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कई सालों से 12:30 पर अटकी हैं पीलीभीत घंटाघर की सुइयां

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में शहर के बीचोबीच बनी हुई ऐतिहासिक घंटाघर की घड़ियों की सुइयां 12:30 पर ही अटकी हुई हैं. देखरेख के अभाव में घंटाघर के ऊपर घास और पौधे भी उग आए हैं, लेकिन प्रसाशन को कोई सुध नहीं है.

घड़ियों की सुईया 12:30 बजे पर ही अटकी
घड़ियों की सुईया 12:30 बजे पर ही अटकी
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Published : Sep 15, 2020, 3:16 AM IST

पीलीभीत: शहर के बीच बाजार में स्थित ऐतिहासिक घंटाघर की घड़ियों की सुइयां पिछले कई सालों से 12:30 बजे पर ही अटकी हुई हैं. एक दो बार इनकी रिपेयरिंग भी कराई गई, लेकिन रखरखाव के अभाव में यह घंटाघर बदहाल है. आसपास के सरकारी किराए की दुकानों पर किए गए अवैध निर्माण की वजह से अब यह घंटाघर उसके नीचे पहुंचने पर ही दिखाई देता है. देखरेख के अभाव में घंटाघर के ऊपर घास और पौधे भी उग आए हैं और प्रशासन कुंभकरणीं नींद में मस्त है.

जानकारी देते लोग.


कपड़ा व्यापारी बबलू महातिया बताते हैं कि यूपी के पीलीभीत जिले में कई ऐतिहासिक प्रवेश द्वार हैं. पीलीभीत को बसाने वाले हाफिज रहमत खां ने पीलीभीत को एक नई पहचान दी थी. हाफिज रहमत खां ने 120 वर्ष पूर्व ब्रिटिश साम्राज्य के समय चार ऐतिहासिक गेट बनवाए थे. इतना ही नहीं, शहर के बीचोबीच ड्रमंडगंज चौराहे पर एक घंटाघर का भी निर्माण कराया गया था. इसकी विशेषता यह थी कि घंटाघर में चारों तरफ घड़ियां थीं और हर घंटे घंटा बजता था, पर वह आज शांत पड़ा हुआ है. यहां घड़ियों की सुइयां 12:30 बजे पर ही लटकी हुई हैं.

खरखाव के अभाव में हुआ बंद
आज से करीब 120 साल पहले शहर के बीचोबीच एक सेंटर पॉइंट हुआ करता था, जिसके चलते वहां पर घंटाघर का निर्माण कराया गया था. घंटाघर आज भी सही सलामत मौजूद है, लेकिन इसके चारों ओर लगी घड़ियों की सुइया 12:30 बजे पर ही अटकी हुई हैं. आसपास के ड्रमंडगंज बाजार के किराएदार दुकानों द्वारा बहुमंजिला दुकानें बना लेने की वजह से अब घंटाघर दिखाई भी नहीं देता है. शहर की जनता की मांग पर एक दो बार इसकी घड़ी की रिपेयरिंग कराई गई, लेकिन रखरखाव के अभाव में यह फिर से बंद हो गई. हालत यह है कि उत्तर, पश्चिम और दक्षिण दिशा की घड़ी में 12:30 बज रहे हैं. वहीं पूर्व दिशा की घड़ी में 6:00 बज रहे हैं.

जनपद पीलीभीत के लिए यह बेहद दुर्भाग्य की बात है. जो पीलीभीत की पहचान घंटाघर हुआ करता था, आज घंटाघर की घड़ी की सुई 12:30 पर ही रुक गई है. नगर पालिका प्रशासन को इसकी मरम्मत करानी चाहिए.

- शैली शर्मा, शिवसेना जिलाध्यक्ष

कपड़ा व्यापारी बबलू महातिया ने बताया कि अंग्रेजों के जमाने में पीलीभीत को बसाने वाले हाफिज रहमत खां ने करीब 120 वर्ष पहले नगरवासियों के लिए ड्रमंडगंज चौराहे पर घंटाघर का निर्माण कराया था, जो कि जनपद पीलीभीत की पहचान का एक केंद्र था, लेकिन पिछले 20 सालों से पीलीभीत की पहचान घंटाघर की घड़ी की सुइयां 12:30 बजे पर ही अटकी हुई हैं.

