव संघर्ष का बड़ा कारण बना हुआ है.

बाघ के हमले से वन विभाग का भी हो चुका है नुकसान
पीलीभीत में टाइगर का हमला केवल आम जनता के लिए ही परेशानी नहीं, बल्कि पीलीभीत टाइगर रिजर्व प्रशासन के लिए भी बाघों का हमला परेशानी का सबब बना हुआ है. हाल ही में कुछ दिन पहले माला रेंज की रिछोला चौकी के पास एक बाघिन ने बंगाली कालोनी के रहने वाले एक युवक को अपना निवाला बना लिया था. इसके बाद गुस्साए ग्रामीणों ने रेंज ऑफिस में घुसकर वन विभाग की सभी गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया था, जहां लाखों का नुकसान हुआ था.

टाइगर प्रोजेक्ट का दिखा असर
बाघ संरक्षण को लेकर केंद्र सरकार ने 1 अप्रैल 1973 को टाइगर्स को बचाने के लिए टाइगर रिजर्व प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी. 1972 में पहली बार हुई टाइगर की जनगणना में पूरे देश में मात्र 1800 टाइगर थे. आज पूरे देश में 2967 टाइगर हैं. पीलीभीत टाइगर रिजर्व में 2014 में 25 टाइगर थे, जहां आज बाघों की संख्या 65 पहुंच चुकी है.

पीलीभीत टाइगर रिजर्व में टाइगर का कुनबा लगातार बढ़ता जा रहा है. जब से पीलीभीत टाइगर रिजर्व घोषित हुआ है, तब से लेकर आज तक लगातार टाइगरों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. इसी क्रम में टाइगर रिजर्व में टाइगर की संख्या 65 पहुंच चुकी है
-नवीन खंडेलवाल, डिप्टी डायरेक्टर, पीलीभीत टाइगर रिजर्व

पीलीभीत: हिमालय की तलहटी में बसा पीलीभीत अपनी हरियाली और जंगल को लेकर विशेष पहचान रखता है. सन् 2014 में पीलीभीत के घने जंगल को पीलीभीत टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था. पूरे देश में टाइगर की संख्या बढ़ाने के लिए टाइगर प्रोजेक्ट चलाया गया. सन् 2014 में पीलीभीत टाइगर रिजर्व बनते ही यहां मात्र 25 टाइगर मौजूद थे. मगर अब पीलीभीत टाइगर रिजर्व में टाइगर्स का कुनबा बढ़कर 65 तक पहुंच चुका है.

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस 2020.
बाघ के हमले में 31 लोगों ने गवाई जान
पीलीभीत टाइगर रिजर्व में टाइगर का बढ़ता कुनबा जिले के पर्यटन के साथ-साथ टाइगर रिजर्व प्रशासन के लिए बेहद खुशी की बात है. मगर जिले की भोली-भाली जनता के लिए बेहद ही चुनौतीपूर्ण स्थिति बनी हुई है. 2014 में टाइगर रिजर्व घोषित होने के बाद से लेकर जनपद में अभी तक कई बार मानव वन्यजीव संघर्ष हो चुका है. इसमें टाइगर के हमले में 31 लोगों को अपनी जान की कीमत चुकानी पड़ी है. इतना ही नहीं टाइगर रिजर्व में टाइगर का बढ़ता कुनबा जनता के साथ ही नहीं, बल्कि टाइगर्स के लिए भी बेहद ही चुनौतीपूर्ण बना हुआ है. ऐसा इसीलिए, क्योंकि मानव वन्यजीव संघर्ष में गुस्साए ग्रामीणों ने अभी तक 2 टाइगरों की जान ले ली है.

जंगल के सीमावर्ती इलाकों में टाइगर आतंक
पीलीभीत टाइगर रिजर्व की जंगल के आस-पास के सीमावर्ती गांव में अक्सर वन्यजीव संघर्ष देखने को मिलता है. ऐसा इसीलिए, क्योंकि जंगल से निकलने के बाद बाघ जंगल से सटे खेतों में काम करने वाले किसानों को अपना निवाला बना लेते हैं. इतना ही नहीं कुछ उपद्रवी लोगों की तरफ से टाइगर रिजर्व की कई एकड़ जमीन पर अतिक्रमण कर लिया गया है. टाइगर रिजर्व की जमीन पर खेती करना भी मानव वन्यजीव संघर्ष का बड़ा कारण बना हुआ है.

बाघ के हमले से वन विभाग का भी हो चुका है नुकसान
पीलीभीत में टाइगर का हमला केवल आम जनता के लिए ही परेशानी नहीं, बल्कि पीलीभीत टाइगर रिजर्व प्रशासन के लिए भी बाघों का हमला परेशानी का सबब बना हुआ है. हाल ही में कुछ दिन पहले माला रेंज की रिछोला चौकी के पास एक बाघिन ने बंगाली कालोनी के रहने वाले एक युवक को अपना निवाला बना लिया था. इसके बाद गुस्साए ग्रामीणों ने रेंज ऑफिस में घुसकर वन विभाग की सभी गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया था, जहां लाखों का नुकसान हुआ था.

टाइगर प्रोजेक्ट का दिखा असर
बाघ संरक्षण को लेकर केंद्र सरकार ने 1 अप्रैल 1973 को टाइगर्स को बचाने के लिए टाइगर रिजर्व प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी. 1972 में पहली बार हुई टाइगर की जनगणना में पूरे देश में मात्र 1800 टाइगर थे. आज पूरे देश में 2967 टाइगर हैं. पीलीभीत टाइगर रिजर्व में 2014 में 25 टाइगर थे, जहां आज बाघों की संख्या 65 पहुंच चुकी है.

पीलीभीत टाइगर रिजर्व में टाइगर का कुनबा लगातार बढ़ता जा रहा है. जब से पीलीभीत टाइगर रिजर्व घोषित हुआ है, तब से लेकर आज तक लगातार टाइगरों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. इसी क्रम में टाइगर रिजर्व में टाइगर की संख्या 65 पहुंच चुकी है
-नवीन खंडेलवाल, डिप्टी डायरेक्टर, पीलीभीत टाइगर रिजर्व

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