मुजफ्फरनगर : जिले में सन 2013 में हुए दंगा मामले में प्रदेश सरकार ने बीजेपी नेताओं पर दर्ज मुकदमे को वापस लेने के लिए जिला प्रशासन को एक पत्र लिखकर आदेश दिया था, जिस पर सरकारी अधिवक्ता द्वारा इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई. इस मामले में कोर्ट ने अभी कोई निर्णय नहीं लिया है, जिसके चलते न्यायालय में ये मामला अभी पेंडिंग पड़ा हुआ है.
सरकारी अधिवक्ता ने दी जानकारी
बहरहाल इस मामले में सरकारी अधिवक्ता राजीव शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि 2013 में हुए दंगे में मुजफ्फरनगर के थाना सिखेड़ा में एक मामला पंजीकृत किया गया था, जिसमें हमारे प्रतिनिधि डॉक्टर संजीव बालियान, भारतेंदु, कपिल देव अग्रवाल और सुरेश राणा के विरुद्ध माननीय न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की गई थी. यह मामला वर्तमान में कोर्ट नम्बर 05 में पेंडिंग है, जिसमें शासन स्तर से मुकदमा वापस लेने की कार्रवाई की गई है. अभियोजन को यह पत्र जिलाधिकारी महोदय के माध्यम से प्राप्त हुआ है, जिसमें 321 की एप्लिकेशन हम लोगों ने कोर्ट नम्बर 05 में मूव की है. उसमें अभी तक कार्यवाही पेंडिंग है, जो भी भविष्य में एक्शन होगा, आपको अवगत कराया जाएगा।
क्या है पूरा मामला
सरकारी वकील राजीव शर्मा ने मुजफ्फरनगर की एडीजे कोर्ट में मुकदमा वापसी के लिए अर्जी दी है. मुकदमा वापसी की अर्जी पर फिलहाल कोर्ट ने कोई फैसला नहीं दिया है. बता दें कि 7 सितंबर 2013 में नंगला मंदौड़ की महापंचायत के बाद एफआईआर दर्ज हुई थी. इन नेताओं पर भड़काऊ भाषण, धारा 144 का उल्लंघन, आगजनी और तोड़फोड़ की धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई थी. मुजफ्फरनगर में सचिन और गौरव की हत्या के बाद यह महापंचायत बुलाई गई थी.
510 मुकदमे हुए थे दाखिल
मुजफ्फरनगर दंगे में 510 मुकदमे दाखिल हुए थे, जिसमें से यह केस काफी अहम है, क्योंकि ये वही मुकदमे हैं, जिनमें मौजूदा बीजेपी विधायक संगीत सोम, कपिलदेव अग्रवाल और कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा समेत अन्य आरोपी हैं. यह मुकदमा इसलिए भी अहम है, क्योंकि 7 सितंबर 2013 को नंगला मंदोड़ में जाटों की महापंचायत के बाद ही मुजफ्फरनगर समेत पश्चिम यूपी में दंगों की आग फैल गई थी, जिसमें 65 लोगों की मौत हो गई और 40 हजार से ज्यादा लोग बेघर हो गए थे. इनमें से कई लोग आज भी कैंप में रह रहे हैं.
मुकदमा वापसी का क्या है मतलब
जानकारों की मानें तो सरकार की तरफ से मुकदमा वापस ले लिया गया है. दरअसल, ऐसे सभी मुकदमे में आरोपी के खिलाफ राज्य सरकार लड़ती है. यह मुकदमा भी भाजपा विधायकों के खिलाफ राज्य सरकार की ओर से तत्कालीन थानाध्यक्ष चरण सिंह यादव ने दर्ज करवाया था. अब सरकारी वकील की ओर से कोर्ट में मुकदमे वापसी की अर्जी देने का अर्थ यही है कि सरकार ने यह मुकदमा वापस ले लिया है. अब कोर्ट को केस के गुण-दोष के आधार पर तय करना है कि यह मुकदमा वापस होगा या नहीं.
क्या कहा गन्ना मंत्री ने
इस संबध में प्रदेश के गन्ना मंत्री सुरेश राणा का कहना है कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है. ये एक विधिक प्रक्रिया है. इस पर टिप्पणी करना उचित नहीं है. हालांकि साथ ही सुरेश राणा ने ये भी कहा कि मुझे ये पता है कि पिछली सरकार ने इस मामले में कई निर्दोषों पर कार्रवाई की थी. राजनीति से प्रेरित होकर कई किसानों और अन्य लोगों पर कार्रवाई की गई थी.