पीलीभीत: शहर के बीच बाजार में स्थित ऐतिहासिक घंटाघर की घड़ियों की सुइयां पिछले कई सालों से 12:30 बजे पर ही अटकी हुई हैं. एक दो बार इनकी रिपेयरिंग भी कराई गई, लेकिन रखरखाव के अभाव में यह घंटाघर बदहाल है. आसपास के सरकारी किराए की दुकानों पर किए गए अवैध निर्माण की वजह से अब यह घंटाघर उसके नीचे पहुंचने पर ही दिखाई देता है. देखरेख के अभाव में घंटाघर के ऊपर घास और पौधे भी उग आए हैं और प्रशासन कुंभकरणीं नींद में मस्त है.

जानकारी देते लोग.


कपड़ा व्यापारी बबलू महातिया बताते हैं कि यूपी के पीलीभीत जिले में कई ऐतिहासिक प्रवेश द्वार हैं. पीलीभीत को बसाने वाले हाफिज रहमत खां ने पीलीभीत को एक नई पहचान दी थी. हाफिज रहमत खां ने 120 वर्ष पूर्व ब्रिटिश साम्राज्य के समय चार ऐतिहासिक गेट बनवाए थे. इतना ही नहीं, शहर के बीचोबीच ड्रमंडगंज चौराहे पर एक घंटाघर का भी निर्माण कराया गया था. इसकी विशेषता यह थी कि घंटाघर में चारों तरफ घड़ियां थीं और हर घंटे घंटा बजता था, पर वह आज शांत पड़ा हुआ है. यहां घड़ियों की सुइयां 12:30 बजे पर ही लटकी हुई हैं.

खरखाव के अभाव में हुआ बंद
आज से करीब 120 साल पहले शहर के बीचोबीच एक सेंटर पॉइंट हुआ करता था, जिसके चलते वहां पर घंटाघर का निर्माण कराया गया था. घंटाघर आज भी सही सलामत मौजूद है, लेकिन इसके चारों ओर लगी घड़ियों की सुइया 12:30 बजे पर ही अटकी हुई हैं. आसपास के ड्रमंडगंज बाजार के किराएदार दुकानों द्वारा बहुमंजिला दुकानें बना लेने की वजह से अब घंटाघर दिखाई भी नहीं देता है. शहर की जनता की मांग पर एक दो बार इसकी घड़ी की रिपेयरिंग कराई गई, लेकिन रखरखाव के अभाव में यह फिर से बंद हो गई. हालत यह है कि उत्तर, पश्चिम और दक्षिण दिशा की घड़ी में 12:30 बज रहे हैं. वहीं पूर्व दिशा की घड़ी में 6:00 बज रहे हैं.

जनपद पीलीभीत के लिए यह बेहद दुर्भाग्य की बात है. जो पीलीभीत की पहचान घंटाघर हुआ करता था, आज घंटाघर की घड़ी की सुई 12:30 पर ही रुक गई है. नगर पालिका प्रशासन को इसकी मरम्मत करानी चाहिए.

- शैली शर्मा, शिवसेना जिलाध्यक्ष

कपड़ा व्यापारी बबलू महातिया ने बताया कि अंग्रेजों के जमाने में पीलीभीत को बसाने वाले हाफिज रहमत खां ने करीब 120 वर्ष पहले नगरवासियों के लिए ड्रमंडगंज चौराहे पर घंटाघर का निर्माण कराया था, जो कि जनपद पीलीभीत की पहचान का एक केंद्र था, लेकिन पिछले 20 सालों से पीलीभीत की पहचान घंटाघर की घड़ी की सुइयां 12:30 बजे पर ही अटकी हुई हैं.

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