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रामपुर तिराहा कांड के मूल दस्तावेज सीबीआई की फाइल से गायब, कोर्ट ने मांगी पूरी रिपोर्ट

मुजफ्फरनगर रामपुर तिराहा कांड से जुड़े दस्तावेज कुछ दस्तावेज सीबीआई की फाइल से गायब होने के बाद न्यायालय एसपी सीबीआई रिपोर्ट मांगी है.

एडीजे संख्या सात शक्ति सिंह
एडीजे संख्या सात शक्ति सिंह
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Published : May 31, 2023, 10:53 PM IST

मुजफ्फरनगर: बहुचर्चित रामपुर तिराहा कांड से जुड़े दस्तावेज सीबीआई की फाइल से गायब हो गए. इस संबंध में सीबीआई की तरफ से न्यायालय में प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया है. इस पर एडीजे संख्या 7 शक्ति सिंह ने एसपी सीबीआई से इस मामले में पूरी रिपोर्ट मंगाई है.

बता दें कि 1, 2 अक्टूबर 1994 की रात पृथक उत्तराखंड गठन की मांग को लेकर देहरादून से दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों को पुलिस ने रामपुर तिराहा पर बैरिकेडिंग लगाकर रोक लिया था. इसमें रात के समय आंदोलन उग्र होने पर पुलिस ने फायरिंग कर दी थी. पुलिस की इस गोलीबारी में 7 आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी. साथ ही इसमें कई महिलाओं के साथ दुष्कर्म के आरोप भी पुलिस वालों पर लगे थे. इस मामले में सीबीआई ने विवेचना के बाद मुजफ्फरनगर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी. बुधवार को इस केस की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या 7 शक्ति सिंह की कोर्ट में हुई.

सुनवाई के दौरान सीबीआई की तरफ से मुजफ्फरनगर न्यायालय में एक प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया. उसमें बताया गया कि इस मुकदमे से संबंधित मूल दस्तावेज नहीं मिल पा रहा है. इस मामले में तब तक के लिए साक्ष्य की कार्रवाई रोक दी जाए. कोर्ट ने इस मामले को अत्यंत आपत्तिजनक मानते हुए एसपी सीबीआई को निर्देशित किया है कि लिखित रूप से न्यायालय को अवगत कराया जाए कि मूल दस्तावेज कहां चले गए. वहीं, सुनवाई के दौरान आरोपित के अधिवक्ता की तरफ से भी न्यायालय में एक प्रार्थना पत्र दाखिल कर यह विरोध किया गया कि गवाही के दौरान आरोपित की पहचान सीधे न्यायालय के समक्ष नहीं की जा सकती. इसका सीबीआई के अधिवक्ता ने विरोध करते हुए कहा कि आरोपित की पहचान न्यायालय में की जा सकती है. कोर्ट ने इस मामले में अपना आदेश सुरक्षित रखा है.

यह भी पढे़ं- सांसद बृजभूषण सिंह के समर्थन में आए हाईकोर्ट के वकील, विरोध कर रहे पहलवानों को दी नसीहत

मुजफ्फरनगर: बहुचर्चित रामपुर तिराहा कांड से जुड़े दस्तावेज सीबीआई की फाइल से गायब हो गए. इस संबंध में सीबीआई की तरफ से न्यायालय में प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया है. इस पर एडीजे संख्या 7 शक्ति सिंह ने एसपी सीबीआई से इस मामले में पूरी रिपोर्ट मंगाई है.

बता दें कि 1, 2 अक्टूबर 1994 की रात पृथक उत्तराखंड गठन की मांग को लेकर देहरादून से दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों को पुलिस ने रामपुर तिराहा पर बैरिकेडिंग लगाकर रोक लिया था. इसमें रात के समय आंदोलन उग्र होने पर पुलिस ने फायरिंग कर दी थी. पुलिस की इस गोलीबारी में 7 आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी. साथ ही इसमें कई महिलाओं के साथ दुष्कर्म के आरोप भी पुलिस वालों पर लगे थे. इस मामले में सीबीआई ने विवेचना के बाद मुजफ्फरनगर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी. बुधवार को इस केस की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या 7 शक्ति सिंह की कोर्ट में हुई.

सुनवाई के दौरान सीबीआई की तरफ से मुजफ्फरनगर न्यायालय में एक प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया. उसमें बताया गया कि इस मुकदमे से संबंधित मूल दस्तावेज नहीं मिल पा रहा है. इस मामले में तब तक के लिए साक्ष्य की कार्रवाई रोक दी जाए. कोर्ट ने इस मामले को अत्यंत आपत्तिजनक मानते हुए एसपी सीबीआई को निर्देशित किया है कि लिखित रूप से न्यायालय को अवगत कराया जाए कि मूल दस्तावेज कहां चले गए. वहीं, सुनवाई के दौरान आरोपित के अधिवक्ता की तरफ से भी न्यायालय में एक प्रार्थना पत्र दाखिल कर यह विरोध किया गया कि गवाही के दौरान आरोपित की पहचान सीधे न्यायालय के समक्ष नहीं की जा सकती. इसका सीबीआई के अधिवक्ता ने विरोध करते हुए कहा कि आरोपित की पहचान न्यायालय में की जा सकती है. कोर्ट ने इस मामले में अपना आदेश सुरक्षित रखा है.

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