पीलीभीतः स्वच्छ भारत मिशन के तहत पूरे जिले में कूड़ेदान लगाए गए थे. मिशन के चलते जनपद में कूड़ादान लगाने में 99 लाख का घोटाला हुआ था. इसको लेकर दो साल बाद जिला अधिकारी ने कार्रवाई करते हुए 22 सचिवों को प्रतिकूल प्रविष्टि देते हुए उनके वेतन वृद्धि रोकने का आदेश दिया है. इससे ग्राम पंचायतों में हड़कंप मचा हुआ है.
मामला कुछ यूं है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट स्वच्छ भारत मिशन के तहत पूरे देश में स्वच्छता लाने के लिए स्वच्छ भारत मिशन चलाया गया था. इसके चलते पूरे देश में जगह-जगह पर कूड़ेदान रखे जाने थे, जिससे किसी तरह की गंदगी न हो सके. जनपद में वर्ष 2018 और 2019 में गांव को स्वच्छ रखने के लिए पंचायतवार कूड़ेदान की खरीद कराई गई थी. कूड़ेदान खरीद में किसी ग्राम पंचायत में 5 हजार तो किसी ग्राम पंचायत में 8 हजार के हिसाब से कूड़ेदान लगाए गए थे.
फर्म ने किया घोटाला
एक फर्म द्वारा कूड़ेदान में बड़ा घोटाला किया गया. इसमें फर्म मालिक ने अपनी फर्म से ब्लॉकों के माध्यम से ग्राम पंचायतों को ड्रम कटवा कर पंचायत सचिवों के जरिए कूड़ेदान सप्लाई करा दिए. ड्रम कटवा कर बनाए गए कूड़ेदान की लागत बमुश्किल 800 प्रति कूड़ेदान से भी कम की थी. इस वजह से ग्राम पंचायतों में कटे ड्रम पहुंचते ही घोटाले का शोर मच गया, जिस पर अधिकारी सकते में आ गए.
99 लाख का कूड़ेदान घोटाला
शुरुआत में अधिकारी इस मामले को दबाने में जुट गए, लेकिन मामले को बढ़ता देखकर अधिकारियों ने जांच के आदेश दिए. जांच के बाद 99 लाख का कूड़ेदान घोटाला निकल कर सामने आया. इसमें 150 से अधिक ग्राम प्रधानों से कूड़ेदान खरीद की रकम रिकवरी के आदेश दे दिए गए थे. मगर ग्राम प्रधानों और सचिवों ने मिलकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया. नवागत जिलाधिकारी पुलकित खरे ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए कार्रवाई के आदेश दिए हैं.
जानकारी देते हुए प्रभारी डीपीआरओ प्रमोद कुमार यादव ने बताया कि कूड़ेदान में घोटाले को लेकर 22 सचिवों को प्रतिकूल प्रविष्टि दी गई है. साथ ही वेतन वृद्धि रोकने के आदेश भी जिलाधिकारी द्वारा दिए गए हैं.