मुजफ्फरनगर: आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह को मुजफ्फरनगर की अदालत ने बड़ी राहत दी है. अदालत ने उनके खिलाफ एक पुराना सांप्रदायिक दुर्भावना के मामले की फाइल को बंद कर दिया है. साल 2020 में दर्ज हुए मुकदमे की विवेचना कर पुलिस ने साक्ष्य के अभाव में क्लोजिंग रिपोर्ट लगाई थी. मुजफ्फरनगर सीजेएम कोर्ट ने एफआर स्वीकार करके फाइल बंद कर दी है.
उल्लेखनीय है कि अहाता औलिया निवासी गौरव ने आम आदमी पार्टी नेता सांसद संजय सिंह के विरुद्ध शहर कोतवाली में 13 अगस्त 2020 को मुकदमा दर्ज कराया था. गौरव व उनके साथियों ने सांसद पर आरोप लगाया था कि 12 अगस्त 2020 को दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सांप्रदायिक दुर्भावना फैलाने वाले बयान दिये थे. आप नेता संजय सिंह व सभाजीत और ब्रज कुमारी द्वारा भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी गंभीर आरोप लगाए थे. आप नेताओं ने उत्तर प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया गया था कि योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश के विभिन्न जाति वर्ग के लोगों में भेद किया जा रहा है. उससे सामाजिक समरसता भी भंग की जा रही है.
आप नेता संजय सिंह पर आरोप था कि उन्होंने बयान दिया कि प्रदेश में लोगों को चुन चुन कर मारा जा रहा है. ब्राह्मणों पर जमकर अत्याचार हो रहा है. साथ ही आरोप था कि तत्कालीन डिप्टी सीएम ब्राह्मण होने के बावजूद अपनी जाति वर्ग के लोगों के लिए कुछ नहीं कर पा रहे हैं. दूसरे डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के भी मौर्य समाज के पक्ष में कुछ न कर पाने की बात कही गई थी. यहां तक की तत्कालीन राष्ट्रपति के दलित होने के नाते उन्हें राम मंदिर शिलान्यास के मौके पर निमंत्रण न देने का अभी आरोप संजय सिंह द्वारा लगाया गया था.
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह पर दर्ज मुकदमे के मामले में शहर कोतवाली पुलिस ने विवेचना की थी. इसमें साक्ष्य के अभाव में पुलिस ने कोर्ट में क्लोजिंग रिपोर्ट लगाई थी. इसमें सीजेएम कोर्ट में पुलिस एफआर का संज्ञान लेते हुए उसे स्वीकार कर सांसद संजय सिंह के विरुद्ध दर्ज मुकदमे की फाइल बंद कर दी गई है. साथ ही यह पुराना मामला बंद कर दिया गया है.