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रियलिटी चेक: कितना सुरक्षित है चंदौली न्यायालय परिसर

लखनऊ सीजेएम कोर्ट परिसर में बम से हुए हमले के बाद प्रदेश के न्यायालय में वकीलों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे हैं. ईटीवी भारत ने भी चंदौली सीजेएम कोर्ट में सुरक्षा व्यवस्था का रियलिटी चेक किया, जिसमें कोर्ट परिसर की सुरक्षा व्यवस्था फेल साबित हुई.

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चंदौली न्यायालय परिसर की रियलिटी चेक.
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Published : Feb 14, 2020, 7:33 AM IST

Updated : Feb 14, 2020, 1:43 PM IST

चंदौलीः सीजेएम कोर्ट परिसर में हुए रियलिटी चेक में कोर्ट सुरक्षा मानकों में खरा नहीं उतरा है. कोर्ट परिसर में लगा मेटल डिटेक्टर शो पीस बना हुआ है. इस खराब पड़े मेटल डिटेक्टर से लोग बेधड़क आर्म्स के साथ एंट्री करते दिख रहे हैं, जबकि खराब पड़ी डिटेक्टर पासवर्ड का इंतजार कर रही है.

चंदौली न्यायालय परिसर की रियलिटी चेक.

सुरक्षा व्यवस्था की हालत खस्ता
अधिवक्ताओं की मानें तो जब से यह मशीन लगी तब से ही खराब पड़ी है. इसके अलावा पूरे कचहरी परिसर में कोई भी एंट्री या एग्जिट पॉइंट निर्धारित नहीं है. बिना चारदीवारी के इस परिसर में कोई भी व्यक्ति कहीं से भी निकल सकता है. यही नहीं जिस प्रमुख रास्ते से होकर अपराधी व उनके साथी पेशी पर आते-जाते हैं. वहां सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी जांच की जहमत भी नहीं उठाते हैं. कुछ सिपाहियों और होमगार्ड के सहारे ही पूरे कचहरी की सुरक्षा चल रही है.
पढ़ें:- रियलिटी चेक: कितना सुरक्षित है चंदौली न्यायालय परिसर

प्रशासनिक लापरवाही के चलते हुआ ये हाल
कोर्ट एक ऐसा परिसर है, जो अपराध के लिहाज से सबसे अधिक संवेदनशील है. इस लिहाज से सुरक्षा के व्यापक इंतेजाम न होना अपराध को निमंत्रण देने के समान है. इसकी संवेदनशीलता तब और भी बढ़ जाती है. कोर्ट परिसर नक्सल प्रभावित जनपद में है, जहां अक्सर हार्ड कोर नक्सलियों की भी पेशी होती है. ऐसे में सुरक्षा के उपकरण ठीक न होना कोर्ट परिसर की प्रशासनिक लापरवाही के साथ ही अपराध के प्रति संवेदन शून्यता को दर्शाता है.

चंदौलीः सीजेएम कोर्ट परिसर में हुए रियलिटी चेक में कोर्ट सुरक्षा मानकों में खरा नहीं उतरा है. कोर्ट परिसर में लगा मेटल डिटेक्टर शो पीस बना हुआ है. इस खराब पड़े मेटल डिटेक्टर से लोग बेधड़क आर्म्स के साथ एंट्री करते दिख रहे हैं, जबकि खराब पड़ी डिटेक्टर पासवर्ड का इंतजार कर रही है.

चंदौली न्यायालय परिसर की रियलिटी चेक.

सुरक्षा व्यवस्था की हालत खस्ता
अधिवक्ताओं की मानें तो जब से यह मशीन लगी तब से ही खराब पड़ी है. इसके अलावा पूरे कचहरी परिसर में कोई भी एंट्री या एग्जिट पॉइंट निर्धारित नहीं है. बिना चारदीवारी के इस परिसर में कोई भी व्यक्ति कहीं से भी निकल सकता है. यही नहीं जिस प्रमुख रास्ते से होकर अपराधी व उनके साथी पेशी पर आते-जाते हैं. वहां सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी जांच की जहमत भी नहीं उठाते हैं. कुछ सिपाहियों और होमगार्ड के सहारे ही पूरे कचहरी की सुरक्षा चल रही है.
पढ़ें:- रियलिटी चेक: कितना सुरक्षित है चंदौली न्यायालय परिसर

प्रशासनिक लापरवाही के चलते हुआ ये हाल
कोर्ट एक ऐसा परिसर है, जो अपराध के लिहाज से सबसे अधिक संवेदनशील है. इस लिहाज से सुरक्षा के व्यापक इंतेजाम न होना अपराध को निमंत्रण देने के समान है. इसकी संवेदनशीलता तब और भी बढ़ जाती है. कोर्ट परिसर नक्सल प्रभावित जनपद में है, जहां अक्सर हार्ड कोर नक्सलियों की भी पेशी होती है. ऐसे में सुरक्षा के उपकरण ठीक न होना कोर्ट परिसर की प्रशासनिक लापरवाही के साथ ही अपराध के प्रति संवेदन शून्यता को दर्शाता है.

Last Updated : Feb 14, 2020, 1:43 PM IST
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