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पीलीभीत : जिला अस्पताल को है स्वास्थ्य सेवाओं की दरकार, मरीज परेशान - patient

पीलीभीत जिला अस्पताल में मात्र एक ही वेंटिलेटर है, जिसके चलते गंभीर हालत में आए मरीजों को हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया जाता है. इसके अलावा अस्पताल में कोई कार्डियोलोजिस्ट न होने से आईसीयू की सुविधाएं भी बंद हैं.

रत्न पाल सुमन
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Published : Feb 27, 2019, 3:32 PM IST

पीलीभीत : बदलते मौसम के चलते मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन इलाज के लिए जिला अस्पताल में व्यवस्थाओं का खासा अभाव है. गंभीर हालत में आए मरीजों को वेंटिलेटर के अभाव के चलते बरेली या लखनऊ रेफर कर दिया जाता है. ऐसे में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर बरती जा रही उदासीनता मरीजों के लिए परेशानी की सबब बनती जा रही है.

जानकारी देते मुख्य चिकित्सा अधीक्षक रत्न पाल सुमन.

जिला अस्पताल डॉक्टरों की कमी से भी जूझ रहा है. यहां पर 27 डॉक्टरों में मात्र 17 डॉक्टर ही तैनात हैं. सीधे तौर पर 10 डॉक्टरों की कमी भी मरीजों को रेफर करने का एक बड़ा कारण है. इसके अलावा अस्पताल में कोई कॉर्डियोलोजिस्ट नहीं है, जिससे आईसीयू की सुविधाएं भी बंद हैं.

मुख्य चिकित्सा अधीक्षक रत्न पाल सुमन कहना है कि अस्पताल में एक ही वेंटिलेटर है, जिसको ऑपरेशन थियेटर में रखा गया है. जब ऑपरेशन के दौरान किसी मरीज की हालत सीरियस होती है तो उसका इलाज तुरंत वेंटिलेटर पर किया जाता है.

पीलीभीत : बदलते मौसम के चलते मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन इलाज के लिए जिला अस्पताल में व्यवस्थाओं का खासा अभाव है. गंभीर हालत में आए मरीजों को वेंटिलेटर के अभाव के चलते बरेली या लखनऊ रेफर कर दिया जाता है. ऐसे में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर बरती जा रही उदासीनता मरीजों के लिए परेशानी की सबब बनती जा रही है.

जानकारी देते मुख्य चिकित्सा अधीक्षक रत्न पाल सुमन.

जिला अस्पताल डॉक्टरों की कमी से भी जूझ रहा है. यहां पर 27 डॉक्टरों में मात्र 17 डॉक्टर ही तैनात हैं. सीधे तौर पर 10 डॉक्टरों की कमी भी मरीजों को रेफर करने का एक बड़ा कारण है. इसके अलावा अस्पताल में कोई कॉर्डियोलोजिस्ट नहीं है, जिससे आईसीयू की सुविधाएं भी बंद हैं.

मुख्य चिकित्सा अधीक्षक रत्न पाल सुमन कहना है कि अस्पताल में एक ही वेंटिलेटर है, जिसको ऑपरेशन थियेटर में रखा गया है. जब ऑपरेशन के दौरान किसी मरीज की हालत सीरियस होती है तो उसका इलाज तुरंत वेंटिलेटर पर किया जाता है.

Intro:इस बदलते मौसम में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है लेकिन मरीजों के इलाज के लिए जिला अस्पताल पीलीभीत में व्यवस्थाओं के अभाव में चल रहा है या यूं कहें पीलीभीत जिला अस्पताल की चिकित्सा सेवाएं खुद वेंटिलेटर पर हैं आपको बता दें पीलीभीत जिला अस्पताल में एक वेंटिलेटर है जिसे ऑपरेशन थिएटर में रखा गया है शायद वेंटिलेटर के अभाव में गंभीर हालत में आए मरीजों को हायर सेंटर के लिए बरेली या लखनऊ रेफर किया जाता है


Body:जहां एक और इस बदलते मौसम में मरीजों की संख्या में इजाफा देखा जा रहा है दिन प्रतिदिन मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, लोग नई नई बीमारियों से जूझते दिखाई दे रहे हैं, जिले की जनता तो उनकी बीमारियों से नीजात दिलाने वाला जिला अस्पताल आज खुद वेंटिलेटर बना हुआ है, जी हां ये बिल्कुल सही बात है कि पीलीभीत जिले का जिला अस्पताल अपनी चिकित्सी सेवायें खुद वेंटिलेटर पर अपनी बीमारियों से जूझ रही हैं।

आपको बतां दे पीलीभीत जिला अस्पताल में गंभीर बीमारियों से जूझ रहें मरोजों के लिए मात्र एक वेंटिलेटर बेड है वो भी ऑपरेशन थियेटर में, शायद इसी वजह से भरी संख्या में गंभीर बीमारी से जूझ रहे लोगों को हायर सेंटर रेफर किया जाता है, साथ ही जिला अस्पताल में आईसीयू भी भी नही है, ये तो बात रही स्वास्थ्य सेवाएं देने वाले उपकरणों की कमी की, यदि बात करें जिला अस्पताल में डॉक्टरों की तो अस्पताल डाक्टरों की कमी से भी जूझ रहा है, यहां पर 27 डॉक्टरों में मात्र 17 डॉक्टर ही है, सीधे तौर पर जीला अस्पताल में 10 डॉक्टरों की कमी है, शायद डाक्टरों की कमी भी मरोजों के रेफर करने का सबसे बड़ा कारण है।


Conclusion:जब इस संबंध में जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक रत्न पाल सुमन से बात की तो उन्होंने बताया कि हमारे यहां केवल एक ही वेंटिलेटर है जिसको ऑपरेशन थियेटर में रखा गया है, जब ऑपरेशन के दौरान कोई मरीज की हालत सीरियस होती है तो मरीज का तुरंत वेंटिलेटर पर इलाज किया जाता है, बाकी बात रही आसीयू कि तो हमारे पास कोई भी कार्डियोलोजिस्ट नही है इस वजह से हमारे पास आसीयू नही है, बाकी हम लोग गंभीर हालत में मरीजों का इलाज समय पर ओर सही तह से करते हैं।
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