पीलीभीत: बाघ के अस्तित्व को लेकर केन्द्र सरकार से लेकर प्रदेश की योगी सरकार तक कड़ा रुख अपनाए हुए है. लेकिन पीलीभीत टाइगर रिजर्व प्रशासन बाघ को लेकर लापरवाह बना हुआ है. बीते 24 जुलाई को बाघिन की हत्या ग्रामीणों द्वारा कर दी गई थी. जिसके चलते वन विभाग सकते में आ गया था. इस मामला में आनन-फानन में 43 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी. लेकिन एफआईआर दर्ज कर पीलीभीत टाइगर रिजर्व के आलाधिकारी बाघिन की मौत भूलकर अपने काम मे मस्त हो गए. जिसके चलते अब तक केवल 5 लोगों की गिरफ्तारी हो पाई है.
- बाघ के अस्तित्व के चलते वन मंत्रालय से लगातार वन विभाग को सजग किया जा रहा है.
- लेकिन पीलीभीत टाइगर रिजर्व के आधिकारियों की लापरवाही बाघ के अस्तित्व को लेकर सजगता पर सवाल खड़े कर रही है.
- 24 जुलाई की शाम पूरनपुर निवासी गुड्डू बिना किसी कारण के बाघिन का पास गया.
- जिससे बाघिन गुस्से में आ गयी और उस पर हमला कर दिया.
- गुड्डू की आवाज सुन खेत पर काम कर रहे किसान गुड्डू को बचाने पहुंचे.
- तभी किसानों पर बाघिन ने हमला कर दिया था.
- जिसमे 9 लोग घायल हो गए थे, घायल लोगों को अस्पताल भर्ती कराया गया.
- सूचना मिलते ही वन विभाग के कर्मचारी घटनास्थल पर पहुंचे.
- घटनास्थल पर पहुंचे वनकर्मियों पर हमले से गुस्साए ग्रामीणों ने हमला कर दिया.
- जिससे वनकर्मी अपनी जान बचाते हुए वहां से दूर हट गए.
- गुस्साये ग्रामीणों ने जंगल के अंदर जाकर बैठी बाघिन पर धारदार हथियार और लाठी डंडों से हमला कर दिया.
- इस हमले से देर रात लगभग 12 बजे बाघिन की मौत हो गई.
- बाघिन की मौत पर 43 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था.
- जिसमे 31 लोग नामजद 12 अज्ञात लोग शामिल थे, जिसमें अभी तक केवल 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
जानकारी देते हुए डीएफओ नवीन खण्डेलवाल ने बताया कि अभी तक 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. जल्द ही अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा.