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सैयदराजा की इस प्रतिष्ठा परक सीट पर खुलेगा सपा का खाता ?

सैयदराजा विधानसभा सीट राजनीतिक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण सीट है. इस विधानसभा से होकर गुजरने वाली कर्मनाशा नदी उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा को विभाजित करती है. लेकिन अबकी इस सीट पर भाजपा और सपा के बीच काटे से टक्कर देखने को मिल रही है और अभी से ही दोनों पार्टियां पूरी सक्रियता के साथ प्रचार में जुट गई हैं.

सैयदराजा विधानसभा सीट पर सपा मजबूत !
सैयदराजा विधानसभा सीट पर सपा मजबूत !
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Published : Nov 29, 2021, 8:34 AM IST

चंदौली: उत्तर प्रदेश के चंदौली (Chandauli) जिले की सैयदराजा विधानसभा सीट राजनीतिक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण सीट है. इस विधानसभा से होकर गुजरने वाली कर्मनाशा नदी उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा को विभाजित करती है. इस विधानसभा क्षेत्र के अधिकांश गांव एक तरफ जहां बिहार बॉर्डर से सटे हुए हैं तो दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के गाजीपुर का बॉर्डर भी इस विधानसभा क्षेत्र के कई गांव की सीमा से लगे हैं. इस क्षेत्र को उत्तर प्रदेश में बिहार, बंगाल, ओडिशा और झारखंड का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है. इस विधानसभा क्षेत्र के लोग कृषि पर आधारित हैं और इस इलाके में धान की बेहतरीन पैदावार होती है.

सैयदराजा विधानसभा में शिक्षा के लिए कॉलेज तो हैं, लेकिन उच्च शिक्षा की इस विधानसभा क्षेत्र में किसी भी तरह की कोई व्यवस्था नहीं है. वहीं, चिकित्सा के क्षेत्र में भी यह इलाका काफी पिछड़ा हुआ है और पूरे विधानसभा क्षेत्र में कोई भी बड़ा अस्पताल नहीं है. हालांकि अब चुनावी माह में सीएम योगी ने मेडिकल का शिलान्यास जरूर किया है. यहां बेहतर खेती के लिए नहरों का जाल तो है, लेकिन टेल तक पानी पहुंचना हमेशा से चुनौती रहा है.

सैयदराजा विधानसभा सीट पर सपा मजबूत !
सैयदराजा विधानसभा सीट पर सपा मजबूत !

राजनीतिक पृष्ठभूमि

पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी की सीट रही है सैयदराजा

पूर्व में इस विधानसभा का नाम चंदौली सदर विधानसभा हुआ करता था, जो बाद में नए परिसीमन के बाद सैयदराजा हो गया. शुरुआती दौर की बात करे तो आजादी के बाद 1952 में पहली बार इस सीट पर कांग्रेस के पंडित कमलापति त्रिपाठी विधायक चुने गए थे. कमलापति त्रिपाठी प्रदेश के मुख्यमंत्री और रेल मंत्री रहे हैं. दूसरी और तीसरी विधानसभा चुनाव में भी पंडित कमलापति त्रिपाठी विधायक चुने गए.

इसे भी पढ़ें - अखिलेश यादव बोले, किसकी बात कर रहे हैं, कौन हैं राजा भइया...पढ़िए पूरी खबर

लेकिन चौथी विधानसभा चुनाव में लगातार 3 बार क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले पंडित कमलापति त्रिपाठी को सोशलिस्ट पार्टी के चंद्रशेखर ने मात्र 397 वोटों से हरा दिया था. पांचवीं विधानसभा के चुनाव में एक बार फिर से कांग्रेस से पंडित कमलापति त्रिपाठी को विजय मिली.

छठवीं विधानसभा के चुनाव में पंडित कमलापति त्रिपाठी इस सीट से चुनाव नहीं लड़े और उनकी जगह उतरे कांग्रेस के राम नरेश को भारतीय किसान दल के उम्मीदवार रामप्यारे तिवारी ने हरा दिया. सातवीं विधानसभा के चुनाव में जनता पार्टी के उम्मीदवार के रुप में रामप्यारे तिवारी को जीत मिल गई. आठवीं विधानसभा में चंदौली की सीट सुरक्षित हो गई और इस सीट पर कांग्रेस (आई) के संकठा प्रसाद शास्त्री ने श्यामदेव (कांग्रेस यू) को हरा दिया.

इसके बाद 1985 में नौंवीं विधानसभा के चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस (आई) के संकठा प्रसाद शास्त्री ने जनता पार्टी के रामलाल को 23,672 वोटों से हराया था. दसवीं विधानसभा में जनता दल के छन्नू लाल ने कांग्रेस के संकठा प्रसाद शास्त्री को हरा दिया. वहीं, 1991 के 11वीं विधानसभा चुनाव में भाजपा के शिवपूजन राम ने पहली बार अपना परचम लहराया और दीनानाथ भाष्कर को मात्र 238 वोटों से हराया था.

सैयदराजा विधानसभा सीट पर सपा मजबूत !
सैयदराजा विधानसभा सीट पर सपा मजबूत !

1993 में 12वीं विधानसभा चुनाव में दीनानाथ भाष्कर ने अपनी हार का बदला लेते हुए भाजपा के रामजी गोंड को वोटों से हराया. 13वीं विधानसभा के चुनाव में भाजपा के शिवपूजन राम ने दोबारा जीत हासिल की. 2002 में जब 14वीं विधानसभा का चुनाव हुआ तो बसपा के शारदा प्रसाद ने सपा के राम उजागिर गोंड़ को हराकर जीत हासिल की.

इसे भी पढ़ें - यूपी में नहीं गल पा रही 'आप' की दाल! पशोपेश में अखिलेश, एक ओर चाचा शिवपाल तो दूसरी ओर केजरीवाल

2007 में शारदा प्रसाद ने एक बार फिर सपा के राम उजागिर गोंड़ को 8,506 वोटों से हराकर जीत दर्ज की. 2012 में इस सीट का नाम बदल कर सैयदराजा (382) कर दिया गया और यह सीट सामान्य हो गई. इस सीट से निर्दल प्रत्याशी मनोज सिंह डब्लू ने जेल से चुनाव लड़ रहे और माफिया डॉन बृजेश सिंह को हराया. लेकिन 2017 के चुनाव में बृजेश सिंह के भतीजे सुशील सिंह ने अपने चाचा की हार का बदला लिया और सैयदराजा विधानसभा की सीट पर कब्जा जमा लिया.

सामाजिक तानाबाना

सैयदराजा विधानसभा क्षेत्र में तकरीबन हर जाति वर्ग के लोग रहते हैं. वर्तमान समय में सैयदराजा विधानसभा में कुल 321145 मतदाता हैं, जिसमें 175053 पुरुष मतदाता हैं तो वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 146069 है. इस विधानसभा में थर्ड जेंडर के 23 मतदाता हैं. विधानसभा क्षेत्र में रहने वाले मतदाताओं को अगर जातिगत आधार पर विभाजित करें तो इस विधानसभा क्षेत्र में तकरीबन 42 हजार क्षत्रिय मतदाता हैं, जबकि इसी के आसपास यादव मतदाताओं की भी संख्या है.

विधानसभा क्षेत्र में हरिजन मतदाताओं की तादाद करीब 55 हजार हैं तो 23 हजार ब्राह्मण, 30 हजार बिंद, 30 हजार मुस्लिम, 24 हजार के मौर्या, 18 हजार वैश्य, 20 हजार राजभर, 16 हजार भूमिहार, 10 हजार के करीब मल्लाह मतदाता हैं. साथ ही साथ तकरीबन 30 हजार के आसपास अन्य जातियों के मतदाता भी इस विधानसभा क्षेत्र में रहते हैं.

2017 का जनादेश

2017 के विधानसभा चुनाव में सैयदराजा सीट पर त्रिकोणात्मक लड़ाई हुई थी. इस चुनाव में भाजपा, सपा और बसपा में लड़ाई थी, लेकिन आखिरकार जीत भाजपा की झोली में गई और सुशील सिंह ने जीत का परचम लहराया. इस चुनाव में 197724 मतदाताओं ने मतदान किया था और कुल मतदान प्रतिशत 62.28 था.

इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के सुशील सिंह को कुल 78869 वोट मिले थे. जबकि दूसरे स्थान पर बहुजन समाज पार्टी के श्याम नारायण सिंह उर्फ विनीत सिंह थे. जिनको कुल 64375 वोट मिले. समाजवादी पार्टी के मनोज सिंह डब्लू को मात्र 44832 वोट मिले.

रिपोर्ट कार्ड

चंदौली जिले की सैयदराजा विधानसभा सीट के मौजूदा विधायक भारतीय जनता पार्टी के सुशील कुमार सिंह मूल रूप से वाराणसी के रहने वाले हैं. इन्होंने ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई की है. सुशील सिंह का राजनीतिक जीवन सन 2000 से शुरू हुआ. जब वह को-ऑपरेटिव बैंक वाराणसी के डायरेक्टर चुने गए. इसके बाद उन्होंने 2002 में चंदौली के धानापुर सीट से बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा.

इसे भी पढ़ें -यूपी की भाजपा सरकार में 8 से ज्यादा भर्ती परीक्षाओं के पेपर हुए लीक, जानिए कैसे हो रही सेंधमारी

लेकिन महज 26 वोट से हार गए. 2007 में वह फिर इसी विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और विधायक चुने गए. इसी दौरान इन्होंने बहुजन समाज पार्टी से नाता तोड़ लिया. 2012 के विधानसभा चुनाव में सुशील सिंह सकलडीहा विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विधायक चुने गए. बाद में वह भारतीय जनता पार्टी में आ गए और 2017 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर सैयदराजा विधानसभा से विधायक चुने गए.

सुशील सिंह ने अपने विधानसभा क्षेत्र में तमाम विकास कार्य कराए, जिसमें प्रमुख रुप से सड़क, शिक्षा, गांवों में विद्युतीकरण, पेयजल, सिंचाई और स्वास्थ्य के क्षेत्र में इनके द्वारा विकास कार्य कराया गया. विधायक निधि के खर्च के बारे में बात करें तो सुशील सिंह के अनुसार अब तक शासन द्वारा मिली विधायक निधि क्षेत्र के विकास कार्यों में लगभग खर्च हो चुकी है.

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चंदौली: उत्तर प्रदेश के चंदौली (Chandauli) जिले की सैयदराजा विधानसभा सीट राजनीतिक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण सीट है. इस विधानसभा से होकर गुजरने वाली कर्मनाशा नदी उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा को विभाजित करती है. इस विधानसभा क्षेत्र के अधिकांश गांव एक तरफ जहां बिहार बॉर्डर से सटे हुए हैं तो दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के गाजीपुर का बॉर्डर भी इस विधानसभा क्षेत्र के कई गांव की सीमा से लगे हैं. इस क्षेत्र को उत्तर प्रदेश में बिहार, बंगाल, ओडिशा और झारखंड का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है. इस विधानसभा क्षेत्र के लोग कृषि पर आधारित हैं और इस इलाके में धान की बेहतरीन पैदावार होती है.

सैयदराजा विधानसभा में शिक्षा के लिए कॉलेज तो हैं, लेकिन उच्च शिक्षा की इस विधानसभा क्षेत्र में किसी भी तरह की कोई व्यवस्था नहीं है. वहीं, चिकित्सा के क्षेत्र में भी यह इलाका काफी पिछड़ा हुआ है और पूरे विधानसभा क्षेत्र में कोई भी बड़ा अस्पताल नहीं है. हालांकि अब चुनावी माह में सीएम योगी ने मेडिकल का शिलान्यास जरूर किया है. यहां बेहतर खेती के लिए नहरों का जाल तो है, लेकिन टेल तक पानी पहुंचना हमेशा से चुनौती रहा है.

