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मुजफ्फरनगर में मदरसों से मान्यता संबंधी दस्तावेज मांगने का भारी विरोध, बीएसए ने निरस्त किया नोटिस - मुजफ्फरनगर बीएसए शुभम शुक्ला

मुजफ्फरनगर के पुरकाजी में 12 मदरसों (12 madrassas) को मान्यता संबंधी दस्तावेज प्रस्तुत करने का नोटिस वापस (notice back) ले लिया गया है. नोटिस में बिना मान्यता मदरसे के संचालन पर दस हजार का जुर्माना (ten thousand fine) लगाने की भी बात कही गई थी. इस नोटिस का काफी विरोध हुआ.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 27, 2023, 4:13 PM IST

मुजफ्फरनगर : जिले के पुरकाजी में मदरसों को नोटिस जारी करने के मामले ने तूल पकड़ लिया. अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने भी इस पर ऐतराज जताया था. मामला जिलाधिकारी के पास पहुंचा. जिसके बाद यह नोटिस निरस्त कर दिया गया है. बीएसए ने कहा है कि नोटिस गलती से जारी हो गया था. दरअसल बीएसए शुभम शुक्ला ने मदरसों को लेकर जानकारी मांगी थी. जिसके बाद बीईओ (खंड शिक्षा अधिकारी) ज्योति प्रकाश तिवारी ने 12 मदरसों को नोटिस जारी कर मान्यता दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए कहा था.

मुजफ्फरनगर में मदरसों को नोटिस का मामला.
मुजफ्फरनगर में मदरसों को नोटिस का मामला.

नोटिस पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने जताई थी नाराजगी : बीईओ के नोटिस पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने अपनी नाराजगी जताई थी. मामले ने इतना तूल पकड़ा कि अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मैत्री रस्तोगी ने भी ऐतराज जताते हुए नोटिस वापस लेने की बात कही थी. बृहस्पतिवार को डीएम के आदेश पर बीएसए शुभम शुक्ला ने अधिसूचना जारी करते हुए नोटिस निरस्त कर दिया. जमीयत के प्रदेश सेक्रेटरी काजी जाकिर हुसैन कासमी के मुताबिक कुछ मदरसों से इस प्रकार के नोटिस प्राप्त होने की सूचना मिली. इस पर हमने नाराजगी जताई है और कहा है कि इसे तुरंत वापस लिया जाए, क्योंकि यह मामला अल्पसंख्यक अधिकारी के क्षेत्र में आता है.

बीएसए ने कहा- गलती से जारी हो गए थे नोटिस : इस प्रकरण पर हो रहे भारी विरोध के बीच बीएसए ने नोटिस वापस लेते हुए कहा है कि मदरसों को यह गलती से जारी हो गए थे. इस मामले में बीईओ ज्योति प्रकाश तिवारी से स्पष्टीकरण भी मांगा गया है. मदरसो के मामले में निर्णय लेने का अधिकार जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी कार्यालय को है, न की शिक्षा अधिकारी को. नोटिस तत्काल निरस्त कर दिए गए हैं.

जिले में चल रहे हैं कुल 352 मदरसे, सिर्फ 114 को मान्यता : बीते दिनों शासन के निर्देश पर अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने एक माह तक मदरसों का सर्वे किया था. सर्वे में पाया गया कि जिले में 352 मदरसे संचालित हैं और उसमें से केवल 114 को ही मान्यता मिली है. वहीं 114 मदरसा संचालकों में से अधिकांश ने आधुनिकीकरण के लिए आवेदन भी नहीं किया है. मदरसों के आधुनिकीकरण के बाद ही उनमें तैनात शिक्षकों को केंद्र और प्रदेश सरकार की ओर से मानदेय दिया जाता है.

मदरसा शिक्षकों को कितना मिलता है मानदेय : पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षक को केंद्र सरकार की ओर से 12 हजार और राज्य सरकार की ओर से तीन हजार रुपये मानदेय के तौर पर हर माह मिलते हैं. ग्रेजुएट शिक्षक को केंद्र सरकार की ओर से छह हजार और राज्य सरकार की ओर से दो हजार रुपये प्रति माह दिए जाते हैं. मुजफ्फरनगर में इस योजना का लाभ केवल 34 मदरसों के 98 शिक्षक ही ले रहे हैं. नियम है कि एक मदरसे से केवल तीन शिक्षकों को ही इसका लाभ मिल सकता है. सर्वे में सामने आया कि गैर मान्यता प्राप्त मदरसों में अंग्रेजी, गणित, विज्ञान और कंप्यूटर की पढ़ाई नहीं कराई जा रही है.

