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बाबा टिकैत के 'पुराने साथी' बोले- राकेश टिकैत में आ गई है दुर्योधन की आत्मा

भारतीय किसान यूनियन के पूर्व जिलाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह ने टिकैत बंधुओं पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि किसान नेता राकेश टिकैत में दुर्योधन की आत्मा आ गई है. वह किसी की नहीं सुन रहे. उन्होंने आरोप लगाया कि यह किसान आदोलन नहीं है. इसमें विदेशी फंडिंग हो रही है.

भाकियू के पूर्व जिलाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह ने टिकैत बंधुओं पर साधा निशाना.
भाकियू के पूर्व जिलाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह ने टिकैत बंधुओं पर साधा निशाना.
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Published : Feb 7, 2021, 12:19 PM IST

Updated : Feb 7, 2021, 1:25 PM IST

मुजफ्फरनगर : कृषि कानून के विरोध में पिछले दो माह से किसान आंदोलन कर रहे हैं. वहीं भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के भावुक होने के बाद आंदोलन और मजबूत हो गया. वहीं चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के बाद किसानों के बड़े नेता के रुप में राकेश टिकैत उभर आए हैं. लेकिन बाबा महेंद्र सिंह टिकैत के बेहद करीबी और 1990 के दशक में उनके सलाहकार रहे वीरेंद्र सिंह ने टिकैत बंधुओं पर संगीन आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि विदेशी फंडिंग के साथ-साथ पंजाब के नशा माफिया इस आंदोलन को फाइनेंस कर रहे हैं. इतना ही नहीं भारतीय किसान यूनियन के पूर्व जिलाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह ने कहा कि राकेश टिकैत में दुर्योधन की आत्मा आ गई है.

भाकियू के पूर्व जिलाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह ने टिकैत बंधुओं पर साधा निशाना.

ये किसान आंदोलन नहीं

वीरेंद्र सिंह ने गणतंत्र दिवस की घटना पर कहा कि यह शर्मनाक है. यह किसान का काम नहीं है. यह काम देश विरोधी ताकतों का है जिन्हें विदेशी ताकतें फाइनेंस कर रही हैं. यहीं ताकतें सीएए आंदोलन को भी फाइनेंस कर रही थीं और अब इस आंदोलन को भी भड़का रही हैं. उन्होंने कहा कि अगर ऐसा नहीं है तो ये लोग बता दें कि आखिर सारी व्यवस्था कहां से आ रही है. उन्होंने कहा कि ये किसान आंदोलन नहीं है. किसान आंदोलन चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के जमाने में हुआ करता था. जब बाबा टिकैत पेड़ के नीचे हाथ पर रोटी सब्जी लेकर आंदोलन का निर्णय करते थे, आज आंदोलन फाइव स्टार हो गए हैं. हमें दिल्ली में 48 घंटे तक खाना नसीब नहीं हुआ था. 48 घंटे बाद चौधरी देवी लाल ने ब्रेड और पानी भिजवाया था. उस दौरान देवीलाल के साथ लालू प्रसाद यादव आये थे.

किसान को कर दिया बदनाम

वहीं राकेश टिकैत पर तंज करते हुए उन्होंने कहा कि इनके अंदर दुर्योधन की आत्मा आ गई है. कोई कृष्ण इन्हें नहीं समझा सकता. वो भी नहीं समझा था, ये भी समझने को तैयार नहीं है. उन्होंने कहा कि हर आंदोलन की परिणती दो ही होती है. या तो जबरदस्ती हटा दिया जाए या फिर बातचीत कर हल निकाल लिया जाए. उन्होंने कहा कि आज जो लोग किसान के नाम पर आंदोलन कर रहे हैं, ये किसान नहीं हैं, ये उनके भेष में कुछ और हैं. लेकिन सरकार इनको किसान समझकर बातचीत करने का प्रयास कर रही है, लगता है अभी सरकार का सब्र टूटा नहीं है. वीरेंदर सिंह ने कहा कि इन लोगों ने किसान को हमेशा के लिए बदनाम कर दिया. पहले के आंदोलन देश विरोधी नहीं था, लेकिन इन्होंने गणतंत्र दिवस पर जो कृत्य किया वो देश के साथ गद्दारी है.

चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के कुर्ते में जेब नहीं थी

वीरेंद्र सिंह प्रमुख ने कहा कि ये बदले जमाने का दौर है. कोई टिकैत परिवार से पूछे कि इनके पास इतना सुविधाएं कहां से आई. अगर ये इतने ही किसानों के हितैषी हैं तो वो अलादीन का चिराग गरीब किसानों को भी दे दें ताकि उनके भी जीवन में बदलाव आ जाए. उन्होंने कहा कि जब धरने में डर लगा तो सब किसानों की याद आ गई. अब किसानों को भी बता दे कि इनके पास ये सुविधाएं कहां से आई, ताकि वो भी गाड़ी से चल सके, एसी में सो सके. उन्होंने कहा कि चौधरी महेंद्र टिकैत के कुर्ते में जेब नहीं थी, लेकिन अब इनके इक कुर्ते में कई-कई जेबें हैं.

कानून में क्या गलत है क्यों नहीं बताते

भारतीय किसान यूनियन के पूर्व जिलाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह ने कहा कि टिकैत भाइयों के पास कृषि कानून को गलत साबित करने के तर्क नहीं है. जब तरकार संसोधन के लिए तैयार है तो आखिर कानून में क्या गलत है क्यों नहीं बताते. उन्होंने कहा कि वैसे भी जब अध्यक्ष नरेश टिकैत ने आंदोलन वापस लेने के लिए कह दिया था तो राकेश ने उनकी बात क्यों नहीं मानी. उन्होंने कहा कि बाबा टिकैत के समय मेरठ आंदोलन के दौरान 1988 में मुरादाबाद के कपूरपुर पुलिस स्टेशन में भाकियू कार्यकर्ताओ ने आग लगा दी थी. उस समय उन्होंने आंदोलन वापस कर लिया था. वहीं वोट क्लब आंदोलन में भी हिंसा हो गयी थी, तब भी चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने आंदोलन ख़त्म कर दिया था. चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत अपने जिद के लिए नहीं, बल्कि किसानों के हक़ की लड़ाई के लिए आंदोलन करते थे. निश्चित रूप से आज बाबा महेंद्र सिंह टिकैत की आत्मा स्वर्ग में है लेकिन इनके कर्मों को देख कर वो खुश नहीं होंगे.

दरअसल मुजफ्फरनगर के जानसठ ब्लॉक के पूर्व प्रमुख वीरेंद्र सिंह 1990 के दशक में किसानों के मसीहा चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के बेहद करीबी और 1992 से 2002 तक भारतीय किसान यूनियन के मुज़फ्फरनगर जिलाध्यक्ष रहे. बाबा महेंद्र सिंह टिकैत के दौर में वीरेंद्र सिंह प्रमुख भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी रहे.

मुजफ्फरनगर : कृषि कानून के विरोध में पिछले दो माह से किसान आंदोलन कर रहे हैं. वहीं भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के भावुक होने के बाद आंदोलन और मजबूत हो गया. वहीं चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के बाद किसानों के बड़े नेता के रुप में राकेश टिकैत उभर आए हैं. लेकिन बाबा महेंद्र सिंह टिकैत के बेहद करीबी और 1990 के दशक में उनके सलाहकार रहे वीरेंद्र सिंह ने टिकैत बंधुओं पर संगीन आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि विदेशी फंडिंग के साथ-साथ पंजाब के नशा माफिया इस आंदोलन को फाइनेंस कर रहे हैं. इतना ही नहीं भारतीय किसान यूनियन के पूर्व जिलाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह ने कहा कि राकेश टिकैत में दुर्योधन की आत्मा आ गई है.

भाकियू के पूर्व जिलाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह ने टिकैत बंधुओं पर साधा निशाना.

ये किसान आंदोलन नहीं

वीरेंद्र सिंह ने गणतंत्र दिवस की घटना पर कहा कि यह शर्मनाक है. यह किसान का काम नहीं है. यह काम देश विरोधी ताकतों का है जिन्हें विदेशी ताकतें फाइनेंस कर रही हैं. यहीं ताकतें सीएए आंदोलन को भी फाइनेंस कर रही थीं और अब इस आंदोलन को भी भड़का रही हैं. उन्होंने कहा कि अगर ऐसा नहीं है तो ये लोग बता दें कि आखिर सारी व्यवस्था कहां से आ रही है. उन्होंने कहा कि ये किसान आंदोलन नहीं है. किसान आंदोलन चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के जमाने में हुआ करता था. जब बाबा टिकैत पेड़ के नीचे हाथ पर रोटी सब्जी लेकर आंदोलन का निर्णय करते थे, आज आंदोलन फाइव स्टार हो गए हैं. हमें दिल्ली में 48 घंटे तक खाना नसीब नहीं हुआ था. 48 घंटे बाद चौधरी देवी लाल ने ब्रेड और पानी भिजवाया था. उस दौरान देवीलाल के साथ लालू प्रसाद यादव आये थे.

