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साक्ष्यों के अभाव में 32 साल बाद बरी हुए लूट के आरोपी, जानिए क्या है मामला - 32 साल पुराने लूट के मुकदमे

मुजफ्फरनगर में साक्ष्य के अभाव में कोर्ट ने 32 साल बाद लूट के तीन आरोपीयों को बरी कर दिया है. तीनों आरोपितों पर 21 अप्रैल 2001 को आरोप तय किए गए थे. समय दिए जाने के बावजूद अभियोजन एक भी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाया.

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32 साल बाद बरी हुए लूट के आरोपी
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 7, 2023, 10:26 PM IST

मुजफ्फरनगर: जिले की एक अदालत ने गुरुवार को 32 साल पुराने लूट के मुकदमे में फैसला सुनाते हुए साक्ष्यों के अभाव में तीन आरोपियों को बरी कर दिया है. बीस साल का समय मिलने के बावजूद अभियोजन आरोपियों के विरुद्ध एक भी सबूत कोर्ट में प्रस्तुत नहीं कर पाया.

बता दें कि मुजफ्फरनगर की एक चीनी मिल खतौली के तौल लिपिक खड़ग सिंह से 25 अक्टूबर 1991 को मिल से लौटते समय तीन हथियारबंद बदमाशों ने नकदी और बाइक लूट ली थी. इस घटना के करीब दो माह बाद लूटी गई बाइक ईदगाह जंगल गांव केलावड़ा से बरामद हुई थी. इसमें पुलिस ने अज्ञात आरोपितों के विरुद्ध दर्ज मुकदमे की विवेचना शुरू की थी. उसके बाद पुलिस की जांच के दौरान प्रकाश में आया था कि लूट की घटना रोहताश पुत्र राजवीर सिंह गुर्जर और विक्रम सिंह पुत्र अतर सिंह निवासीगण मंदवाडा थाना फलौदा और नरेश पुत्र नानक निवासी रसूलपुर जनपद मेरठ ने अंजाम दिया था.

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इसमें पुलिस ने तीनों आरोपितों को गिरफ्तार किया था. इस घटना के मुकदमे की सुनवाई सिविल जज जूनियर डिवीजन, फास्ट ट्रैक कोर्ट जेएम फर्स्ट रोबिन कुमार द्वारा कि गई. तीनों आरोपितों पर 21 अप्रैल 2001 को आरोप तय कर दिए थे और इसमें कोर्ट की ओर से करीब 22 वर्ष तक सफाई साक्ष्य का समय दिए जाने के बावजूद अभियोजन एक भी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाया.

साक्ष्य के अभाव में कोर्ट से बरी नरेश ने बताया कि पुलिस ने उन्हें मुकदमा दर्ज करने के कुछ माह बाद ही गिरफ्तार कर लिया था. तीनों को ढाई माह से अधिक समय जेल में रहना पड़ा था. जमानत पर छूटने के बावजूद मुकदमे की पैरवी में काफी धन बर्बाद हुआ और तीनों को कोर्ट में करीब 350 से अधिक तारीख झेलनी पड़ी.

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मुजफ्फरनगर: जिले की एक अदालत ने गुरुवार को 32 साल पुराने लूट के मुकदमे में फैसला सुनाते हुए साक्ष्यों के अभाव में तीन आरोपियों को बरी कर दिया है. बीस साल का समय मिलने के बावजूद अभियोजन आरोपियों के विरुद्ध एक भी सबूत कोर्ट में प्रस्तुत नहीं कर पाया.

बता दें कि मुजफ्फरनगर की एक चीनी मिल खतौली के तौल लिपिक खड़ग सिंह से 25 अक्टूबर 1991 को मिल से लौटते समय तीन हथियारबंद बदमाशों ने नकदी और बाइक लूट ली थी. इस घटना के करीब दो माह बाद लूटी गई बाइक ईदगाह जंगल गांव केलावड़ा से बरामद हुई थी. इसमें पुलिस ने अज्ञात आरोपितों के विरुद्ध दर्ज मुकदमे की विवेचना शुरू की थी. उसके बाद पुलिस की जांच के दौरान प्रकाश में आया था कि लूट की घटना रोहताश पुत्र राजवीर सिंह गुर्जर और विक्रम सिंह पुत्र अतर सिंह निवासीगण मंदवाडा थाना फलौदा और नरेश पुत्र नानक निवासी रसूलपुर जनपद मेरठ ने अंजाम दिया था.

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इसमें पुलिस ने तीनों आरोपितों को गिरफ्तार किया था. इस घटना के मुकदमे की सुनवाई सिविल जज जूनियर डिवीजन, फास्ट ट्रैक कोर्ट जेएम फर्स्ट रोबिन कुमार द्वारा कि गई. तीनों आरोपितों पर 21 अप्रैल 2001 को आरोप तय कर दिए थे और इसमें कोर्ट की ओर से करीब 22 वर्ष तक सफाई साक्ष्य का समय दिए जाने के बावजूद अभियोजन एक भी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाया.

साक्ष्य के अभाव में कोर्ट से बरी नरेश ने बताया कि पुलिस ने उन्हें मुकदमा दर्ज करने के कुछ माह बाद ही गिरफ्तार कर लिया था. तीनों को ढाई माह से अधिक समय जेल में रहना पड़ा था. जमानत पर छूटने के बावजूद मुकदमे की पैरवी में काफी धन बर्बाद हुआ और तीनों को कोर्ट में करीब 350 से अधिक तारीख झेलनी पड़ी.

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