सैयदराजा विधानसभा सीट पर सपा मजबूत !
सैयदराजा विधानसभा सीट पर सपा मजबूत !

राजनीतिक पृष्ठभूमि

पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी की सीट रही है सैयदराजा

पूर्व में इस विधानसभा का नाम चंदौली सदर विधानसभा हुआ करता था, जो बाद में नए परिसीमन के बाद सैयदराजा हो गया. शुरुआती दौर की बात करे तो आजादी के बाद 1952 में पहली बार इस सीट पर कांग्रेस के पंडित कमलापति त्रिपाठी विधायक चुने गए थे. कमलापति त्रिपाठी प्रदेश के मुख्यमंत्री और रेल मंत्री रहे हैं. दूसरी और तीसरी विधानसभा चुनाव में भी पंडित कमलापति त्रिपाठी विधायक चुने गए.

इसे भी पढ़ें - अखिलेश यादव बोले, किसकी बात कर रहे हैं, कौन हैं राजा भइया...पढ़िए पूरी खबर

लेकिन चौथी विधानसभा चुनाव में लगातार 3 बार क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले पंडित कमलापति त्रिपाठी को सोशलिस्ट पार्टी के चंद्रशेखर ने मात्र 397 वोटों से हरा दिया था. पांचवीं विधानसभा के चुनाव में एक बार फिर से कांग्रेस से पंडित कमलापति त्रिपाठी को विजय मिली.

छठवीं विधानसभा के चुनाव में पंडित कमलापति त्रिपाठी इस सीट से चुनाव नहीं लड़े और उनकी जगह उतरे कांग्रेस के राम नरेश को भारतीय किसान दल के उम्मीदवार रामप्यारे तिवारी ने हरा दिया. सातवीं विधानसभा के चुनाव में जनता पार्टी के उम्मीदवार के रुप में रामप्यारे तिवारी को जीत मिल गई. आठवीं विधानसभा में चंदौली की सीट सुरक्षित हो गई और इस सीट पर कांग्रेस (आई) के संकठा प्रसाद शास्त्री ने श्यामदेव (कांग्रेस यू) को हरा दिया.

इसके बाद 1985 में नौंवीं विधानसभा के चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस (आई) के संकठा प्रसाद शास्त्री ने जनता पार्टी के रामलाल को 23,672 वोटों से हराया था. दसवीं विधानसभा में जनता दल के छन्नू लाल ने कांग्रेस के संकठा प्रसाद शास्त्री को हरा दिया. वहीं, 1991 के 11वीं विधानसभा चुनाव में भाजपा के शिवपूजन राम ने पहली बार अपना परचम लहराया और दीनानाथ भाष्कर को मात्र 238 वोटों से हराया था.

सैयदराजा विधानसभा सीट पर सपा मजबूत !
सैयदराजा विधानसभा सीट पर सपा मजबूत !

1993 में 12वीं विधानसभा चुनाव में दीनानाथ भाष्कर ने अपनी हार का बदला लेते हुए भाजपा के रामजी गोंड को वोटों से हराया. 13वीं विधानसभा के चुनाव में भाजपा के शिवपूजन राम ने दोबारा जीत हासिल की. 2002 में जब 14वीं विधानसभा का चुनाव हुआ तो बसपा के शारदा प्रसाद ने सपा के राम उजागिर गोंड़ को हराकर जीत हासिल की.

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2007 में शारदा प्रसाद ने एक बार फिर सपा के राम उजागिर गोंड़ को 8,506 वोटों से हराकर जीत दर्ज की. 2012 में इस सीट का नाम बदल कर सैयदराजा (382) कर दिया गया और यह सीट सामान्य हो गई. इस सीट से निर्दल प्रत्याशी मनोज सिंह डब्लू ने जेल से चुनाव लड़ रहे और माफिया डॉन बृजेश सिंह को हराया. लेकिन 2017 के चुनाव में बृजेश सिंह के भतीजे सुशील सिंह ने अपने चाचा की हार का बदला लिया और सैयदराजा विधानसभा की सीट पर कब्जा जमा लिया.

