ETV Bharat / state

जानिए क्या है 'यशवंतरी देवी मंदिर' का महत्व और क्यों लिया मां ने अवतार...

यूपी के पीलीभीत में शहर के बीचो-बीच स्थित यशवंतरी मंदिर का इतिहास लगभग सैकड़ों साल पुराना है. इस मंदिर की काफी मान्यता है. यहां पर हर वर्ष नवरात्रि में मां यशवंतरी के दर्शन के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं.

author img

By

Published : Oct 23, 2020, 2:32 PM IST

मां यशवंतरी के दर्शन के लिए भारी संख्या में पहुंचते हैं श्रद्धालु.
मां यशवंतरी के दर्शन के लिए भारी संख्या में पहुंचते हैं श्रद्धालु.

पीलीभीत: जिले में शहर के बीचो-बीच स्थित यशवंतरी देवी मंदिर का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है. मान्यता है कि, मां यशवंतरी देवी ने नकटादाना राक्षस को मारने के लिए अवतार लिया था. इसके बाद से आज तक हर नवरात्रि में यहां पर मेला लगता है. दूर-दूर से लोग इस मेले में शामिल होने के लिए पीलीभीत आते हैं.

नकटादाना राक्षस को मारने के लिए 'मां यशवंतरी' ने लिया अवतार
नकटादाना राक्षस को मारने के लिए 'मां यशवंतरी' ने लिया अवतार

मां यशवंतरी ने क्यों लिया अवतार ?
शहर के बीचो-बीच बना यशवंतरी मंदिर लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, हजारों साल पहले नकटादाना नाम का एक राक्षस हुआ करता था, जिसने यहां के लोगों का जीना मुश्किल कर रखा था. नकटादाना राक्षस के अत्याचार से छुटकारा पाने के लिए यहां के लोगों ने यज्ञ-हवन किया, जिसके बाद मां यशवंतरी देवी ने यहां पर अवतार लिया और नकटादाना नामक राक्षस का वध किया था.

जानिए क्या है 'यशवंतरी देवी मंदिर' का महत्व.

ये है मान्यता
यशवंतरी देवी मंदिर में हर नवरात्रि को बड़े मेले का आयोजन होता है. जिसमें देश के कई हिस्सों से आये लोग शामिल होते हैं. मान्यता है कि यहां पर राक्षस नकटादाना को मारने के बाद मां यशवंतरी देवी ने पानी पिया था, जो जल आज भी मां यशवंतरी देवी के मूर्ति के नीचे स्थित है. बताया जाता है यहां पर नेत्रहीन लोगों को वह जल दिया जाता है, जिसे लगाते ही लोगों की आंखों की रोशनी वापस आ जाती है.

राक्षस नकटादाना के नाम पर है चौराहा
मां यशवंतरी मंदिर से 500 मीटर की दूरी पर आज भी नकटादाना राक्षस के नाम पर चौराहा बना हुआ है, जो कि शहर के सबसे व्यस्ततम चौराहे में से एक है. यह चौराहा टनकपुर हाइवे पर मौजूद है. बताया जाता है कि नकटादाना राक्षस इसी चौराहे पर खड़े होकर लोगों को जिंदा खा जाता था. इसलिए इस चौराहे को नकटादाना चौराहे के नाम से जाना जाता है.

मंदिर के महंत राजेश स्वरूप बाजपेई ने बताया कि मंदिर यशवंतरी देवी का यह मंदिर लगभग 100 साल पुराना है. यहां नकटादाना नामक राक्षस को मारने के लिए मां ने अवतार लिया था. उसके बाद इसी मंदिर में विश्राम किया था और जल ग्रहण किया था. ये जल आज भी है. इस जल की मान्यता है कि जिन लोगों के आंखों की रोशनी चली जाती हो, इस जल से लोगों की आंखों की रोशनी वापस आ जाती है.

पीलीभीत: जिले में शहर के बीचो-बीच स्थित यशवंतरी देवी मंदिर का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है. मान्यता है कि, मां यशवंतरी देवी ने नकटादाना राक्षस को मारने के लिए अवतार लिया था. इसके बाद से आज तक हर नवरात्रि में यहां पर मेला लगता है. दूर-दूर से लोग इस मेले में शामिल होने के लिए पीलीभीत आते हैं.

नकटादाना राक्षस को मारने के लिए 'मां यशवंतरी' ने लिया अवतार
नकटादाना राक्षस को मारने के लिए 'मां यशवंतरी' ने लिया अवतार

मां यशवंतरी ने क्यों लिया अवतार ?
शहर के बीचो-बीच बना यशवंतरी मंदिर लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, हजारों साल पहले नकटादाना नाम का एक राक्षस हुआ करता था, जिसने यहां के लोगों का जीना मुश्किल कर रखा था. नकटादाना राक्षस के अत्याचार से छुटकारा पाने के लिए यहां के लोगों ने यज्ञ-हवन किया, जिसके बाद मां यशवंतरी देवी ने यहां पर अवतार लिया और नकटादाना नामक राक्षस का वध किया था.

जानिए क्या है 'यशवंतरी देवी मंदिर' का महत्व.

ये है मान्यता
यशवंतरी देवी मंदिर में हर नवरात्रि को बड़े मेले का आयोजन होता है. जिसमें देश के कई हिस्सों से आये लोग शामिल होते हैं. मान्यता है कि यहां पर राक्षस नकटादाना को मारने के बाद मां यशवंतरी देवी ने पानी पिया था, जो जल आज भी मां यशवंतरी देवी के मूर्ति के नीचे स्थित है. बताया जाता है यहां पर नेत्रहीन लोगों को वह जल दिया जाता है, जिसे लगाते ही लोगों की आंखों की रोशनी वापस आ जाती है.

राक्षस नकटादाना के नाम पर है चौराहा
मां यशवंतरी मंदिर से 500 मीटर की दूरी पर आज भी नकटादाना राक्षस के नाम पर चौराहा बना हुआ है, जो कि शहर के सबसे व्यस्ततम चौराहे में से एक है. यह चौराहा टनकपुर हाइवे पर मौजूद है. बताया जाता है कि नकटादाना राक्षस इसी चौराहे पर खड़े होकर लोगों को जिंदा खा जाता था. इसलिए इस चौराहे को नकटादाना चौराहे के नाम से जाना जाता है.

मंदिर के महंत राजेश स्वरूप बाजपेई ने बताया कि मंदिर यशवंतरी देवी का यह मंदिर लगभग 100 साल पुराना है. यहां नकटादाना नामक राक्षस को मारने के लिए मां ने अवतार लिया था. उसके बाद इसी मंदिर में विश्राम किया था और जल ग्रहण किया था. ये जल आज भी है. इस जल की मान्यता है कि जिन लोगों के आंखों की रोशनी चली जाती हो, इस जल से लोगों की आंखों की रोशनी वापस आ जाती है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.