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पूर्व बसपा नेता रामअचल राजभर का छलका दर्द, बोले- चंद लोगों की शिकायत 37 साल के संघर्ष पर भारी पड़ गई

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Published : Aug 31, 2021, 8:26 PM IST

यूपी के चंदौली में रामअचल राजभर एक दिवसीय दौरे पर पहुंचे. उनकी बातचीत में बसपा से निष्कासन का दर्द साफ तौर पर दिखाई दिया. राजभर ने कहा कि भाजपा और सपा दोनों पार्टियों के रास्ते हमारे लिए खुले हैं.

पूर्व बसपा नेता रामअचल राजभर
पूर्व बसपा नेता रामअचल राजभर

चन्दौली: बसपा के कद्दावर नेता रहे रामअचल राजभर जिले के एक दिवसीय दौरे पर पहुंचे. जहां उन्होंने अपने समाज के प्रबुद्ध जनों की बैठक में शिरकत की साथ ही भविष्य की राजनीति पर चर्चा की. इस दौरान उनके चेहरे पर बसपा से निष्कासन का दर्द साफ तौर पर दिखा. पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने मिशन 2022 के लिए अपने पत्ते तो नहीं खोले लेकिन, सपा-भाजपा दोनों से बातचीत होने की बात जरूर कही. हालांकि उन्होंने फैसला समाज के प्रबुद्ध जनों पर छोड़ दिया.


दरअसल बसपा से निष्कासित पूर्व मंत्री राम अचल राजभर चंदौली में आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे थे. इस दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा और सपा दोनों पार्टियों के रास्ते हमारे लिए खुले हैं. हमारे लोग यह तय करेंगे कि कौन सी पार्टी ज्वाइन करनी है. जिसके लिए बसपा और सपा की तर्ज पर राम अचल राजभर भी प्रबुद्ध जन सम्मेलन कर रहे हैं. इस दौरान राम अचल राजभर की बातचीत में बसपा से निष्कासन को लेकर दर्द साफ तौर पर दिखा. उन्होंने कहा कि जिस बहुजन समाजवादी पार्टी के लिए उन्होंने अपने 37 साल दिए, बसपा प्रमुख मायावती ने एक झटके में उन्हें पार्टी से निकाल दिया और उन्हें अपनी सफाई देने का मौका तक नहीं दिया. चंद लोगों की शिकायत पर उनके 37 साल के संघर्ष पर भारी पड़ गया, जबकि बसपा के मिशन को पूरा करने के लिए पूरे देश में काम करते रहे, पहले कांशीराम के नेतृत्व में और बाद में मायावती के नेतृत्व में.

पूर्व बसपा नेता रामअचल राजभर
हालांकि, उन्होंने मायावती पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया. उन्होंने कहा कि वह काम करना पसंद करते हैं, बात करने में विश्वास नहीं रखते. आगे का फैसला राजभर समाज के प्रबुद्ध लोग लेंगे. जहां समाज की विचारधारा और अपने लोगों का सम्मान होगा. उसी पार्टी के साथ जाएंगे.

चन्दौली: बसपा के कद्दावर नेता रहे रामअचल राजभर जिले के एक दिवसीय दौरे पर पहुंचे. जहां उन्होंने अपने समाज के प्रबुद्ध जनों की बैठक में शिरकत की साथ ही भविष्य की राजनीति पर चर्चा की. इस दौरान उनके चेहरे पर बसपा से निष्कासन का दर्द साफ तौर पर दिखा. पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने मिशन 2022 के लिए अपने पत्ते तो नहीं खोले लेकिन, सपा-भाजपा दोनों से बातचीत होने की बात जरूर कही. हालांकि उन्होंने फैसला समाज के प्रबुद्ध जनों पर छोड़ दिया.


दरअसल बसपा से निष्कासित पूर्व मंत्री राम अचल राजभर चंदौली में आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे थे. इस दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा और सपा दोनों पार्टियों के रास्ते हमारे लिए खुले हैं. हमारे लोग यह तय करेंगे कि कौन सी पार्टी ज्वाइन करनी है. जिसके लिए बसपा और सपा की तर्ज पर राम अचल राजभर भी प्रबुद्ध जन सम्मेलन कर रहे हैं. इस दौरान राम अचल राजभर की बातचीत में बसपा से निष्कासन को लेकर दर्द साफ तौर पर दिखा. उन्होंने कहा कि जिस बहुजन समाजवादी पार्टी के लिए उन्होंने अपने 37 साल दिए, बसपा प्रमुख मायावती ने एक झटके में उन्हें पार्टी से निकाल दिया और उन्हें अपनी सफाई देने का मौका तक नहीं दिया. चंद लोगों की शिकायत पर उनके 37 साल के संघर्ष पर भारी पड़ गया, जबकि बसपा के मिशन को पूरा करने के लिए पूरे देश में काम करते रहे, पहले कांशीराम के नेतृत्व में और बाद में मायावती के नेतृत्व में.

पूर्व बसपा नेता रामअचल राजभर
हालांकि, उन्होंने मायावती पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया. उन्होंने कहा कि वह काम करना पसंद करते हैं, बात करने में विश्वास नहीं रखते. आगे का फैसला राजभर समाज के प्रबुद्ध लोग लेंगे. जहां समाज की विचारधारा और अपने लोगों का सम्मान होगा. उसी पार्टी के साथ जाएंगे.
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