पीलीभीत: पीलीभीत जिले में स्थित टाइगर रिजर्व में अब जंगल और वन्यजीवों की ड्रोन से निगरानी होगी. ड्रोन पर लगे कैमरों की मदद से जंगलों के चप्पे-चप्पे पर नजर रखी जाएगी. ड्रोन से जंगलों के साथ-साथ वन्यजीवों पर भी निगरानी रहेगी. इसको लेकर जल्द ही वनकर्मियों को भी प्रशिक्षित किया जाएगा
संसाधनों की थी कमी
पीलीभीत जिले में जून 2014 को पीलीभीत टाइगर रिजर्व का दर्जा दिया गया था. आनन-फानन में घोषित किए गए टाइगर रिजर्व को जिम्मेदार संसाधन मुहैया कराना ही भूल गए. नतीजा यह निकला कि जरूरत पड़ने पर अफसरों और वनकर्मियों मे संसाधनों की खासी कमी रहती है.
अब तक मौतें
पीटीआर से बाघों के बाहर निकलने का सिलसिला जारी है. ऐसे में मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं भी अक्सर होती रहती हैं. जून 2014 से अब तक 30 से अधिक इंसान बाघ हमलों में मारे जा चुके हैं. वहीं बाघों की मौत की बात करें तो 16 बाघों की भी मौत हो चुकी है.
समय पर नही मिले संसाधन
पीटीआर मे अगर समय रहते जरूरी संसाधन मुहैय्या कराए जाते तो शायद 7 सालों मे मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं पर काफी हद तक रोकथाम लग सकती थीं.
कैंपा के अंतर्गत 2.24 लाख से खरीदे गए ड्रोन
पीटीआर में अब निगरानी तंत्र को सशक्त करने की दिशा में आधुनिक तकनीक का सहारा लिया जा रहा है इसी कड़ी में मानव वन्यजीव संघर्ष को कम करने और जंगल क्षेत्र की निगरानी को सही ढग से करने को लेकर कैंपा से दो ड्रोन खरीदे गए हैं. दोनों ड्रोन की कीमत 2.24 लाख रुपये बताई है.
ड्रोन से होगी निगरानी
वन अफसरों के मुताबिक अब ड्रोन पर लगे कैमरों की मदद से वन्यजीवों के मूवमेंट का पता लगता रहेगा, साथ ही जंगल के चप्पे-चप्पे पर नजर रहेगी. जाहिर है इस पहल से वन एवं वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए बड़ा सुरक्षा कवच हासिल हुआ है.
डिप्टी डायरेक्टर पीलीभीत टाइगर रिजर्व नवीन खंडेलवाल ने बताया कि निगरानी तंत्र की मजबूती के लिए दो ड्रोन मंगाए गए हैं. यह मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने में मददगार होंगे. यदि वन क्षेत्र से सटे किसी इलाके में कोई वन्यजीव आबादी की तरफ जाता दिखेगा तो उसकी मूवमेंट का पता लगाकर तत्काल सुरक्षात्मक उपाय किए जा सकेंगे.