किसान को कर दिया बदनाम

वहीं राकेश टिकैत पर तंज करते हुए उन्होंने कहा कि इनके अंदर दुर्योधन की आत्मा आ गई है. कोई कृष्ण इन्हें नहीं समझा सकता. वो भी नहीं समझा था, ये भी समझने को तैयार नहीं है. उन्होंने कहा कि हर आंदोलन की परिणती दो ही होती है. या तो जबरदस्ती हटा दिया जाए या फिर बातचीत कर हल निकाल लिया जाए. उन्होंने कहा कि आज जो लोग किसान के नाम पर आंदोलन कर रहे हैं, ये किसान नहीं हैं, ये उनके भेष में कुछ और हैं. लेकिन सरकार इनको किसान समझकर बातचीत करने का प्रयास कर रही है, लगता है अभी सरकार का सब्र टूटा नहीं है. वीरेंदर सिंह ने कहा कि इन लोगों ने किसान को हमेशा के लिए बदनाम कर दिया. पहले के आंदोलन देश विरोधी नहीं था, लेकिन इन्होंने गणतंत्र दिवस पर जो कृत्य किया वो देश के साथ गद्दारी है.

चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के कुर्ते में जेब नहीं थी

वीरेंद्र सिंह प्रमुख ने कहा कि ये बदले जमाने का दौर है. कोई टिकैत परिवार से पूछे कि इनके पास इतना सुविधाएं कहां से आई. अगर ये इतने ही किसानों के हितैषी हैं तो वो अलादीन का चिराग गरीब किसानों को भी दे दें ताकि उनके भी जीवन में बदलाव आ जाए. उन्होंने कहा कि जब धरने में डर लगा तो सब किसानों की याद आ गई. अब किसानों को भी बता दे कि इनके पास ये सुविधाएं कहां से आई, ताकि वो भी गाड़ी से चल सके, एसी में सो सके. उन्होंने कहा कि चौधरी महेंद्र टिकैत के कुर्ते में जेब नहीं थी, लेकिन अब इनके इक कुर्ते में कई-कई जेबें हैं.

कानून में क्या गलत है क्यों नहीं बताते

भारतीय किसान यूनियन के पूर्व जिलाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह ने कहा कि टिकैत भाइयों के पास कृषि कानून को गलत साबित करने के तर्क नहीं है. जब तरकार संसोधन के लिए तैयार है तो आखिर कानून में क्या गलत है क्यों नहीं बताते. उन्होंने कहा कि वैसे भी जब अध्यक्ष नरेश टिकैत ने आंदोलन वापस लेने के लिए कह दिया था तो राकेश ने उनकी बात क्यों नहीं मानी. उन्होंने कहा कि बाबा टिकैत के समय मेरठ आंदोलन के दौरान 1988 में मुरादाबाद के कपूरपुर पुलिस स्टेशन में भाकियू कार्यकर्ताओ ने आग लगा दी थी. उस समय उन्होंने आंदोलन वापस कर लिया था. वहीं वोट क्लब आंदोलन में भी हिंसा हो गयी थी, तब भी चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने आंदोलन ख़त्म कर दिया था. चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत अपने जिद के लिए नहीं, बल्कि किसानों के हक़ की लड़ाई के लिए आंदोलन करते थे. निश्चित रूप से आज बाबा महेंद्र सिंह टिकैत की आत्मा स्वर्ग में है लेकिन इनके कर्मों को देख कर वो खुश नहीं होंगे.

दरअसल मुजफ्फरनगर के जानसठ ब्लॉक के पूर्व प्रमुख वीरेंद्र सिंह 1990 के दशक में किसानों के मसीहा चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के बेहद करीबी और 1992 से 2002 तक भारतीय किसान यूनियन के मुज़फ्फरनगर जिलाध्यक्ष रहे. बाबा महेंद्र सिंह टिकैत के दौर में वीरेंद्र सिंह प्रमुख भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी रहे.

Last Updated : Feb 7, 2021, 1:25 PM IST
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