यह भी पढ़ें : यूपी के इस शहर में भी मुजफ्फरनगर जैसी घटना, शिक्षिका ने समुदाय विशेष के बच्चों से कराई छात्र की पिटाई

यह भी पढ़ें : किशोर का धर्म परिवर्तन और खतना कराने पर प्रधान, मौलवी सहित 4 के खिलाफ मुकदमा दर्ज

मुजफ्फरनगर : जिले के पुरकाजी में मदरसों को नोटिस जारी करने के मामले ने तूल पकड़ लिया. अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने भी इस पर ऐतराज जताया था. मामला जिलाधिकारी के पास पहुंचा. जिसके बाद यह नोटिस निरस्त कर दिया गया है. बीएसए ने कहा है कि नोटिस गलती से जारी हो गया था. दरअसल बीएसए शुभम शुक्ला ने मदरसों को लेकर जानकारी मांगी थी. जिसके बाद बीईओ (खंड शिक्षा अधिकारी) ज्योति प्रकाश तिवारी ने 12 मदरसों को नोटिस जारी कर मान्यता दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए कहा था.

मुजफ्फरनगर में मदरसों को नोटिस का मामला.
मुजफ्फरनगर में मदरसों को नोटिस का मामला.

नोटिस पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने जताई थी नाराजगी : बीईओ के नोटिस पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने अपनी नाराजगी जताई थी. मामले ने इतना तूल पकड़ा कि अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मैत्री रस्तोगी ने भी ऐतराज जताते हुए नोटिस वापस लेने की बात कही थी. बृहस्पतिवार को डीएम के आदेश पर बीएसए शुभम शुक्ला ने अधिसूचना जारी करते हुए नोटिस निरस्त कर दिया. जमीयत के प्रदेश सेक्रेटरी काजी जाकिर हुसैन कासमी के मुताबिक कुछ मदरसों से इस प्रकार के नोटिस प्राप्त होने की सूचना मिली. इस पर हमने नाराजगी जताई है और कहा है कि इसे तुरंत वापस लिया जाए, क्योंकि यह मामला अल्पसंख्यक अधिकारी के क्षेत्र में आता है.

बीएसए ने कहा- गलती से जारी हो गए थे नोटिस : इस प्रकरण पर हो रहे भारी विरोध के बीच बीएसए ने नोटिस वापस लेते हुए कहा है कि मदरसों को यह गलती से जारी हो गए थे. इस मामले में बीईओ ज्योति प्रकाश तिवारी से स्पष्टीकरण भी मांगा गया है. मदरसो के मामले में निर्णय लेने का अधिकार जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी कार्यालय को है, न की शिक्षा अधिकारी को. नोटिस तत्काल निरस्त कर दिए गए हैं.

जिले में चल रहे हैं कुल 352 मदरसे, सिर्फ 114 को मान्यता : बीते दिनों शासन के निर्देश पर अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने एक माह तक मदरसों का सर्वे किया था. सर्वे में पाया गया कि जिले में 352 मदरसे संचालित हैं और उसमें से केवल 114 को ही मान्यता मिली है. वहीं 114 मदरसा संचालकों में से अधिकांश ने आधुनिकीकरण के लिए आवेदन भी नहीं किया है. मदरसों के आधुनिकीकरण के बाद ही उनमें तैनात शिक्षकों को केंद्र और प्रदेश सरकार की ओर से मानदेय दिया जाता है.

मदरसा शिक्षकों को कितना मिलता है मानदेय : पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षक को केंद्र सरकार की ओर से 12 हजार और राज्य सरकार की ओर से तीन हजार रुपये मानदेय के तौर पर हर माह मिलते हैं. ग्रेजुएट शिक्षक को केंद्र सरकार की ओर से छह हजार और राज्य सरकार की ओर से दो हजार रुपये प्रति माह दिए जाते हैं. मुजफ्फरनगर में इस योजना का लाभ केवल 34 मदरसों के 98 शिक्षक ही ले रहे हैं. नियम है कि एक मदरसे से केवल तीन शिक्षकों को ही इसका लाभ मिल सकता है. सर्वे में सामने आया कि गैर मान्यता प्राप्त मदरसों में अंग्रेजी, गणित, विज्ञान और कंप्यूटर की पढ़ाई नहीं कराई जा रही है.

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