सामाजिक तानाबाना

सैयदराजा विधानसभा क्षेत्र में तकरीबन हर जाति वर्ग के लोग रहते हैं. वर्तमान समय में सैयदराजा विधानसभा में कुल 321145 मतदाता हैं, जिसमें 175053 पुरुष मतदाता हैं तो वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 146069 है. इस विधानसभा में थर्ड जेंडर के 23 मतदाता हैं. विधानसभा क्षेत्र में रहने वाले मतदाताओं को अगर जातिगत आधार पर विभाजित करें तो इस विधानसभा क्षेत्र में तकरीबन 42 हजार क्षत्रिय मतदाता हैं, जबकि इसी के आसपास यादव मतदाताओं की भी संख्या है.

विधानसभा क्षेत्र में हरिजन मतदाताओं की तादाद करीब 55 हजार हैं तो 23 हजार ब्राह्मण, 30 हजार बिंद, 30 हजार मुस्लिम, 24 हजार के मौर्या, 18 हजार वैश्य, 20 हजार राजभर, 16 हजार भूमिहार, 10 हजार के करीब मल्लाह मतदाता हैं. साथ ही साथ तकरीबन 30 हजार के आसपास अन्य जातियों के मतदाता भी इस विधानसभा क्षेत्र में रहते हैं.

2017 का जनादेश

2017 के विधानसभा चुनाव में सैयदराजा सीट पर त्रिकोणात्मक लड़ाई हुई थी. इस चुनाव में भाजपा, सपा और बसपा में लड़ाई थी, लेकिन आखिरकार जीत भाजपा की झोली में गई और सुशील सिंह ने जीत का परचम लहराया. इस चुनाव में 197724 मतदाताओं ने मतदान किया था और कुल मतदान प्रतिशत 62.28 था.

इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के सुशील सिंह को कुल 78869 वोट मिले थे. जबकि दूसरे स्थान पर बहुजन समाज पार्टी के श्याम नारायण सिंह उर्फ विनीत सिंह थे. जिनको कुल 64375 वोट मिले. समाजवादी पार्टी के मनोज सिंह डब्लू को मात्र 44832 वोट मिले.

रिपोर्ट कार्ड

चंदौली जिले की सैयदराजा विधानसभा सीट के मौजूदा विधायक भारतीय जनता पार्टी के सुशील कुमार सिंह मूल रूप से वाराणसी के रहने वाले हैं. इन्होंने ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई की है. सुशील सिंह का राजनीतिक जीवन सन 2000 से शुरू हुआ. जब वह को-ऑपरेटिव बैंक वाराणसी के डायरेक्टर चुने गए. इसके बाद उन्होंने 2002 में चंदौली के धानापुर सीट से बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा.

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लेकिन महज 26 वोट से हार गए. 2007 में वह फिर इसी विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और विधायक चुने गए. इसी दौरान इन्होंने बहुजन समाज पार्टी से नाता तोड़ लिया. 2012 के विधानसभा चुनाव में सुशील सिंह सकलडीहा विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विधायक चुने गए. बाद में वह भारतीय जनता पार्टी में आ गए और 2017 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर सैयदराजा विधानसभा से विधायक चुने गए.

सुशील सिंह ने अपने विधानसभा क्षेत्र में तमाम विकास कार्य कराए, जिसमें प्रमुख रुप से सड़क, शिक्षा, गांवों में विद्युतीकरण, पेयजल, सिंचाई और स्वास्थ्य के क्षेत्र में इनके द्वारा विकास कार्य कराया गया. विधायक निधि के खर्च के बारे में बात करें तो सुशील सिंह के अनुसार अब तक शासन द्वारा मिली विधायक निधि क्षेत्र के विकास कार्यों में लगभग खर्च हो चुकी है.

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